क्या है ब्रेक्जिट और इस पर ब्रिटेन और EU के बीच क्या डील हुई है?
महीनों के गतिरोध और असहमतियों के बाद आखिरकार यूनाइटेड किंगडम (UK) और यूरोपीय संघ (EU) के बीच ब्रेक्जिट डील हो गई है। UK के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने गुरूवार को ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी। उनकी इस घोेषणा के साथ ही कारोबारियों ने एक राहत की सांस ली है जो बिना डील के ब्रेक्जिट की आशंका के चलते चिंताओं में घिरे हुए थे। ब्रेक्जिट आखिर क्या है और इसे लेकर क्या डील हुई है, आइए जानते हैं।
क्या है ब्रेक्जिट?
ब्रेक्जिट का मतलब है ब्रिटेन (UK) का EU से बाहर निकलना। संघ से बाहर निकलने के प्रस्ताव पर UK में 23 जून, 2016 को जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें मतदाताओं ने 48.1 के मुकाबले 51.9 प्रतिशत वोटों से EU छोड़ने का फैसला किया था। EU 28 यूरोपीय देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के लिए बना संगठन है। EU में शामिल देशों में लोग और सामान बिना किसी रुकावट के आ-जा सकते हैं।
ब्रेक्जिट डील पर इस्तीफा दे चुके हैं UK के दो प्रधानमंत्री
2016 में ब्रेक्जिट पर वोटिंग के बाद से ही ब्रिटेन और EU के बीच इसकी डील पर बातचीत चल रही है और डील को अंतिम रूप देने में असफल रहने पर देश के दो प्रधानमंत्री- डेविड कैमरून और थेरेसा मे- इस्तीफा भी दे चुके हैं। थेरेसा मे ने तो तीन बार ब्रेक्जिट पर डील पेश की थी, लेकिन UK की संसद ने हर बार इसे नकार दिया। बोरिस जॉनसन तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनके जिम्मे ब्रेक्जिट डील आई थी।
जनवरी में EU से अलग हो गया था ब्रिटेन, लेकिन बना हुआ था बाजार का हिस्सा
ब्रिटेन इस साल जनवरी में आधिकारिक तौर पर EU से अलग हो गया था, लेकिन इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए उसने एक साल (31 दिसंबर, 2020) का समय (ट्रांजिशन पीरियड) लिया था। इस दौरान ब्रिटेन EU के बाजार और कस्टम यूनियन का सदस्य बना रहा और दोनों के बीच व्यापार पहले की तरह ही चल रहा था। दोनों पक्षों में बातचीत भी चलती रही और गतिरोधों के कारण बिना डील के ब्रेक्जिट का खतरा बना हुआ था।
ब्रिटेन और EU में क्या डील हुई है?
ब्रिटेन और EU के बीच हुई डील को लेकर अभी विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है और इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार दोनों पक्षों में टैरिफ (टैक्स) और कोटा मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बनी है, जिसकी बदौलत EU और UK के बीच लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का सालाना व्यापार आराम से चलता रहेगा। समझौते के तहत दोनों पक्ष बिना टैक्स के जितना चाहें उतना सामान एक-दूसरे के यहां बेच सकेंगे।
मछली पकड़ने को लेकर रहा सबसे बड़ा गतिरोध
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटेन और EU में सबसे बड़ा गतिरोध इस बात को लेकर रहा कि ब्रेक्जिट के बाद EU के मछुआरों को ब्रिटेन के इलाके में मछली पकड़ने की इजाजत होनी चाहिए या नहीं और अगर इजाजत दी जाती है तो वे कितनी मछली पकड़ सकते हैं। अभी तक ब्रिटेन EU के व्यापारिक नियमों के दायरे में आता था और इस कारण EU के मछुआरे बिना रोक-टोक के ब्रिटेन के समंदरों में मछली पकड़ सकते थे।
अब आगे क्या?
ब्रिटेन और EU को अब इस डील को अपनी-अपनी संसद से पारित कराना होगा। ब्रिटेन की सरकार ये साल खत्म होने से पहले ही अपनी संसद का सत्र बुला डील को मंजूरी दिला सकती है और विपक्षी लेबर पार्टी ने भी इसका समर्थन करने का ऐलान किया है। हालांकि EU के लिए इस साल संसदीय सत्र बुलाना संभव नहीं है और वह अगले साल इसे पारित कर सकती है। तब तक डील को प्रोविजनल रूप से लागू कर दिया जाएगा।
अगर बिना डील के ब्रेक्जिट होता तो...
अगर ब्रिटेन बिना किसी डील के EU से बाहर होता तो इससे उन पर बहुत बुरा आर्थिक असर पड़ता और व्यापारी नियमों के अभाव में असमंजस की स्थिति में रहते। दोनों पक्षों के एक-दूसरे पर भारी टैक्स लगाने की आशंका भी बनी हुई थी।