तुर्की-सीरिया भूकंप: 23,000 से अधिक हुआ मौतों का आंकड़ा, 53 लाख लोग हुए बेघर
तुर्की और सीरिया में सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। बतौर रिपोर्ट्स, दोनों देशों में अब तक 23,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं संयुक्त राष्ट्र (UN) की शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक, भूकंप के कारण 53 लाख से अधिक लोग बेघर हुए हैं। बता दें कि भूकंप को इलाके में सदी की सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में देखा जा रहा है।
तुर्की और सीरिया में अब तक कितने लोगों की हुई मौत?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तुर्की में अब तक 20,200 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 45,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। वहीं सीरिया में 3,400 लोगों की मारे जाने की सूचना है और 6,000 लोग घायल बताए जा रहे हैं। भूकंप प्रभावित क्षेत्रो में राहत और बचाव कार्य में एक लाख से अधिक लोग जुटे हैं और तुर्की में 26,000 लोगों को बचा लिया गया है। भारत समेत करीब 70 देश यहां मदद के लिए आगे आए हैं।
अभी भी मलबे में दबे हैं हजारों लोग
तुर्की और सीरिया में इस वक्त हजारों लोग भूकंप प्रभावित इलाकों के अस्पतालों में भर्ती हैं और अब भी कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। इसके चलते भूकंप के कारण जान गंवाने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है। बता दें कि तुर्की और सीरिया में कड़ाके की ठंड से राहत और बचाव कार्यों में दिक्कत आ रही है और जीवित बचे लोगों के लिए राहत सामाग्री की कमी भी पड़ रही है।
तुर्की में अब तक 100 से अधिक आफ्टरशॉक्स हुए दर्ज
अलजजीरा के मुताबिक, 6 फरवरी के बाद से तुर्की में अब तक 4 और उससे अधिक तीव्रता के 100 से अधिक आफ्टरशॉक्स किए गए हैं। दक्षिण-पूर्व तुर्की में सोमवार से 4 की तीव्रता के 81 भूकंप, 5 की तीव्रता के 20 भूकंप, 6 की तीव्रता के तीन भूकंप और 7 की तीव्रता वाले दो भूकंप दर्ज किए गए हैं। गौरतलब है कि आफ्टरशॉक्स छोटे भूकंप होते हैं, जो किसी शक्तिशाली भूकंप के बाद उस क्षेत्र में आते हैं।
इस्तांबुल एयरपोर्ट पर दिखे ब्लैक रिबन
तुर्की के इस्तांबुल एयरपोर्ट पर इलेक्ट्रोनिक बोर्ड्स पर भूकंप पीड़ितों के प्रति सहानुभूति और एकजुटता दिखाने के लिए ब्लैक रिबन डिस्प्ले किए गए। इनमें बोर्ड्स पर '6 फरवरी को तुर्की में भूकंप आया, गेट वेल सून' जैसे संदेश लिखे गए।
भारत का भूकंप पीड़ितों के लिए 'ऑपरेशन दोस्त' जारी
भारत के 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत लगातार तुर्की और सीरिया को मदद और राहत सामाग्री मुहैया करवाई जा रही है। भारतीय वायुसेना के छह विमान तुर्की पहुंच चुके हैं, जिनमें बचाव कार्य के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत बल (NDRF) की टीमें, वाहन और डॉग स्क्वॉड शामिल हैं। इसके अलावा एक्स-रे मशीनें, वेंटिलेटर, ऑपरेशन थिएटर और एम्बुलेंस जैसे विभिन्न उपकरणों और दवाइयों के साथ 30 बेड का एक अस्पताल तैयार करने के लिए सामान भेजा गया है।
तुर्की सरकार पर उठ रहे सवाल
भूकंप के बाद पीड़ितों तक मदद और राहत पहुंचाने में हुई देरी को लेकर तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन की सरकार की आलोचना हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार और सेना स्थिति से निपटने के लिए तैयार होती तो हजारों जानें बचाई जा सकती थीं। बता दें कि 1999 में आए भूकंप में तुर्की की सेना ने बचाव और राहत अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
तुर्की में पहले भी आ चुके हैं भूकंप
तुर्की में पहले भी कई शक्तिशाली भूकंप आ चुके हैं, लेकिन यह सदी का सबसे विनाशकारी भूकंप साबित हुआ है। साल 1999 में दूजा में 7.4 तीव्रता का भूकंप आया था और इसमें 17,000 से अधिक लोग मारे गए थे। जनवरी, 2020 में एलाजिग में 6.8 तीव्रता के भूकंप में 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। पिछले साल एजियम सागर में 7.0 तीव्रता के भूकंप में 114 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।