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    कोरोना वायरस: बिना लक्षण वाले बच्चों से संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा, अध्ययन में हुआ खुलासा

    कोरोना वायरस: बिना लक्षण वाले बच्चों से संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा, अध्ययन में हुआ खुलासा

    लेखन भारत शर्मा
    Aug 21, 2020
    02:29 pm

    क्या है खबर?

    पूरी दुनिया में हड़कंप मचाने वाले कोरोना वायरस को लेकर अब एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है।

    दरअसल, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने वालों को लेकर हुए अध्ययन में सामने आया है कि व्यस्कों की तुलना में बच्चे कोरोना संक्रमण के प्रसारक हो सकते हैं।

    इसका कारण है कि व्यस्कों की तुलना में बच्चों के गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना कम होती है और वह आसानी से वायरस को घर तक ला सकते हैं।

    खुलासा

    बच्चों में कम होती है SARS-CoV-2 के लिए प्रतिरक्षा रिसेप्टर्स की संख्या

    इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि बच्चों में कोरोना संक्रमण का कारण बनने वाले वायरस SARS-CoV-2 के लिए प्रतिरक्षा रिसेप्टर्स की संख्या कम होती है। इसके कारण बच्चों के जल्दी संक्रमित होने तथा गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना कम हो जाती है।

    ऐसे में वायरस के बच्चों में प्रवेश करने के बाद भी वह जल्दी असर नहीं दिखाता है और उनके जरिए अन्य लोगों तक संक्रमण पहुंच सकता है।

    अध्ययन

    192 बच्चों पर किया गया था अध्ययन

    अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल (MGH) के शोधकर्ताओं 0-22 साल के 192 बच्चों की कोरोना जांच कर शोध किया था।

    जिसमें सामने आया कि 49 बच्चों ने SARS-CoV-2 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया और अतिरिक्त 18 बच्चों में देरी से कोरोना के लक्षण सामने आए।

    उन्होंने कहा कि संक्रमित बच्चों की सांसों में कोरोना के उपचार के लिए ICU में भर्ती व्यस्कों की तुलना में वायरस का स्तर बहुत अधिक पाया गया था।

    बयान

    बच्चों में वायरस के उच्च स्तर को देखकर दंग रह गए शोधकर्ता

    अध्ययन के मुख्य लेखक और MGH के लेल योंकर ने कहा कि वह संक्रमण के पहले दो दिनों में बच्चों में वायरस का उच्च स्तर देखकर दंग रह गए थे। वह बच्चों में वायरस के इस स्तर की उम्मीद नहीं कर रहे थे।

    चौंकाने वाले बात यह थी अस्तपाल में भर्ती संक्रमित मरीजों का वायरल लोड स्वस्थ दिख रहे बच्चों के वायरल लोड की तुलना में बहुत कम था। बच्चों में SARS-CoV-2 के वायरल लोड का स्तर बहुत अधिक था।

    चेतावनी

    स्कूल में पहुंचने से पहले की जानी चाहिए बच्चों के स्वाब की जांच

    MGH में म्यूकोसल इम्यूनोलॉजी एंड बायोलॉजी रिसर्च सेंटर के निदेशक एलेसियो फसानो ने कहा कि स्कूल, डे केयर सेंटर और बच्चों वाली अन्य जगहों को खोलने से पहले बच्चों के नाक और गले के स्वाब तथा खून की जांच की जानी चाहिए। इसके बाद ही उन्हें शिक्षक और कर्मचारियों के संपर्क में आने दिया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि बच्चें कोरोना वायरस से सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन उन्हें संभावित प्रसारकों के रूप में छूट नहीं दी जानी चाहिए।

    संक्रमण

    दुनिया और भारत में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति

    बता दें कि दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2.26 के पार पहुंच गई है। इनमें से 7.92 लाख लोगों की मौत हो गई है, जबकि 14.5 करोड़ मरीज उपचार के बाद ठीक हो चुके हैं। 57 लाख मरीज और 1.76 लाख मौतों के साथ अमेरिका सबसे प्रभावित देश बना हुआ है।

    इसी तरह भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 29,05,823 हो गई है, वहीं 54,849 लोगों की मौत हो चुकी है। सक्रिय मामलों की संख्या 6,92,028 है।

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