ओमिक्रॉन: अस्पताल में भर्ती होने के खतरे को 88 प्रतिशत कम करती है बू्स्टर खुराक- स्टडीज
कोविड वैक्सीन की तीसरी खुराक ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने के खतरे को 88 प्रतिशत कम कर देती है। यूनाइटेड किंगडम (UK) में हुई स्टडीज में ये बात सामने आई है। इनमें ये भी सामने आया कि दो खुराकें ओमिक्रॉन के खिलाफ इतनी प्रभावी नहीं हैं और छह महीने बाद इनकी प्रभावशीलता घटने लगती है। UK की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (UKHSA) ने इन स्टडीज के डाटा को इकट्ठा किया है और इसमें सभी वैक्सीनों का डाटा है।
स्टडीज के नतीजों में क्या सामने आया?
स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशनल इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ एरिक टोपोल द्वारा साझा की गई UKHSA की रिपोर्ट के अनुसार, खुराक के दो से 24 हफ्तों के बीच दूसरी खुराक ओमिक्रॉन से अस्पताल में भर्ती होने के खतरे के खिलाफ 72 प्रतिशत प्रभावी रही, लेकिन 25 हफ्ते बाद ये आंकड़ा गिरकर मात्र 52 प्रतिशत पर आ गया। तीसरी खुराक के बाद सुरक्षा में बड़ी वृद्धि देखने को मिली और इसके दो हफ्ते बाद ओमिक्रॉन से सुरक्षा 88 प्रतिशत हो गई।
अलग-अलग वैक्सीनों का प्रदर्शन कैसा रहा?
स्टडीज में सामने आया कि एस्ट्राजेनेका (कोविशील्ड) वैक्सीन का दूसरी खुराक के पांच महीने बाद ओमिक्रॉन पर कोई प्रभाव नहीं देखा गया। वहीं मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीनों की प्रभावशीलता दूसरी खुराक के छह महीने बाद 65-70 प्रतिशत से घटकर मात्र 10 प्रतिशत रह गई। बूस्टर खुराक के चार से छह हफ्ते बाद वैक्सीनें 65 से 75 प्रतिशत प्रभावी रहीं, वहीं पांच से नौ हफ्ते बाद ये 55-70 प्रतिशत और 10 से अधिक हफ्तों बाद 40-50 प्रतिशत प्रभावी रहीं।
ओमिक्रॉन के कारण अस्पताल में भर्ती होने का खतरा डेल्टा से आधा- रिपोर्ट
UKHSA की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ओमिक्रॉन के कारण अस्पताल में भर्ती होने का खतरा डेल्टा के मुकाबले आधा रहता है इसमें ये भी सामने आया कि पांच से 17 साल के बच्चों के ओमिक्रॉन के संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने का खतरा डेल्टा के मुकाबले कम रहता है। रिपोर्ट के अनुसार, लक्षण वाले मामलों में तीसरी खुराक के बाद अस्पताल में भर्ती होने के खतरे में औसतन 68 प्रतिशत की कमी देखी गई।
ओमिक्रॉन वेरिएंट को रोकने में अहम साबित हो सकती है बूस्टर खुराक
गौरतलब है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार को रोकने में बूस्टर खुराक को बेहद अहम माना जा रहा है। ये वेरिएंट दो खुराकों से पैदा होने वाली इम्युनिटी को काफी हद तक मात देने में कामयाब रहता है, हालांकि शुरूआती सबूतों में बूस्टर खुराक के इसके खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के सबूत मिले हैं। इस विषय पर अभी स्टडी चल रही हैं और UKHSA ने ऐसी ही कुछ स्टडीज के आधार पर अपने नतीजे जारी किए हैं।
क्यों खतरनाक माना जा रहा है ओमिक्रॉन?
पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पकड़ में आए ओमिक्रॉन वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 है और इसकी स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हैं। विशेषज्ञों का कहना है यह वेरिएंट वायरस के अन्य वेरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक और खतरनाक हो सकता है। यह वैक्सीनों को भी काफी हद तक चकमा देने में कामयाब रहा है। WHO ने इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' करार दिया है और भारत समेत कई देशों ने इसे रोकने के लिए पाबंदियां लगाई हैं।