सेना प्रमुख की अलगाववादियों को दो टूक, कहा बंदूक और बातचीत साथ नहीं चल सकते

भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत ने आज सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते। सेना प्रमुख ने अलगाववादियों से बाचतीत को लेकर कहा, 'हमारी स्थिति साफ है। बंदूक का इस्तेमाल और पश्चिमी पड़ोसी (पाकिस्तान) से सहायता लेनी बंद करनी होगी। बात तभी हो सकती है जब वह हिंसा छोड़ें।' उन्होंने कहा कि कश्मीर में भारतीय सेना पूरी तरह से शांति चाहती है। अगर आंतकी आते रहेंगे तो हम उन्हें मारते रहेंगे।
Army Chief Bipin Rawat on talks with Hurriyat: Our position is very clear that shun the gun and stop taking support from the western neighbour. Talks can happen only if they shun violence. pic.twitter.com/aRYhADFV0U
— ANI (@ANI) January 10, 2019
सेना प्रमुख के अनुसार, पाकिस्तान और चीन की सीमा पर सेना ने स्थिति को अच्छी तरह से संभाला हुआ है और चिंता का कोई कारण नहीं है। अफगानिस्तान पर बड़ा बयान देते हुए उन्होंने कहा, 'अगर अफगानिस्तान में हमारा कोई हित नहीं है तो हमें वहां नहीं रहना चाहिए। लेकिन अफगानिस्तान में हमारा हित है, इसलिए अगर कोई तीसरा व्यक्ति कुछ बात करना चाहता है तो हमें इससे अलग नहीं रख सकता है।'
सेना प्रमुख ने माना कि जम्मू-कश्मीर में हालातों को अभी और भी सुधारा जा सकता है। उन्होंने कहा, 'सफलता इससे तय नहीं होती है कि कितने आंतकी मारे गए। जब भी कोई आतंकी मरता है तो वहां के लोग उनकी प्रशंसा करते हैं और उनके हक के लिए खड़े होते हैं।' उन्होंने कहा, 'आतंकी आते रहेंगे, हम उन्हें मारते रहेंगे और कश्मीर में हिंसा जारी रहेगी। हमें इसे ही रोकना है क्योंकि हम कश्मीर में शांति चाहते हैं।'
सीमा पर लगातार हो रहे सीजफायर उल्लंघन को लेकर सेना प्रमुख ने कहा कि बॉर्डर पर कोई भी हलचल होने पर तुरंत फायरिंग शुरू हो जाती है, यही कारण है कि सीजफायर की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। जवानों के हनी ट्रैप होने पर उन्होंने कहा, 'हम सोशल मीडिया का इस्तेमाल बैन नहीं कर सकते, लेकिन इसे लेकर एडवाइजरी जारी कर दी है।' उन्होंने बताया कि फिल्म स्टार के नाम से अकाउंट चलाकर सैनिकों को हनी ट्रैप किया जाता है।
सेना प्रमुख बिपिन रावत ने LGBT समुदाय पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, 'हम लोगों के यहां ये सब नहीं चलेगा।' उन्होंने कहा कि भारतीय सेना रूढ़िवादी है और उनके यहां LGBT मामलों पर कोई सुनवाई नहीं होगी। उन पर सेना के कानूनों के तहत कार्रवाई जारी रहेगी। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था। इसपर उन्होंने कहा कि सेना कानून से ऊपर नहीं है लेकिन संविधान उसे कुछ आजादी देता है।