
अमेरिका में सरकारी शटडाउन का खतरा टला, फंडिंग विधेयक दोनों सदनों से पारित
क्या है खबर?
अमेरिका की सरकार पर से शटडाउन का खतरा टल गया है। संसद के दोनों सदनों ने आखिरी वक्त पर फंडिग से जुड़े विधेयक को पारित कर दिया है।
स्पीकर माइक जॉनसन द्वारा तैयार किया गया ये विधेयक अगर पारित नहीं हो पाता तो सरकार के पास कर्मचारियों को देने के पैसे खत्म हो जाते और सरकारी शटडाउन लागू हो जाता।
अब विधेयक को राष्ट्रपति जो बाइडन के हस्ताक्षर के लिए व्हाइट हाउस भेजा जाएगा।
बहुमत
दोनों सदनों से पारित हुआ विधेयक
विधेयक को पहले हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव में पेश किया गया, जहां इसके विरोध में 34 और पक्ष में 366 वोट पड़े। इसके बाद विधेयक सीनेट में भेजा गया, जहां ये 11 सांसदों के विरोध और 85 के समर्थन के बाद पारित हो गया।
विधेयक में अस्थायी रूप से संघीय संचालन और आपदा सहायता की घोषणा की गई है, लेकिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सुझाई गई ऋण सीमा बढ़ाने की मांगों को नहीं शामिल किया गया है।
प्रयास
शटडाउन रोकने का ये तीसरा प्रयास
इससे पहले स्पीकर जॉनसन ने डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर एक विधेयक तैयार किया था। हालांकि, ट्रंप और एलन मस्क ने इसका विरोध किया, जिसका बाद विधेयक पेश ही नहीं हो पाया।
19 दिसंबर को फिर ट्रंप और मस्क के समर्थन से निचले सदन में फंडिंग से जुड़ा विधेयक लाया गया था, लेकिन इस बार डेमोक्रेटिक पार्टी ने विरोध किया, जिसके चलते ये विधेयक भी पारित नहीं हो पाया। ट्रंप की पार्टी के सांसदों ने भी विधेयक का विरोध किया।
सरकारी शटडाउन
क्या होता है सरकारी शटडाउन?
सरकारी शटडाउन तब होता है, जब संघीय सरकार को चलाने के लिए जरूरी फंडिंग खत्म हो जाती है।
अगर अमेरिकी कांग्रेस (संसद) फंडिंग विधेयक पारित नहीं करती है तो कई सरकारी सेवाएं ठप हो जाएंगी, जिससे आम जनता को परेशानी होगी।
अमेरिका में इससे पहले ट्रंप के कार्यकाल के दौरान ही 35 दिनों तक सरकारी शटडाउन रहा था। तब करीब 8 लाख सरकारी कर्मचारियों ने बिना वेतन के काम किया था।
ऋण सीमा
ऋण सीमा बढ़ाने को लेकर है विवाद
किसी भी देश की तरह अमेरिकी सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए ऋण लेती है। इस ऋण की एक सीमा होती है, जिसे अमेरिका की संसद ने कानून बनाकर तय कर रखा है।
सरकार देश चलाने के लिए इससे ज्यादा उधार नहीं ले सकती।
ये व्यवस्था 1939 में शुरू हुई थी, लेकिन इस सीमा को कई बार बढ़ाया गया है। अब तक कर्जसीमा को 103 बार बढ़ाया जा चुका है।