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    यूरोप में सालों पहले लाशों को खाने की थी परंपरा, अध्ययन में हुए चौंकाने वाले खुलासे
    शोध में मिले यूरोप की अजीबोगरीब परंपरा के साक्ष्य

    यूरोप में सालों पहले लाशों को खाने की थी परंपरा, अध्ययन में हुए चौंकाने वाले खुलासे

    लेखन गौसिया
    Oct 06, 2023
    11:22 am

    क्या है खबर?

    एक शोध से यह पता चला है कि कई सालों पहले यूरोप में अजीबोगरीब परंपरा का पालन किया जाता था।

    सालों पहले यहां अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती थी तो उसकी प्रजाति के लोग उसके शव को दफनाने के बजाय उसे खा लेते थे।

    ऐसा ये लोग किसी मजबूरी में नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा के कारण करते थे।

    यह अंत्येष्टि प्रथा के रूप में इंसानों को खाने का अब तक का ज्ञात सबसे पुराना सबूत है।

    शोध

    मैग्डलेनियन काल पर केंद्रित है शोध

    यह शोध पुरापाषाण युग के मैग्डलेनियन काल पर केंद्रित है, जो लगभग 11,000 से 17,000 साल पहले था। इसे क्वाटरनरी साइंस रिव्यूज पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

    इस अध्ययन से यह पता चला है कि लगभग 15,000 साल पहले यूरोप में नरभक्षण की परंपरा निभाई जाती थी।

    नरभक्षण उसे कहते हैं, जिसमें एक इंसान अपनी ही प्रजाति के दूसरे इंसान का मांस खाता है। इसे आदमखोरी भी कहा जाता है।

    साक्ष्य

    वैज्ञानिकों को क्या साक्ष्य मिले?

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, लंदन के राष्ट्रीय इतिहास संग्रहालय के वैज्ञानिकों ने 59 मैग्डलेनियन जगहों की समीक्षा की और उन्हें 15 जगहों पर इंसानों के अवशेषों पर कटे हुए निशान के साथ खोपड़ी की हड्डियां पर चबाने के निशान मिले।

    शोध में यह भी बताया गया है कि उस समय लोग पशुओं के अवशेषों के साथ मिलाकर इंसानों के अवशेष खाते थे।

    यह अंत्येष्टि प्रथा के रूप में नरभक्षण का अब तक का सबसे पुराना सबूत है।

    जांच

    जांच में 2 पैतृक समूहों का लगा पता

    शोधकर्ताओं ने कुल 8 जगहों से आनुवंशिक डाटा निकाला, जिससे वह दफन प्रथाओं और आनुवंशिक विरासत के बीच के संबंध का पता लगा सके। उन्होंने इस डाटा को पुराने निष्कर्षों के साथ मिलाकर जांच की।

    इससे यह पता चला कि उस युग के दौरान क्षेत्र में 2 अलग-अलग पैतृक समूह रहते थे। पहला मैग्डलेनियन संस्कृति को अपनाने वाले और दूसरे एपिग्रेवेटियन संस्कृति से जुड़े लोग, जो संस्कृति और भूगोल में एक-दूसरे से काफी अलग थे।

    बयान

    राक्षसी प्रसार का उदाहरण है अंत्येष्टि तरीका- शोधकर्ता

    मैग्डलेनियन संस्कृति के लोगों ने अंत्येष्टि नरभक्षण का विकल्प चुना, जबकि एपिग्नेवेटियन संस्कृति के लोगों ने मृतकों को दफनाने का विकल्प चुना।

    इस पर संग्रहायल के शोधकर्ता विलियम मार्श ने कहा, "हमारा मानना है कि अंत्येष्टि तरीका एक तरह से राक्षसी प्रसार का उदाहरण है। इसमें एक आबादी दूसरी आबादी की जगह ले लेती है, जिससे व्यवहार में बदलाव आता है।"

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