पश्चिम बंगाल: गर्दन में घुसे त्रिशूल के साथ शख्स इलाज कराने 65 किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचा
अगर आपके शरीर पर एक खरोच भी लग जाए तो दर्द महसूस होगा, लेकिन पश्चिम बंगाल में इससे बिल्कुल विपरित मामला सामने आया है। यहां एक शख्स की गर्दन में त्रिशूल घुसने के बावजूद उसे दर्द का एहसास नहीं हुआ। इसके अलावा इलाज करवाने के लिए शख्स ने गर्दन में घुसे त्रिशूल के साथ ही 65 किलोमीटर का सफर तय किया। आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
क्या है पूरा मामला?
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के कल्याणी इलाके के रहने वाले वाले भास्कर राम की रविवार को एक मामूली बात पर एक शख्स के साथ कहासुनी हो गई। दोनों के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया कि मामला हाथापाई तक पहुंच गया। इस बीच शख्स ने भास्कर के घर पर रखा त्रिशूल उठाकर उसकी गर्दन में घौंप दिया। भास्कर के गर्दन पर त्रिशूल घुसा देखकर उसकी बहन मौके पर ही बेहोश हो गई।
इलाज के लिए घायल शख्स ने 65 किलोमीटर तक किया सफर
भास्कर के घर के आसपास ऐसा कोई अस्पताल नहीं था जहां वह अपना इलाज करवा सके। इस वजह से उसने गर्दन में घुसे त्रिशूल के साथ ही 65 किलोमीटर दूर कोलकाता के NRS अस्पताल तक सफर किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रविवार रात के करीब 3:00 बजे भास्कर के अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टर ने उसकी हालत देखते हुए तुरंत एक कमेटी का गठन किया और सर्जरी की तैयारी शुरू कर दी।
30 सेंटीमीटर लंबा और 150 साल पुराना है त्रिशूल
सर्जरी करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि मरीज के गले में त्रिशूल घुसा देखकर वह चौंक गए थे, लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि मरीज को बिल्कुल भी दर्द का एहसास नहीं हो रहा था। उन्होंने कहा, "हमने तुरंत डॉक्टरों की एक कमेटी का गठन किया और फिर सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया। सर्जरी के बाद अब मरीज की हालत स्थिर है। उनके गर्दन में फंसा त्रिशूल 30 सेंटीमीटर लंबा और 150 साल से भी ज्यादा पुराना था।"
घायल शख्स का परिवार पीढ़ियों से कर रहा त्रिशूल की पूजा
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस जोखिस भरी सर्जरी में अस्पताल के अधिकारियों द्वारा गठित डॉक्टरों की टीम में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रणबाशीष बनर्जी के साथ-साथ डॉ अर्पिता महंती, सुतीर्थ साहा और डॉ मधुरिमा शामिल थे। वहीं भास्कर के परिजनों ने बताया कि 150 साल पुराना यह त्रिशूल उनके घर में भगवान की वेदी पर ही रखा हुआ था और उनका परिवार कई पीढ़ियों से इस पौराणिक त्रिशूल की पूजा करते आ रहे हैं।