
कश्मीरी नीलम से सजी दुर्लभ हीरे की अंगूठी की होगी नीलामी, करोड़ों में है कीमत
क्या है खबर?
कश्मीर भारत की ऐसी नायाब जगह है, जिसकी तुलना स्वर्ग से की जाती है।
यह स्थान न केवल अपनी सुंदरता और प्राकृतिक नजारों के लिए मशहूर है, बल्कि इसकी संस्कृति भी रोचक है।
इसी कड़ी में अब कश्मीर की एक नायाब अंगूठी की नीलामी का आयोजन करवाया जा रहा है।
इस अंगूठी में एक खूबसूरत और दुर्लभ नीलम हीरा लगा हुआ है, जिसके कारण इसकी अनुमानित कीमत 2 करोड़ रुपये से ज्यादा तय की गई है।
नीलामी
आयरलैंड में होगी इस कश्मीरी अंगूठी की नीलामी
नीले रंग के बेशकीमती नीलम से सजी इस अंगूठी की नीलामी आयरलैंड में आयोजित की जाएगी।
यह रत्न एक यूरोपीय स्टाइल की हीरे की अंगूठी में जड़ा हुआ है, जो लंबे समय से एक निजी फ्रांसीसी संग्रह की शोभा बढ़ा रही थी।
हाल ही में इसे कश्मीरी नीलम के रूप में प्रमाणित किया गया है, जिसके कारण यह और भी कीमती बन गई है।
इस अंगूठी की नीलामी एडम्स ऑक्शनीर्स नामक नीलामीघर द्वारा आयोजित करवाई जा रही है।
अंगूठी
इस अंगूठी की नीलामी को माना जा रहा है ऐतिहासिक
यह अंगूठी 1940 के आस-पास बनाई गई थी, जिस पर लगा नीलम 6.22 कैरेट का है। नीलामीघर का अनुमान है कि इस नायाब अंगूठी की कीमत 1.35 करोड़ रुपये से लेकर 2.25 करोड़ रुपये के बीच लग सकती है।
यह 'एडम्स फाइन ज्वैलरी और लेडीज वॉचेस' नामक नीलामी का हिस्सा है, जिसे हासिल करने के लिए 13 मई को बोली लगाई जा सकेगी।
यह एक ऐतिहासिक नीलामी होगी, क्योंकि आयरलैंड में पहली बार कोई कश्मीरी हीरा बेचा जाएगा।
नीलम
दुनिया के सबसे दुर्लभ रत्नों में शामिल है यह कश्मीरी नीलम
परीक्षण से पहले नीलम की कीमत महज 7.2 लाख से 10.8 लाख रुपये के बीच आंकी जा रही थी।
हालांकि, एक बार जब पता चला कि यह हिमालयी उत्पत्ति वाला प्राकृतिक और बिना गर्म किए तराशा गया कश्मीरी नीलम है तो इसकी कीमत तुरंत बढ़ा दी गई।
यह नीलम दुनिया के सबसे दुर्लभ और सबसे बेशकीमती नीलमों में से एक है। इस रत्न को लंदन के जेमोलॉजिकल सर्टिफिकेशन सर्विसेज (GCS) और स्विस जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (SSEF) द्वारा प्रमाणित किया गया है।
खासियत
क्या है नीलम की खासियत?
कश्मीरी नीलम अपने जीवंत रंग और चमक के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका खनन 1882 और 1887 के बीच किश्तवाड़ की सुदूर पैडर घाटी में थोड़े समय के लिए किया जाता था।
इन रत्नों की गुणवत्ता के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनकी मांग और लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है।
1940 के दशक की यूरोपीय अंगूठी में इस नीलम का लगा होना हैरान करता है, क्योंकि अधिकांश कश्मीरी नीलम ब्रिटिश राज के दौरान विक्टोरियन युग के आभूषणों में जड़े जाते थे।