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    पिता और कोच की मौत भी गोमती को गोल्ड मेडल हासिल करने से नहीं रोक सकी
    खेलकूद

    पिता और कोच की मौत भी गोमती को गोल्ड मेडल हासिल करने से नहीं रोक सकी

    लेखन Neeraj Pandey
    April 24, 2019 | 12:51 pm 1 मिनट में पढ़ें
    पिता और कोच की मौत भी गोमती को गोल्ड मेडल हासिल करने से नहीं रोक सकी

    दोहा में चल रही 23वीं एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोमती मारिमुथु ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। गोमती ने 800 मीटर दौड़ में 2 मिनट 02.70 सेकंड का अपना कैरियर बेस्ट समय निकाला और भारत को इस चैंपियनशिप का पहला गोल्ड मेडल दिलाया। हालांकि, गोमती की जिंदगी इतनी आसान नहीं रही थी। अपने पिता और कोच की मौत व पूरे परिवार को संभालने के बीच लगातार संघर्ष करते हुए उन्होंने यह मेडल हासिल किया है।

    दौड़ने का मतलब था, केवल नौकरी हासिल करना

    गोमती के लिए दौड़ने का मतलब केवल नौकरी हासिल करना था जो कि उन्होंने किया भी। बेंगलुरु के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में गोमती नौकरी करते हुए अपने परिवार की देखभाल करती थीं और इसके साथ ही वह ट्रेनिंग के लिए भी समय निकाल लेती थीं। गोमती की एक बहन और एक भाई हैं, लेकिन अपने परिवार से कॉलेज जाने वाली गोमती इकलौती थीं और कॉलेज में ही उन्होंने 20 साल की उम्र में दौड़ना शुरु किया था।

    2013 में हासिल की पहली बड़ी सफलता

    रेगुलर जॉब करने के बाद भी गोमती लगातार कठिन ट्रेनिंग लेती रहती थीं और इसका नतीजा उन्हें 2013 में मिला। 2013 में पुणे में हुई एशियन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली गोमती ने सातवें स्थान पर फिनिश किया था। दो साल बाद चीन में उन्होंने इसी प्रतियोगिता में चौथे स्थान पर फिनिश किया था। यह दोनों उनके करियर की सबसे बड़ी सफलता थी। इसके बाद उनका टार्गेट पोडियम फिनिश करने का था।

    2016 में पिता की हो गई मौत

    गोमती को 2016 में काफी बड़ा झटका लगा जब उनके पिता की कैंसर के कारण मौत हो गई और फिर गोमती को भी ग्रोइन इंजरी हो गई। पिता की मौत के बाद गोमती पर जिम्मेदारी काफी बढ़ गई थी क्योंकि उनकी मां अवसाद में चली गई थीं। गोमती ने घर को संभालते हुए खुद को मजबूत किया और ट्रैक पर लौटीं, लेकिन नेशनल कैंप के दौरान उनके कोच की हार्ट-अटैक से मौत हो गई और वह बिल्कुल अकेली हो गईं।

    एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स मिस हुए, लेकिन फिर की वापसी

    कोच और पिता को खोने के बाद गोमती के हाथ से एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने का मौका निकल गया। इसी साल की शुरुआत में पटिलाया में हुए फेडरेशन कप में 2 मिनट 03.21 सेकंड का समय निकालकर गोमती ने एशियन एथलेटिक चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया था। हालांकि, उन्हें दोहा जाने के लिए दोबारा ट्रायल के लिए बुलाया गया जहां उन्होंने साबित किया कि पटियाला की उनकी दौड़ हौव्वा नहीं थी।

    चैलेंज बहुत थे, लेकिन काबिलियत पर पूरा भरोसा था- गोमती

    दोहा में जीत हासिल करने के बाद गोमती ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा था कि भले ही उनके लिए पिछले कुछ साल काफी कठिन रहे थे, लेकिन उन्हें अपने ऊपर पूरा भरोसा था। गोमती ने आगे कहा, "खुद पर भरोसा और कड़ी मेहनत के कारण मैं आज यहां पहुंची हूं। 2019 मेरे लिए काफी बेहतरीन साल रहा है और पिछले कुछ सालों में यह मेरा बेस्ट प्रदर्शन है।"

    पहले 3 दिन में 13 मेडल जीत चुका है भारत

    23वीं एशियन एथलेटिक चैंपियनशिप 21-24 अप्रैल, 2019 तक दोहा में चलेंगे। इस प्रतियोगिता में कुल 43 देशों ने हिस्सा लिया है। भारत ने दो गोल्ड, पांच सिल्वर और छह ब्रॉन्ज सहित अब तक कुल 13 मेडल जीते हैं।

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