ओलंपिक के इतिहास में किन भारतीय मुक्केबाजों ने जीते हैं पदक?
आगामी 26 जुलाई से पेरिस ओलंपिक की शुरुआत होनी है, जिसमें पीवी सिंधु और अचंता शरत कमल भारत के ध्वजवाहक होंगे। इस बार भारत के कुल 6 मुक्केबाज पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। पुरुषों में सिर्फ अमित पंघाल और निशांत देव अपने-अपने वर्गों में चुनौती पेश करेंगे। महिलाओं में निकहत जरीन, प्रीति पवार, जैस्मीन लेम्बोरिया और लवलीना बोरगोहेन पर नजरें होंगी। इस बीच ओलंपिक के इतिहास में पदक जीतने वाले भारतीय मुक्केबाजों के बारे में जानते हैं।
भारत ने अब तक जीते हैं सिर्फ 3 पदक
इस सदी से पहले तक भारत के पास मुक्केबाजी में एक भी ओलंपिक पदक नहीं था। 2008 में विजेंदर सिंह ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने थे। उन्होंने कांस्य पदक जीता था। उनके अलावा कोई अन्य पुरुष मुक्केबाज कभी पदक नहीं जीत पाया। इसके बाद 2 और भारतीय महिला मुक्केबाजों ने पदक पर कब्जा जमाया थे। ऐसे में भारत पेरिस ओलंपिक में मुक्केबाजी में अपनी पदकों की संख्या में इजाफा करना चाहेगा।
विजेंदर सिंह
विजेंदर ने 2008 में बीजिंग खेलों में पुरुषों के 75 किग्रा भारवर्ग में भाग लिया था। उन्होंने ग्रुप स्टेज में शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई थी, जहां उन्हें क्यूबा के एमिलियो कोरेया ने हराया था। बता दें कि मुक्केबाजी में 2 कांस्य पदक दिए जाते हैं। इसलिए इस खेल में खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल की चुनौती को पार करते ही पदक सुनिश्चित कर लेता है।
मैरी कॉम
मैरी कॉम लंदन में खेले गए 2012 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली एकमात्र भारतीय महिला मुक्केबाज थीं, जहां उन्होंने 51 किग्रा भारवर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हुए कांस्य पदक पर कब्जा जमाया था। उन्हें सेमीफाइनल में ब्रिटेन की निकोला एडम्स के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वह ओलंपिक में कोई और पदक नहीं जीत सकी थी। वह टोक्यो ओलंपिक में राउंड ऑफ 16 से हारकर बाहर हो गई थी।
लवलीना बोरगोहेन
लवलीना बोरगोहेन ने 2020 के टोक्यो खेलों में अपना ओलंपिक पदार्पण किया था। असम की वेल्टरवेट मुक्केबाज ने महिलाओं के 69 किग्रा वर्ग में भाग लिया और प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। बोरगोहेन नॉक-आउट मैच में तुर्की की विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली से हार गईं थी, इसलिए उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था। बुसेनाज ने ही उस वर्ग का स्वर्ण पदक जीता था।