मेडल के लिए मिलने थे लाखों, सात महीने से इंतजार कर रहे भारतीय मुक्केबाज
2019 में गुवाहाटी में इंडिया ओपन बॉक्सिंग टूर्नामेंट का आयोजन बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (BFI) द्वारा कराया गया था। इस टूर्नामेंट में भारतीय मुक्केबाजों ने 12 गोल्ड समेत कुल 57 मेडल अपने नाम किए थे। पिछले साल के मेडल विजेताओं के लाखों रूपये का भुगतान नहीं हुआ है और अब BFI ने इस साल इस टूर्नामेंट को आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।
लगभग 34 लाख रुपये बकाया करके बैठी है BFI
टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाले मुक्केबाजों को लगभग एक लाख 77 हजार रूपये देने की घोषणा की गई थी। सिल्वर मेडल वालों को लगभग 71,000 रूपये दिए जाने थे। सेमीफाइनल मुकाबले में हार झेलने वाले मुक्केबाजों के लिए किसी ईनाम की घोषणा नहीं की गई थी। सूत्रों के मुताबिक BFI अब तक गोल्ड और सिल्वर जीतने वाले मुक्केबाजों का लगभग 34 लाख रूपये का ईनाम नहीं बांट सकी है।
इस साल क्यों नहीं कराया जाएगा टूर्नामेंट का आयोजन?
ऐसा माना जा रहा है कि इस साल टूर्नामेंट का आयोजन नहीं कराए जाने के पीछे BFI की आर्थिक तंगी मुख्य कारण है। हालांकि, BFI के प्रवक्ता का कहना है कि जिस समय टूर्नामेंट कराए जाने का विचार किया जा रहा था उस समय ज़्यादातर मुक्केबाज विदेशों में प्रैक्टिस कर रहे होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल टूर्नामेंट का आयोजन मार्च-अप्रैल में कराए जाने पर विचार किया जा रहा था।
विदेशी खिलाड़ियों को तुरंत मिल गया पैसा, भारतीय खिलाड़ी दर्ज करा रहे शिकायत
गोल्ड मेडल जीतने वाले सभी छह विदेशी खिलाड़ियों को टूर्नामेंट की समाप्ति के तुरंत बाद ही ईनाम दे दिए गए थे। इस पर BFI के प्रवक्ता का कहना है, "विदेशी खिलाड़ियों को भुगतान देना प्राथमिकता थी क्योंकि भारतीय खिलाड़ी सिस्टम में हैं तो उनका पैसा क्लियर हो जाएगा।" भारतीय खिलाड़ियों ने पत्र लिखकर और मौखिक रूप से भी अपने पैसे के लिए BFI के पास अपनी शिकायत दर्ज कराई है।
सात महीने से इंतजार कर रहे हैं मुक्केबाज
लगभग सात महीने तक इंतजार करने के बाद पिछले हफ्ते एक मुक्केबाज ने BFI को पत्र लिखा जिसके बाद तमाम मुक्केबाजों ने पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज करानी शुरु कर दी। टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाले एक मुक्केबाज ने कहा, "हम लोग मई से ही इंतजार कर रहे हैं। फेडरेशन से कई बार मिलने के बावजूद हमेें संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। हम सात महीने पहले जीते मेडल का ईनाम पाने के लिए इंतजार कर रहे हैं।"