अपना उद्देश्य हासिल नहीं कर सकी है विश्व टेस्ट चैंपियनशिप- ICC चेयरमैन
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने पिछले साल विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत की थी। दो साल के विडों में टीमों को छह टेस्ट सीरीज खेलनी थी और इसके पहले संस्करण का फाइनल अगले साल जून में खेला जाना है। हालांकि, हाल ही में ICC के नए चेयरमैन बने ग्रेग बार्कले का मानना है कि टेस्ट चैंपियनशिप जिस लक्ष्य से शुरु किया गया था उसने अब तक हासिल नहीं किया है। आइए जानें उन्होंने क्या कुछ कहा।
टेस्ट क्रिकेट के लिए बूस्ट साबित नहीं हुई टेस्ट चैंपियनशिप- बार्कले
वायर सर्विस के लिए वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बार्कले ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि टेस्ट चैंपियनशिप से टेस्ट क्रिकेट को कोई बूस्ट मिला है। उन्होंने आगे कहा, "एक आदर्श दृष्टिकोण से देखें तो इसके काफी ज्यादा मेरिट हैं, लेकिन वास्तविकता में मैं इससे सहमत नहीं हूं। मैं निश्चित नहीं हूं कि इसे जिस लक्ष्य के साथ शुरु किया था वह इसने प्राप्त कर लिया है या नहीं।"
चैंपियनशिप में काफी बदलाव की जरूरत- बार्कले
कोरोना वायरस के कारण कई सीरीजों के प्रभावित होने के बाद ICC ने टेस्ट चैंपियनशिप के प्वाइंट सिस्टम में बदलाव किए हैं। बार्कले का कहना है कि फिलहाल कोरोना से निपटने के लिए ये बदलाव सही हैं, लेकिन वास्तव में काफी कुछ बदले जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "हमें फिर से ड्राइंग बोर्ड में जाने की जरूरत है क्योंकि मुझे नहीं लगता कि चैंपियनशिप अपना लक्ष्य हासिल कर पा रही है।"
पिछले हफ्ते ही ICC के नए चेयरमैन बने हैं बार्कले
पिछले हफ्ते ही बार्कले ICC के दूसरे स्वतंत्र चेयरमैन बने हैं। 2012 से ही वह न्यूजीलैंड क्रिकेट के डॉयरेक्टर रहे हैं। 2015 क्रिकेट विश्व कप के दौरान बार्कले ने डॉयरेक्टर की भूमिका निभाई थी। वह नार्थर्न डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के बोर्ड मेंबर और चेयरमैन भी रह चुके हैं। वह कंपनियों में भी डॉयरेक्टर की भूमिका निभा चुके हैं। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की तमाम कंपनियों के साथ वह कई बोर्ड पोजीशन में भी रह चुके हैं।
लगातार हो रहे हैं टेस्ट को बढ़ावा देने के प्रयास
टी-20 क्रिकेट के आने के बाद से क्रिकेट फैंस ने इसे ही अपनी पहली पसंद बना लिया है और ऐसे में टेस्ट के अस्तित्व पर सवाल खड़े होने लगे हैं। टेस्ट क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत की गई है और अब तक यह काफी सफल भी रहा है। खास तौर से एशिया में टेस्ट मैचों में दर्शकों की संख्या बेहद कम रहती है जो चिंता का विषय है।