#NewsBytesExplainer: 3 दशक पहले तक क्रिकेट की महाशक्ति रही वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम का कैसे हुआ पतन?
हाल के दिनों में वेस्टइंडीज क्रिकेट को लेकर काफी कुछ लिखा और कहा जा चुका है। वनडे विश्व कप के 48 सालों के इतिहास में ऐसा पहला मौका होगा जब वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम इसका हिस्सा नहीं होगी। क्रिकेट जगत में यह घटना काफी अहम मानी जा रही है। किसी समय विश्व क्रिकेट की बादशाह रही वेस्टइंडीज टीम के उत्थान और पतन दोनों की ही कहानी काफी दिलचस्प है। आइए वेस्टइंडीज क्रिकेट की इसी कहानी का विस्तृत अध्ययन करते हैं।
क्रिकेट खेलने वाली दुनिया की चौथी टीम है वेस्टइंडीज
युवा पीढ़ी के लिए यह बात आश्चर्य की हो सकती है कि वेस्टइंडीज क्रिकेट की चौथी सबसे पुरानी टीम है। इस टीम से पहले सिर्फ इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था। वेस्टइंडीज ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 23 जून, 1928 को इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाफ खेला था। हालांकि, वेस्टइंडीज ने पहली जीत इंग्लैंड के खिलाफ फरवरी, 1930 में दर्ज की थी। फरवरी, 1931 को टीम ने ऑस्ट्रेलिया को भी शिकस्त दे दी थी।
कैसे हुई थी वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड की स्थापना?
जैसा कि हम जानते हैं कि वेस्टइंडीज कई आईलैंड्स का समूह है। इन्हीं में से कुछ ने मिलकर वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड (वर्तमान में क्रिकेट वेस्टइंडीज) की स्थापना की थी। साल 1952 में अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद त्रिनिदाद और टोबैगो, पोर्ट ऑफ स्पेन और बारबाडोस इसके प्राथमिक सदस्य थे। साल 1974 के बाद में डोमिनिका, सेंट किट्स और नेविस, एंटीगुआ, गुयाना और सेंट लुसिया भी अंग्रेजों से आजाद होने के बाद इसके सदस्य बन गए।
अंग्रेजों के खिलाफ गुस्से ने पैदा किया खिलाड़ियों में लड़ने का जज्बा
काफी लोग इस बारे में बात करते हैं कि वेस्टइंडीज किसी समय काफी ताकतवर टीम हुआ करती थी। हालांकि, काफी कम लोगों को पता है कि इस टीम में लड़ने और जीतने का जज्बा कैसे पैदा हुआ? दरअसल, अंग्रेजों का गुलाम रहने से यहां के लोगों में उनके प्रति काफी गुस्सा था। उन्होंने इसी गुस्से को जाहिर करने के लिए क्रिकेट को अपना हथियार बनाया। विवियन रिचर्ड्स कहते थे, "मैं इन अंग्रेजों को इनके गुनाहों की सजा दे रहा हूं।"
क्लाइव लॉयड ने एक-एक हीरा तराशकर बनाई चैंपियन टीम
वेस्टइंडीज के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर क्लाइव लॉयड ने अलग-अलग आईलैंड्स से एक-एक खिलाड़ी को तराशा और उन्हें लड़ने के लिए तैयार किया। उस टीम में कप्तान लॉयड के अलावा रिचर्ड्स, गार्डन ग्रीनिज और डेसमंड हैंस जैसे खिलाड़ी थे। जिन्होंने समूचे क्रिकेट जगत को अपने प्रदर्शन से हैरान कर दिया। देखते ही देखते 1975 में पहला वनडे विश्व कप आ गया। यहां लॉयड की मेहनत रंग लाई और वेस्टइंडीज ने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम को हराकर खिताब जीत लिया।
लॉयड ने कैसे तैयार किया सबसे खतरनाक तेज गेंदबाजी आक्रमण?
अक्सर वेस्टइंडीज के 70 और 80 दशक के तेज गेंदबाजी आक्रमण की बात होती है, लेकिन इसकी शुरुआत काफी रोचक है। दरअसल, 1975 विश्व कप के बाद वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। वहां कंगारू तेज गेंदबाजों की घातक गेंदबाजी के सामने टीम को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद लॉयड ने घूम-घूमकर तेज गेंदबाजों की तलाश शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई और वेस्टइंडीज खतरनाक गेंदबाजों का दल बन गया।
वेस्टइंडीज ने खतरनाक गेंदबाजी के दम पर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को चटाई धूल
लॉयड की टीम में अब मैल्कम मार्शल, एंडी रॉबर्ट्स, माइकल होल्डिंग और जोएल गार्नर आ चुके थे, जिन्होंने अपनी उछाल और रफ्तार से बल्लेबाजों की नाक में दम कर दिया। आलम ये रहा कि 1978 से 1992 तक तक वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया से कोई टेस्ट सीरीज नहीं हारी। 8 में से 7 सीरीज वेस्टइंडीज ने जीती और 1 ड्रॉ रही। 1974 से 1998 तक वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड के खिलाफ 12 में से 9 सीरीज जीती और 3 ड्रॉ करवाई।
वेस्टइंडीज ने 1979 में जीता लगातार दूसरा वनडे विश्व कप
वेस्टइंडीज ने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी और तूफानी गेंदबाजी के दम पर 1979 में लगातार दूसरी बार वनडे विश्व कप जीत लिया। इस बार टीम ने इंग्लैंड को शिकस्त देकर विश्व क्रिकेट पर अपना असर छोड़ा। उसके बाद 1983 में खेले गए तीसरे वनडे विश्व कप में वेस्टइंडीज को भारतीय क्रिकेट टीम से हार का सामना करना पड़ा। मोटे तौर पर कहा जाए तो यहीं से वेस्टइंडीज क्रिकेट का ढलान शुरू हो गया था और भारतीय क्रिकेट का उदय।
1983 विश्व कप हार से लगा वेस्टइंडीज क्रिकेट को सदमा
1983 विश्व कप में मिली हार वेस्टइंडीज क्रिकेट के लिए बड़ा सदमा साबित हुई। विश्व कप हार के बाद लॉयड ने संन्यास ले लिया और कमान रिचर्ड्स के हाथों में आ गई। रिचर्ड्स की कप्तानी में वेस्टइंडीज 1987 विश्व कप में ग्रुप चरण से भी आगे नहीं बढ़ पाई। इसके बाद 1991 में रिचर्ड्स ने भी संन्यास ले लिया। 1992 का विश्व कप भी टीम के लिए बुरा सपना साबित हुआ और टीम पहले दौर में ही बाहर हो गई।
90 के दशक में मिले लारा और चंद्रपॉल जैसे स्टार
90 के दशक में वेस्टइंडीज टीम को ब्रायन लारा और शिवनारायण चंद्रपॉल जैसे बेहतरीन बल्लेबाज मिले। कर्टनी वॉल्श, इयान बिशप और कर्टली एम्ब्रोस जैसे गेंदबाजों के सहयोग से टीम ने फिर खड़ा होने का प्रयास किया। लगातार 2 विश्व कप की नाकामी के बाद वेस्टइंडीज विश्व कप 1996 के सेमीफाइनल में पहुंच गया। लारा की कप्तानी में टीम ने कुछ सफलताएं (चैंपियंस ट्रॉफी उपविजेता (1998), चैंपियंस ट्रॉफी विजेता (2004) और चैंपियंस ट्रॉफी उपविजेता (2006) अर्जित की।
1996 के बाद वनडे विश्व कप में असर नहीं छोड़ पाया वेस्टइंडीज
2001 में एम्ब्रोस और वॉल्श के संन्यास के बाद वेस्टइंडीज की गेंदबाजी कमजोर होती चली गई। हालांकि, इस दौरान क्रिस गेल, रामनरेश सरवन और मर्लोन सैमुअल्स जैसे अच्छे बल्लेबाज मिले, लेकिन 2000 के बाद से कमजोर गेंदबाजी और चुनिंदा बल्लेबाजों के भरोसे वेस्टइंडीज कमजोर होती चली गई। इसके बाद हर वनडे विश्व कप (1999 (पहला दौर), 2003 (पहला दौर), 2007 (छठा स्थान), 2011 (क्वार्टरफाइनल), 2015 (क्वार्टरफाइनल) और 2019 (9वां स्थान) में टीम ने निराश किया।
वेस्टइंडीज में टेस्ट, वनडे क्रिकेट की दुर्दशा और टी-20 क्रिकेट का जलवा
वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम साल 2000 के बाद से टेस्ट क्रिकेट और वनडे क्रिकेट में निराशाजनक प्रदर्शन करती रही। इस बीच टी-20 क्रिकेट में टीम ने बड़ी सफलताएं अर्जित करते हुए साल 2012 और 2016 में टी-20 विश्व कप जीत लिए। हालांकि, यह केवल सीमित सफलता थी जो जिसके परिणाम भी सीमित ही मिले। अब आलम यह है कि टीम छोटी-छोटी टीमों के सामने भी आसानी से हथियार डाल देती है।
वेस्टइंडीज क्रिकेट के लिए सबसे शर्मनाक घटना
हाल में संपन्न हुए विश्व कप क्वालीफायर्स में खराब प्रदर्शन के चलते वेस्टइंडीज टीम वनडे विश्व कप 2023 के लिए क्वालीफाई नहीं कप पाई। उसे स्कॉटलैंड, जिम्बाब्वे और नीदरलैंड से हार झेलनी पड़ी। विश्व कप 1975 के बाद पहली बार वेस्टइंडीज इसका हिस्सा नहीं होगा।