1975 से 2019: जानें क्रिकेट विश्व कप के 44 साल के सफर में क्या-क्या बदलाव आए
क्रिकेट विश्व कप फिलहाल के समय में काफी बड़ा इवेंट हो चुका है और चार साल में एक बार होने वाले क्रिकेट के इस महाकुंभ के लिए दर्शक काफी बेकरार रहते हैं। 44 साल के विश्व कप के सफर में काफी कुछ बदला है औऱ जमाने के साथ-साथ चलते हुए विश्व कप ने खुद को हमेशा अपटेड रखा है। जानें, कैसा रहा विश्व कप का 44 साल का सफर और इसमें क्या-क्या बदलाव हुए।
स्पॉन्सरशिप से ऑनरशिप का सफर
1975 से लेकर 1983 तक खेले पहले तीन विश्व कप को प्रुडेंटियल पीएलसी ने स्पॉन्सर किया था। 1987 में रिलायंस तो वहीं 1992 में ब्रैंसन एंड हेड्स ने विश्व कप को स्पॉन्सर किया। श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर 1996 में विल्स ट्रॉफी जीती। 1999 में जाकर ICC को लंदन के रहने वाले गेरार्ड एंड कंपनी मिले जिन्होंने उनके लिए शानदार विश्व कप ट्रॉफी को डिजाइन किया। इसके बाद से यह ICC की ऑनरशिप में खेला जा रहा है।
60 ओवरों से 50 ओवरों का सफर
क्रिकेट विश्व कप की शुरुआत 60 ओवर के मैच से की गई थी और पहले तीन विश्व कप में मुकाबले 60-60 ओवर के हुए थे। पहले तीन विश्व कप इंग्लैंड में खेले जाते थे तो वहां अंधेरा लेट से होता था और 60 ओवर पूरे करने में दिक्कत भी नहीं होती थी। 1987 में पहली बार भारत और पाकिस्तान ने मिलकर विश्व कप का आयोजन किया और इसमें ही 50 ओवर के साथ ही डे-नाइट मुकाबलों की भी शुरुआत हुई।
1992 में सफेद से रंग बिरंगी हुई खिलाड़ियों की ड्रेस
फिलहाल हम टेस्ट और वनडे में अलग-अलग ड्रेस देखते हैं, लेकिन पहले के समय में ऐसा नहीं था। चाहे 1975 हो या फिर 1983 सभी टीमें सफेद शर्ट और सफेद पैंट में ही खेलती नजर आती थीं। हालांकि, 1992 में टीमों ने अपनी-अपनी रंग-बिरंगी पोशाकों में खेलना शुरु किया और सफेद कपड़े केवल टेस्ट में पहने जाने लगे। इसके साथ ही लाल गेंद को बदलकर सफेद गेंद का इस्तेमाल किया जाने लगा।
काफी ज़्यादा बढ़ गई है टीमों को मिलने वाली प्राइज मनी
1975 में पहला क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली वेस्टइंडीज को 4,000 पौंड (अब के लगभग 3.5 लाख रुपये) की प्राइज मनी मिली थी। पहले विश्व कप की कुल प्राइज मनी 9,000 पौंड ही थी। 1983 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम को 20,000 पौंड (अब के लगभग 17.5 लाख रुपये) मिले थे। 2003 विश्व कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलिया को लगभग 10 करोड़ 60 लाख रुपये मिले थे। 2019 विश्व कप की प्राइज मनी लगभग 70 करोड़ रुपये है।
2011 विश्व कप से शुरु हुआ DRS का इस्तेमाल
क्रिकेट को और भी बेहतर बनाने तथा अंपायरों के निर्णय को चुनौती देने के लिए DRS (Desicion Review System) की शुरुआत की गई। 2011 विश्व कप में पहली बार DRS का इस्तेमाल किया गया था।
2015 विश्व कप से शुरु हुई लाइट वाली स्टंप और गिल्लियों का उपयोग
क्रिकेट को आधुनिक बनाने के लिए 2015 में ICC ने एक बड़ा निर्णय लिया। 2015 विश्व कप में LED लाइट वाली स्टंप और गिल्लियों का उपयोग किया गया था।