मीराबाई चानू ने जीता ओलंपिक रजत पदक, अब तक ऐसा रहा है भारोत्तोलन में सफर
भारतीय महिला भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतते हुए इतिहास रच दिया। उन्होंने भारत को टोक्यो ओलंपिक का पहला पदक दिलाया है। वह भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली केवल दूसरी भारोत्तोलक हैं। इसके अलावा भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय एथलीट हैं। चानू ने उम्मीदों पर खरा उतरकर दिखाया है। आइए जानते हैं अब तक कैसा रहा है इस खेल में चानू का सफर।
2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में चानू ने जीता था रजत पदक
2014 में ग्लास्गो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक जीतकर चानू ने अपने करियर का शानदार आगाज किया था। उन्होंने इसी वर्ग में 2016 ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई किया था। 2016 ओलंपिक में चानू ने भार उठाने के लिए छह प्रयास किए और केवल एक ही बार उन्हें सफलता मिली थी। वह रियो ओलंपिक से खाली हाथ ही लौटी थीं, लेकिन उनका हौसला नहीं डिगा था।
वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ में चानू ने जीता स्वर्ण
2017 वर्ल्ड चैंपियनशिप में चानू ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। उन्होंने प्रतियोगिता का रिकॉर्ड 194 किलोग्राम का कुल भार उठाया था। अगले साल उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया और अपने रजत को स्वर्ण में तब्दील किया। छह बार भार उठाने के दौरान उन्होंने अपने छह व्यक्तिगत रिकॉर्ड्स को तोड़ा था। उन्होंने अपने नेशनल रिकॉर्ड को भी एक किलोग्राम से सुधारा था।
एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में चानू ने जीता था कांस्य
कोरोना वायरस महामारी के कारण 2020 एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप का आयोजन उज्बेकिस्तान में किया गया था। चानू ने 49 किलोग्राम भारवर्ग में हिस्सा लिया था। उन्होंने 119 किलोग्राम का भार उठाकर इस वर्ग में महिलाओं के लिए क्लीन एंड जर्क में नया विश्व रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने कांस्य पदक जीतने के लिए कुल 205 किलोग्राम (86+119 किलोग्राम) का भार उठाया था जो कि उनका व्यक्तिगत बेस्ट प्रदर्शन है।
मेरे जीवन के सभी त्यागों का नतीजा है यह पदक- चानू
ओलंपिक पदक जीतने के बाद चानू ने इंडिया टुडे से कहा कि पांच साल की कड़ी तपस्या का फल उन्हें आखिरकार मिल गया है। उन्होंने आगे कहा, "रियो ओलंपिक में फेल होने के बाद मैं दुखी थी। मैंने अपने जीवन में अब तक जितने भी त्याग किए हैं यह रजत पदक उसी का फल है। पूरी रात मैं पदक जीतने का सपना देख रही थी। मैंने स्वर्ण जीतने का सपना देखा था।"