ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत: भारत के डे-नाइट टेस्ट हारने के बाद क्या सीख मिली?
एडिलेड में खेले गए डे-नाइट टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को आठ विकेट से हरा दिया है। पहली पारी में 53 रनों की बढ़त हासिल करने के बाद भारतीय टीम दूसरी पारी में 36 रन ही बना सकी। टेस्ट क्रिकेट में अपना सबसे न्यूनतम स्कोर बनाने वाली भारतीय टीम के नाम कई शर्मनाक रिकॉर्ड दर्ज हो गए हैं। आइए जानते हैं पहले टेस्ट से भारत को क्या सीख लेनी चाहिए।
पृथ्वी शॉ को सुधारनी होगी अपनी तकनीक
युवा ओपनर पृथ्वी शॉ को खराब फॉर्म के बावजूद टीम मैनेजमेंट का सपोर्ट मिला और उन्होंने डे-नाइट टेस्ट खेला। हालांकि, शॉ दोनों ही पारियों में नाकाम रहे और दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सके। पहली पारी में शॉ दूसरी ही गेंद पर क्लीन बोल्ड हुए तो वहीं दूसरी पारी में वह चार रन ही बना सके। दोनों पारियों में क्लीन बोल्ड होने वाले शॉ का फुटवर्क काफी खराब रहा और उन्हें तकनीक पर काम करना होगा।
दूसरी पारी में पुजारा को करना होगा अच्छा प्रदर्शन
चेतेश्वर पुजारा ने पहली पारी में दृढ़ता के साथ बल्लेबाजी की, लेकिन दूसरी पारी में वह फेल रहे। सीरीज में यदि भारतीय टीम को वापसी करनी है तो पुजारा को अब दूसरी पारी में भी अच्छी बल्लेबाजी शुरु करनी होगी। टेस्ट में 48.22 की औसत रखने वाले पुजारा का औसत तीसरी और चौथी पारी में 35 का हो जाता है। पुजारा ने 18 में से केवल दो शतक इन पारियों में लगाया है।
भारतीय फील्डर्स ने एक बार फिर किया खराब प्रदर्शन
भारतीय फील्डर्स ने एक बार फिर खराब प्रदर्शन किया और कैच टपकाए। ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के दौरान भारतीय फील्डर्स ने चार कैच गिराए थे। मार्नश लाबूशेन का कैच जसप्रीत बुमराह और पृथ्वी शॉ ने गिराया और उन्होंने 47 रनों की पारी खेली। इसके बाद टिम पेन का कैच मयंक अग्रवाल और मिचेल स्टार्क का कैच रिद्धिमान साहा ने टपकाया। पेन ने 71 रनों की बेहद अहम पारी खेल डाली।
बॉक्सिंग-डे टेस्ट से ये हैं उम्मीदें
पहले टेस्ट के दौरान लगी मोहम्मद शमी को चोट भारत के लिए चिंता का विषय बन गई है। कप्तान विराट कोहली भी आगे के मैचों के लिए उपलब्ध नहीं होंगे और इससे भारतीय टीम पर दबाव और बढ़ेगा। मेलबर्न में दूसरा टेस्ट 26 दिसंबर से शुरु होने वाला है और यदि डेविड वॉर्नर फिट होकर वापस आ जाते हैं तो ऑस्ट्रेलियाई टीम और मजबूत हो जाएगी। केएल राहुल और शुभमन गिल भारतीय टीम में आ सकते हैं।