शफाली वर्मा: लड़की होने के कारण अकादमी में नहीं मिली एंट्री, फिर लड़का बनकर लिया दाखिला
दक्षिण अफ्रीका और भारतीय महिला क्रिकेट टीम के बीच मंगलवार को खेले गए चौथे टी-20 मैच में भारत की सलामी बल्लेबाज़ शफाली वर्मा ने भारत की जीत में अहम योगदान दिया। गौरतलब है कि शफाली टी-20 अंतर्राष्ट्रीय में सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाली भारतीय खिलाड़ी हैं। लेकिन सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानने वाली शफाली का यहां तक पहुंचने का सफर बेहद संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायी रहा है। आइये जानें शफाली के यहां तक पहुंचने की कहानी।
लड़की होने के कारण शफाली को नहीं मिला था अकादमी में दाखिला
शफाली वर्मा के पिता संजीव वर्मी ने TOI को दिए साक्षात्कार में बताया कि जब उन्होंने शफाली को क्रिकेटर बनाने के बारे में सोचा, तो उन्हें शुरुआत में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, "पूरे शहर में कोई भी क्रिकेट अकादमी शफाली को दाखिला देने को तैयार नहीं थी, क्योंकि रोहतक में कहीं भी लड़कियों के लिए कोई क्रिकेट अकादमी नहीं थी। मैंने कई अकादमी में गिड़गिड़ाते हुए भीख मांगी, लेकिन किसी ने भी उसे दाखिला नहीं दिया।"
लड़का बनकर शफाली ने लिया अकादमी में दाखिला
रोहतक में एक छोटी सी ज्वेलरी शॉप चलाने वाले संजीव ने आगे बताया कि उन्होंने कई क्रिकेट अकादमी के दरवाज़े खटखटाए, लेकिन सभी जगहों से उन्हें निराशा हाथ लगी। उन्होंने कहा, "सभी जगह से रिजेक्शन मिलने के बाद मैंने उसके बाल कटवा दिए और उसे एक लड़का बनाकर क्रिकेट अकादमी में दाखिला दिलाने ले गया।" उन्होंने आगे कहा, "किसी को नहीं पता चला कि वह लड़की है। क्योंकि नौ साल की उम्र में तो सब एक जैसे ही लगते हैं।"
शफाली ने कभी हार नहीं मानी और हर मुश्किल का सामना किया- संजीव
संजीव ने आगे बताया कि इस खेल के लिए शफाली का जुनून दिन पर दिन बढ़ता गया। हालांकि, उसे लड़कों के साथ खेलने में दिक्कत होती थी, क्योंकि लड़के उसके सिर को टारगेट करते थे। उन्होंने कहा, "लड़कों के खिलाफ खेलना उसके लिए आसान नहीं था, क्योंकि वह अक्सर हेलमेट पर चोट मारते थे। कुछ अवसरों पर, गेंद ने उसके हेलमेट की ग्रिल को भी तोड़ दिया था। मैं चिंतित हो जाता था, लेकिन शफाली ने कभी हार नहीं मानी।"
इस तरह शफाली ने क्रिकेट को चुना अपना भविष्य
शफाली के अंदर इस खेल को खेलने का जुनून तब पैदा हुआ, जब वह नौ साल की उम्र में अपने पिता के कंधो पर बैठकर 2013 में सचिन तेंदुलकर का आखिरी रणजी मैच देखने गई थी। सचिन जब हरियाणा के खिलाफ लाहली में अपना आखिरी रणजी मैच खेल रहे थे, तो शफाली चौधरी बंसीलाल क्रिकेट स्टेडियम के स्टैंड में अपने पिता के कंधों पर बैठकर सचिन, सचिन, सचिन चिल्ला रही थी। इसके बाद ही उन्होंने क्रिकेटर बनने की ठान ली।
चौथे टी-20 में शफाली ने सिर्फ 33 गेंदो में बनाए 46 रन
डेब्यू मैच में शून्य पर आउट होने वाली शफाली ने चौथे टी-20 में सिर्फ 33 गेंदो में 46 रनों की पारी खेली। शफाली कोे डैनियल व्याट और मिताली राज भविष्य का सुपर स्टार मानती हैं। सूरत में TOI से शफाली ने कहा, "डेब्यू मैच में शून्य पर आउट होने के बाद अब थोड़ा रिलैक्स महसूस कर रही हूं। सीनियर खिलाड़ियों ने पहले मैच के बाद मेरा समर्थन किया और मुझे खुशी है कि मैंने टीम की जीत में योगदान दिया।"
इस तरह चौथे टी-20 में भारत को मिली जीत
पांच मैचों की टी-20 सीरीज़ के दो मैच बारिश में धुल जाने के बाद भारतीय महिला टीम अब सीरीज़ में 2-0 की अजेय बढ़त बना चुकी है। इस सीरीज़ का फाइनल मुकाबला 4 अक्टूबर को सूरत में खेला जाएगा। चौथे टी-20 में शफाली की शानदार पारी की बदौलत भारत ने 17 ओवर के मैच में 140 रन बनाए। जवाब में अफ्रीकी टीम 89 रनों पर ही ढ़ेर हो गई। पूनम यादव ने तीन और राधा यादव ने दो विकेट लिए।