भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने लिया संन्यास
भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने गुरुवार (24 अक्टूबर) को अपने संन्यास की घोषणा की। इसके साथ ही उनके 16 साल के शानदार करियर का अंत हो गया। 2008 में ओलंपिक क्वालीफायर में 14-15 साल की उम्र में रानी ने अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया था। भारत की इस स्टार स्ट्राइकर ने 250 से अधिक मैचों में देश का प्रतिनिधित्व किया था। आइए इस खबर पर एक नजर डालते हैं।
मेरी यात्रा शानदार रही- रानी रामपाल
रानी ने अपने संन्यास की घोषणा करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यह एक शानदार यात्रा रही है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत के लिए इतने लंबे समय तक खेलूंगी। मैंने बचपन से बहुत गरीबी देखी है, लेकिन मेरा ध्यान हमेशा कुछ करने, देश का प्रतिनिधित्व करने पर था।" उन्हें 2020 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उसी वर्ष देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से भी नवाजा गया था।
रानी रामपाल की कप्तानी में ओलंपिक में पदक से चूका था भारत
रानी ने 2018 एशियाई खेलों में कप्तान के रूप में भारतीय महिला हॉकी टीम का नेतृत्व किया, जहां उन्होंने रजत पदक जीता। वह खेलों के समापन समारोह के लिए भारत की ध्वजवाहक थीं। टोक्यो ओलंपिक 2020 में रानी की कप्तानी में भारतीय महिला टीम कांस्य पदक से चूक गई थी। उन वैश्विक खेलों में भारतीय टीम चौथे स्थान पर रही थी। यह ओलंपिक इतिहास में भारतीय महिला टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
हरियाणा के कुरुछेत्र में जन्मीं हैं रानी
4 दिसंबर, 1994 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में जन्मी रानी ने 7 साल की उम्र में ही हॉकी की ट्रेनिंग लेनी शुरु कर दी थी। उस समय उनके पिता हाथगाड़ी खींचने का काम करते थे। उन्होंने न्यूजबाइट्स को बताया था, "मैंने 7 साल की उम्र में ही हॉकी की ट्रेनिंग शाहबाद में लेनी शुरु कर दी थी। हमारे यहां से 50-60 खिलाड़ी इंडिया को रिप्रजेंट कर चुके हैं तो उनसे ही मुझे हॉकी खेलने की प्रेरणा मिली।"