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    संघर्ष, सफर और ओलंपिक की तैयारियां; भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी से खास बातचीत

    संघर्ष, सफर और ओलंपिक की तैयारियां; भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी से खास बातचीत

    लेखन Neeraj Pandey
    Feb 10, 2020
    04:57 pm

    क्या है खबर?

    इस साल ओलंपिक होना है और महिला हॉकी टीम से भारतीय फैंस को काफी उम्मीदें हैं। पिछले कुछ सालों में महिला हॉकी टीम ने काफी अच्छा प्रदर्शन भी किया है।

    महिला हॉकी टीम में एक खिलाड़ी हैं जिन्होंने गरीबी को मात दी और अपनी कठिन मेहनत के दम पर खुद को नेशनल टीम का कप्तान बनाया है।

    हम बात कर रहे हैं रानी रामपाल की, जिन्होंने हमसे अपने शुरुआती दिनों से लेकर तमाम बातें साझा की।

    शुरुआती दौर

    सात साल की उम्र में ही शुरु कर दी थी हॉकी की ट्रेनिंग

    4 दिसंबर, 1994 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में जन्मी रानी रामपाल ने सात साल की उम्र में ही हॉकी की ट्रेनिंग लेनी शुरु कर दी थी। उस समय उनके पिता हाथगाड़ी खींचने का काम करते थे।

    उन्होंने हमे बताया, "मैंने सात साल की उम्र में ही हॉकी की ट्रेनिंग शाहबाद में लेनी शुरु कर दी थी। हमारे यहां से 50-60 खिलाड़ी इंडिया को रिप्रजेंट कर चुके हैं तो उनसे ही मुझे हॉकी खेलने की प्रेरणा मिली।"

    बयान

    आज के दौर में महिलाओं को मिल रही है ज़्यादा आजादी- रानी

    रानी बताती हैं कि जब वह हॉकी खेलना शुरु कर रही थीं, तब हरियाणा में लड़कियों को ज़्यादा बाहर जाने की इजाजत नहीं मिलती थी, लेकिन अब वहां के लोगों ने महिलाओं को काफी छूट दी है।

    हॉकी ही क्यों?

    इस कारण रानी ने हॉकी को बनाया अपना पहला प्यार

    हरियाणा में कुश्ती, कबड्डी और बॉक्सिंग समेत कई ऐसे खेल हैं जिन्हें काफी पसंद किया जाता है।

    हालांकि, इन सबके बीच भी रानी ने काफी कम उम्र में ही निर्णय ले लिया था कि उन्हें हॉकी ही खेलनी है।

    हॉकी को अपना पहला प्यार चुनने के बारे में रानी ने कहा, "शाहबाद से इतने सारे लोगों ने भारत को रिप्रजेंट किया है और हमारे शहर में हॉकी ही केवल एक खेल था। इसलिए मैंने हॉकी को चुना।"

    जानकारी

    कोच ने की थी हॉकी स्टिक और जूते लेने में मदद

    रानी ने जब हॉकी खेलना शुरु किया तो उनका परिवार इस काबिल भी नहीं था कि वह उन्हें हॉकी स्टिक और जूते खरीदकर दे सके। उन्होंने हमे बताया कि उनके कोच ने उन्हें जरूरी चीजें खरीदने में मदद की और ट्रेनिंग शुरु कराई।

    नेशनल टीम

    कड़ी मेहनत के बाद 15 साल की उम्र में ही भारतीय टीम में पहुंची

    भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए खेलने वाली सबसे युवा खिलाड़ी रानी को 15 साल की उम्र में ही 2009 में भारतीय टीम में शामिल होने का मौका मिल गया था।

    वह उन दिनों को याद करते हुए कहती हैं, "मैं जब टीम में आई तो 10-11 साल के अनुभव वाली खिलाड़ी वहां मौजूद थीं, लेकिन सभी ने मुझे सपोर्ट किया।"

    उन्होंने आगे कहा, "अनुभवी खिलाड़ियों के सामने मुझे थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन सबकी मदद से मेरा काम आसान हुआ।"

    बदलाव

    आज के समय में ट्रेनिंग में आया है काफी बदलाव

    रानी अपने ट्रेनिंग के दिनों को याद करती हैं तो उन्हें लगता है कि आज के समय में काफी ज़्यादा सुधार आया है।

    उन्होंने कहा, "पहले के समय में ट्रेनिंग के लिए इतनी चीजें नहीं थीं जितनी अभी मौजूद हैं। खेलो इंडिया के तहत कम उम्र में ही एथलीट्स को अच्छा मंच मिल रहा है। आज साइंटिफिक ट्रेनिंग दी जा रही है।"

    रानी आगे कहती हैं, "आज के समय में सरकार एथलीट्स पर काफी ध्यान देती है।"

    कोच की भूमिका

    कोच ने मुझे काफी ज़्यादा मार्गदर्शन दिया- रानी

    रानी बताती हैं कि जब वह नेशनल टीम में आईं, उससे पहले भी गुरु द्रोणाचार्य अवार्ड जीत चुके उनके कोच बलदेव सिंह ने उन्हें काफी मागदर्शन दिया।

    उन्होंने कहा, "मेरे कोच हमेशा मुझे बताते हैं कि मैं क्या कर सकती हूं और मुझे क्या करना चाहिए। लाइफ में भी हमें क्या करना चाहिए उसको लेकर भी कोच बताते रहते हैं। हॉकी में सीनियर हो या जूनियर, हर लेवल पर मुझे कैसे खेलना है, इसके बारे में भी वही बताते हैं।"

    अवार्ड

    अवार्ड जीतने से नहीं महसूस करती दबाव

    रानी को हाल ही में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की है। इसके अलावा उन्हें 'वर्ल्ड एथलीट ऑफ द ईयर' का अवार्ड भी मिला है।

    उनके मुताबिक उनका यह अवार्ड अन्य भारतीय एथलीट्स को प्रेरित करेगा।

    भारत के लिए 200 से ज्यादा मुकाबले खेल चुकी रानी कहती हैं, "अवार्ड जीतने से ऐसा लगता है कि आपके काम का फल आपको दिया जा रहा है। हालांकि, कोई भी अवार्ड जीतने से प्रदर्शन का दबाव नहीं बढ़ता है।"

    बयान

    मेरा अवार्ड विमेंस हॉकी को समर्पित है- रानी

    रानी ने अपने अवार्ड के बारे में कहा, "मेरा अवार्ड विमेंस हॉकी को समर्पित है। काफी अच्छा लगता है जब लोग विमेंस को और विमेंस टीम को इतना प्यार और सम्मान देते हैं।"

    ओलंपिक की तैयारियां

    उम्मीद है कि ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करेंगे

    इस साल टोक्यो ओलंपिक होना है और विमेंस टीम से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। रानी का भी मानना है कि पिछले 3-4 सालों में विमेंस टीम का खेल काफी अच्छा रहा है।

    उन्होंने कहा, "हमारी टीम काफी अच्छी है। ओलंपिक में खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता है। ओलंपिक में जाने के बाद हर कोई देश के लिए मेडल जीतना चाहता है। उम्मीद है कि हमारी टीम भी ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करेगी।"

    उपलब्धियां

    रानी की कप्तानी में भारत ने जीता था एशियन गेम्स का सिल्वर मेडल

    रानी रामपाल ने अपनी कप्तानी में भारत को जकार्ता में हुए 2018 एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जिताया था।

    भारत ने इंडोनेशिया को 8-0 और कजाकिस्तान को 21-0 से धोया था।

    इससे पहले रानी ने 2014 में भारतीय टीम के साथ एशियन गेम्स का ब्रॉन्ज मेडल भी जीता था।

    2013 में वह जूनियर विश्व कप की 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' रही थीं और भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

    जानकारी

    न्यूजबाइट्स के रीडर्स और अपने फैंस के लिए रानी की अपील

    रानी ने न्यूजबाइट्स के रीडर्स और अपने फैंस को अपील करते हुए कहा, "सभी फैंस से मैं कहना चाहूंगी कि आप ऐसे ही मुझे सपोर्ट करते रहें और आपकी दुआओं से मैं भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करती रहूंगी।"

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