कितने प्रकार की होती है क्रिकेट पिच? जानिए इससे जुड़ी हर जरूरी बात
क्रिकेट खेलने के लिए सबसे अहम चीज मैदान और पिच होती है। क्रिकेट पिच 20.12 मीटर लंबी और 3.05 मीटर चौड़ी होती है। पिच के कई प्रकार होते हैं और पिच के प्रकार के हिसाब से ही कई बार मैचों के परिणाम भी बदल सकते हैं। खास तौर से टेस्ट क्रिकेट में एक आदर्श पिच का होना काफी जरूरी है। आइए जानते हैं पिच के प्रकार और इससे जुड़ी हर अहम बात।
तीन प्रकार की होती है क्रिकेट पिच
क्रिकेट की पिच मुख्यतः तीन प्रकार की होती है- ग्रीन टॉप, डस्टी और डेड पिच। ग्रीन टॉप और डस्टी पिच गेंदबाजों की मददगार साबित होती है तो वहीं डेड पिच पर बल्लेबाजों की मौज होती है खूब रन बन सकते हैं।
इंग्लैंड में खास तौर से पाई जाती है ग्रीन टॉप पिच
जिस पिच पर इतनी अच्छी मात्रा में घास छोड़ी जाती है, जिससे कि पूरी पिच हरी-भरी दिखाई दे, उसे ग्रीन टॉप कहते हैं। आमतौर पर ऐसी पिच इंग्लैंड में बनाई जाती हैं और इस पिच पर तेज गेंदबाजों को काफी ज़्यादा मदद मिलती है। न्यूजीलैंड भी वेलिंग्टन के बेसिन रिजर्व में ऐसी पिच बनाता है क्योंकि हवा चलने और बादल रहने पर यह पिच बल्लेबाजों के लिए कब्रगाह बन जाती है।
एशिया में पाई जाती हैं डस्टी पिच
जिस पिच पर गेंद गिरने पर धूल उड़ती है उसे डस्टी पिच कहा जाता है। ऐसी पिच पर तेज गेंदबाजों को गति और उछाल दोनों हासिल करने में काफी दिक्कत होती है। हालांकि, इस पिच पर स्पिनर्स को काफी ज़्यादा मदद मिलती है और गेंद को टर्न कराकर बल्लेबाजों को परेशान कर सकते हैं। खास तौर से एशिया में टर्न लेने वाली डस्टी पिचों का इस्तेमाल टेस्ट मैचों में किया जाता है।
लिमिटेड ओवर्स के मुकाबलों में बनाई जाने लगी हैं डेड पिच
ऐसी पिच जिस पर गेंदबाजों के लिए कोई मदद नहीं हो उसे डेड या सपाट पिच कहा जाता है। यहां गेंद गिरने के बाद बल्ले पर बेहतरीन तरीके से आती है और इसीलिए ऐसी पिचों का उपयोग लिमिटेड ओवर्स के मुकाबलों में किया जाने लगा है। टेस्ट क्रिकेट में ऐसी पिच के उपयोग पर मैच के ड्रॉ होने की उम्मीद काफी ज़्यादा रहती है, लेकिन लिमिटेड ओवर्स में मुकाबला हाई-स्कोरिंग हो जाता है।
ड्रॉप-इन पिचों का भी किया जा चुका है इस्तेमाल
ऐसी पिच, जिन्हें मैदान के बाहर तैयार किया जाए और फिर मैच से पहले उसे मैदान में पहुंचाया जाए, को ड्रॉप-इन पिच कहते हैं। इन्हें पहली बार वर्ल्ड क्रिकेट सीरीज़ के दौरान इस्तेमाल करने के लिए WACA क्यूरेटर जॉन मेली द्वारा तैयार किया गया था। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड और न्यूजीलैंड के क्वींसलैंड में इन पिचों का इस्तेमाल मुख्य रूप से किया जाता है। 2005 में गाबा ने इनके इस्तेमाल से इंकार कर दिया था।
टेस्ट मैच के लिए कैसी होनी चाहिए आदर्श पिच?
टेस्ट के लिए आदर्श पिच ऐसी होनी चाहिए जिस पर गेंदबाजों और बल्लेबाजों दोनों को बराबर मदद मिले। पहले दिन पिच पर सीम और बाउंस होना चाहिए और अगर ऐसा हुआ तो पिच में टर्न भी जरूर रहेगा। दूसरे और तीसरे दिन सूखनी चाहिए, लेकिन बल्लेबाजी के लिए बहुत मुश्किल हालात नहीं होने चाहिए। आखिरी दो दिन पिच पर बने रफ से स्पिनर्स को मदद मिलेगी तो बल्लेबाजी और गेंदबाजी में बेहतरीन प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी।
खराब पिच पर सजा भी देती है ICC
2017 में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने खराब पिच और आउटफील्ड के लिए मैदानों को सजा देने के लिए एक स्कीम बनाई थी। हर इंटरनेशनल मैच के बाद ICC के रेफरी पिच को रेटिंग देते हैं। औसत से नीचे, खराब या अनफिट रेटिंग पाने वाली पिचों को डिमेरिट प्वाइंट दिए जाते हैं। पांच साल की अवधि में पांच प्वाइंट पाने वाले मैदान से 12 महीनों के लिए इंटरनेशनल मैचों की मेज़बानी का अधिकार छीन लिया जाता है।