ISRO अपने ही सैटेलाइट मेघा-ट्रॉपिक्स-1 को क्यों नष्ट कर रहा है?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने सैटेलाइट मेघा-ट्रॉपिक्स-1 (MT1) को नष्ट करने की योजना बनाई है। ये सैटेलाइट एक दशक से भी अधिक समय तक सेवा देने के बाद पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करेगा। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कराने के बाद इस सैटेलाइट को आसमान में ही नष्ट कर प्रशांत महासागर में गिराया जाएगा। हालांकि, ISRO के लिए इसे गिराना चुनौतीपूर्ण भी है। इस सैटेलाइट में अभी 125 किलो ईंधन बचा हुआ है।
तीन साल के लिए लॉन्च किया गया था मेघा-ट्रॉपिक्स-1
मेघा-ट्रॉपिक्स-1 को ISRO और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी सेंटर नेशनल डी-एट्यूड्स स्पेसियल्स (CNES) द्वारा एक संयुक्त मिशन के रूप में 12 अक्टूबर, 2011 को लो अर्थ ऑर्बिट में लॉन्च किया गया था। शुरू में इस सैटेलाइट को तीन साल के लिए लॉन्च किया गया था, लेकिन बाद में इसे बढ़ा दिया गया। ये सैटेलाइट एक दशक तक जलवायु के बारे में महत्वपूर्ण डाटा प्रदान करता रहा। इस सैटेलाइट का वजन करीब 1,000 किलोग्राम है।
संस्कृत और फ्रेंच से मिलकर बना है मेघा-ट्रॉपिक्स-1 का नाम
ISRO ने एक बयान में कहा, "उपग्रह 2021 तक क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु मॉडल का समर्थन करते हुए एक दशक से अधिक समय तक जरूरी डाटा देता रहा।" इसका नाम संस्कृत के मेघा और फ्रेंच के ट्रॉपिक्स से मिलाकर बनाया गया है। मेघा का मतलब बादल और ट्रॉपिक्स का अर्थ ऊष्णकटिबंध होता है। अंतरिक्ष यान का निर्माण ISRO ने किया था। इसमें पृथ्वी के वातावरण का अध्ययन करने के लिए 4 उपकरण लगे थे।
अंतरिक्ष मलबे को लेकर वचनबद्ध है ISRO
अंतरिक्ष मलबे को लेकर UNIADC के प्रति अपनी वचनबद्धता के रूप में ISRO इस सैटेलाइट को नष्ट कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देश कहते हैं कि सैटेलाइट को उसकी समय सीमा समाप्त होने के बाद कक्षा से हटा दिया जाना चाहिए। ISRO के लिए इसे नष्ट करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें मौजूद 125 किलोग्राम ईंधन जोखिम पैदा कर सकता है। ISRO के मुताबिक, बचा हुआ ईंधन सैटेलाइट को पृथ्वी के वायुमंडल में लाने के पर्याप्त है।
जोखिम कम करने के लिए कम ऊंचाई पर नष्ट किया जाएगा सैटेलाइट
ISRO ने कहा, "एरो-थर्मल सिमुलेशन से पता चलता है कि री-एंट्री के दौरान सैटेलाइट के बड़े टुकड़ों का एयरोथर्मल हीटिंग से बचना संभव नहीं है।" टारगेटेड सुरक्षित जोन में दुर्घटना जोखिम कम करने के लिए नियंत्रित री-एंट्री में बहुत कम ऊंचाई पर सैटेलाइट को नष्ट किया जाएगा। ISRO ने निष्क्रिय हो चुके अंतरिक्ष यानों को हटाने के लिए अगस्त, 2022 से अब तक 18 प्रयास किए। अंतिम दो डी-बूस्ट बर्न मंगलवार शाम 4:30 से 7:30 बजे के बीच होंगे।