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    अगले साल लॉन्च होगा भारत का पहला सोलर मिशन 'आदित्य L1', ISRO ने दी जानकारी
    कोविड-19 के चलते आदित्य L1 मिशन टाल दिया गया था।

    अगले साल लॉन्च होगा भारत का पहला सोलर मिशन 'आदित्य L1', ISRO ने दी जानकारी

    लेखन प्राणेश तिवारी
    Sep 17, 2021
    09:14 pm

    क्या है खबर?

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की ओर से अगले साल पहला सोलर मिशन लॉन्च किया जा सकता है, जिसका नाम आदित्य L1 रखा गया है।

    यह मिशन अंतरिक्ष के रहस्यों और सूर्य के बारे में शोध से जुड़ा डाटा जुटाने के लिए साल 2022 की दूसरी तिमाही में लॉन्च किया जा सकता है।

    बता दें, इस मिशन को साल 2020 की शुरुआत में कोरोना वायरस महामारी आने के चलते आगे बढ़ा दिया गया था।

    लॉन्च

    अगले साल एक्सपोसैट के साथ हो सकता है लॉन्च

    ISRO की योजना आदित्य L1 मिशन को तभी लॉन्च करने की है, जब भारत की दूसरी स्पेस ऑब्जर्वेटरी एक्सपोसैट (Xposat) का लॉन्च तय किया गया है।

    इस ऑब्जर्वेटरी की मदद से अंतरिक्ष विज्ञानियों को पल्सर्स और सुपरनोवा जैसे कॉस्मिक सोर्सेज के बारे में जानकारी जुटाने और अध्ययन करने में मदद मिलेगी।

    संगठन की कोशिश पहले टाले गए आदित्य L1 मिशन को भी इसके साथ लॉन्च करने की है और इस बारे में कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी गई।

    कॉन्फ्रेंस

    ह्यूमन स्पेसफ्लाइट सेंटर डायरेक्टर ने दी जानकारी

    वैज्ञानिक मिशन के बारे में इस सप्ताह आयोजित कॉन्फ्रेंस में ह्यूमन स्पेसफ्लाइट सेंटर के डायरेक्टर डॉ. उन्नीकृष्णन नायर ने जानकारी दी।

    उन्होंने कहा, "सोलर मिशन आदित्य L1 को अगले साल (2022) की दूसरी तिमाही में लॉन्च किया जाएगा और इससे अंतरिक्ष की शुरुआत और इससे जुड़े दूसरे रहस्यों के बारे में डाटा जुटाया जा सकेगा।"

    स्पेसक्राफ्ट की मदद से आदित्य L1 को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर भेजा जाएगा, जहां से वह सौर गतिविधियों का डाटा भेज सके।

    मिशन

    इस खास बिन्दु पर भेजा जाएगा आदित्य L1

    आदित्य L1 को पृथ्वी से लाखों किलोमीटर दूर स्थित L1 लाग्रेंजियन बिंदु पर भेजा जाएगा।

    पृथ्वी और सूर्य के बीच यह एक ऐसा बिंदु है, जहां धरती और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव बिल्कुल एक जैसा है और सैटेलाइट को कक्षा में स्थिर रखने के लिए यह सबसे संतुलित जगह है।

    यह अंतरिक्ष के ऐसे पार्किंग एरिया की तरह है, जहां से खगोलीय घटनाओं को देखा जा सकता है और इसपर ग्रहण (सूर्य या चंद्र) का असर नहीं पड़ता।

    एक्सपोसैट

    तैयार किया जा रहा है एक्सपोसैट लॉन्च वीइकल

    अगले साल ही लॉन्च होने जा रहा एक्सपोसैट एक पूरी तरह वैज्ञानिक मिशन होगा।

    इसे एक छोटे सैटेलाइट लॉन्च वीइकल की मदद से लॉन्च किया जाएगा, जो अभी डिवेलपमेंट फेज में है।

    नया लॉन्च वीइकल इस साल दिसंबर तक पहली डिवेलपमेंट फ्लाइट के लिए तैयार हो जाएगा।

    बता दें, दो सफल डिवेलपमेंट फ्लाइट्स के बाद ISRO की ओर से किसी लॉन्च वीइकल को मिशन के लिए तैयार माना जाता है।

    मकसद

    क्या होगा एक्सपोसैट ऑब्जर्वेटरी का काम?

    डॉ. नायर ने कहा, "एक्सपोसैट की मदद से हम अंतरिक्ष से जुड़ी घटनाओं के केंद्र को समझ पाएंगे और इसका अध्ययन कर सकेंगे। इसे एक SSLV की मदद से लॉन्च किया जाएगा, जिसे अभी तैयार किया जा रहा है।"

    उन्होंने बताया, "हमारे मिशन की पहली डिवेलपमेंट फ्लाइट इस साल के आखिर तक लॉन्च की जाएगी। शोधकर्ता और वैज्ञानिक इस मिशन से जुटाए जाने वाले डाटा का इंतजार कर रहे हैं।"

    खर्च

    छोटे लॉन्च वीइकल पर खर्च PSLV के मुकाबले कम

    ISRO की ओर से छोटे सैटेलाइट्स के लॉन्च के लिए तैयार किए जा रहे SSLV पर केवल 30 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

    वहीं, इसकी तुलना में एक पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीइकल (PSLV) तैयार करने में करीब 120 करोड़ रुपये का खर्च आता है।

    SSLV को केवल छह वैज्ञानिकों की एक टीम सात दिनों में तैयार कर सकती है, जबकि इसकी तुलना में PSLV को तैयार करने में 600 वैज्ञानिकों की टीम और कई महीने का वक्त लगता है।

    कोविड-19

    कोविड-19 महामारी के चलते टालने पड़े कई मिशन

    पिछले साल आई कोविड-19 महामारी के चलते ISRO को कई लॉन्च टालने पड़े, जिनके लिए 2020-21 का लक्ष्य रखा गया था।

    इन दो साल में केवल चार लॉन्च किए गए, जिनमें से एक पूरी तरह कॉमर्शियल लॉन्च था और उसका मेन पेलोड ब्राजील का अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट अमेजॉनिया-1 था।

    महामारी से पहले ISRO की योजना गगनयान समेत 2020-21 में 20 मिशन लॉन्च करने की थी। गगनयान मिशन साल 2022 के आखिर या 2023 की शुरुआत में लॉन्च हो सकता है।

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