
मंगल ग्रह और चंद्रमा पर अब तक कौन-कौन से खनिजों का चला है पता?
क्या है खबर?
मंगल ग्रह और चंद्रमा को लेकर नासा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जैसी एजेंसियां कई मिशन लॉन्च कर चुकी हैं।
वहीं, निजी अंतरिक्ष कंपनियां भी इन ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं को लेकर अध्ययन कर रही हैं। अब तक के मिशनों से हमें इन दोनों स्थानों की मिट्टी, चट्टानों और वहां पाए जाने वाले खनिजों की कई अहम जानकारियां मिली हैं।
आइए जानते हैं कि अब तक मंगल और चंद्रमा पर किन-किन खनिजों का पता चला है।
मंगल
मंगल ग्रह पर मिला लाल रंग देने वाला खनिज
मंगल ग्रह पर सबसे पहले 'मार्स ग्लोबल सर्वेयर' (1996) और बाद में 'मार्स रोवर क्यूरियोसिटी' (2012) ने आयरन ऑक्साइड यानी हेमाटाइट खोजा, जिससे इसका रंग लाल दिखता है।
इसके अलावा, क्ले मिनरल्स (मिट्टी), सल्फेट और सिलिका जैसे खनिज भी वहां मिले हैं। ISRO के 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' (2013) ने भी वायुमंडलीय और सतही रासायनिक तत्वों की पुष्टि की।
इन खनिजों की मौजूदगी से संकेत मिलता है कि कभी मंगल पर पानी रहा होगा।
चंद्रमा
चंद्रमा पर भी मिले कई उपयोगी खनिज
चंद्रमा की सतह पर 'अपोलो मिशन' (1969-1972) से वैज्ञानिकों ने इल्मेनाइट नाम का खनिज खोजा, जिसमें टाइटेनियम, आयरन और ऑक्सीजन होते हैं।
इसके अलावा, सिलिकॉन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और एलुमिनियम जैसे कई महत्वपूर्ण खनिज भी पाए गए हैं।
ISRO के 'चंद्रयान-1' मिशन (2008) से पानी के अणुओं की मौजूदगी और चंद्रमा की सतह पर विविध खनिजों की जानकारी मिली। इन खनिजों से भविष्य में चंद्रमा पर रहना संभव हो सकता है।
चंद्रमा
चंद्रयान-3 से मिले नए संकेत
भारत के 'चंद्रयान-3' मिशन (2023) के दौरान 'प्रज्ञान' रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि की।
इसके अलावा, एलुमिनियम, कैल्शियम, आयरन, टाइटेनियम, मैग्नीशियम और सिलिकॉन जैसे तत्वों की भी जांच की गई।
ये खनिज भविष्य में ऊर्जा उत्पादन, ऑक्सीजन प्राप्ति और निर्माण कार्यों में मदद कर सकते हैं। इन जानकारियों से यह उम्मीद बढ़ गई है कि चंद्रमा और मंगल पर इंसानी बस्तियां बसाना अब सिर्फ सपना नहीं रहेगा।