
ISRO के कौन-कौन से बड़े मिशन अब तक हुए हैं असफल?
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसके कई मिशनों ने भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाया है।
हालांकि, बीते वर्षों में कुछ ऐसे मिशन भी रहे हैं जो पूरी तरह सफल नहीं हो पाए। इन असफलताओं से ISRO ने काफी कुछ सीखा और आगे के मिशनों को और मजबूत बनाया।
आइए ISRO के कुछ प्रमुख असफल या आंशिक असफल मिशनों के बारे में जानते हैं।
SLV
SLV और INSAT की शुरुआत में मिली असफलता
ISRO का पहला रॉकेट मिशन SLV-3 साल 1979 में लॉन्च किया गया था, लेकिन यह उड़ान के कुछ देर बाद ही समुद्र में गिर गया।
इसके बाद 1982 में लॉन्च हुआ INSAT-1A मिशन भी असफल हुआ, जो भारत का पहला संचार सैटेलाइट था। इसने कुछ महीनों के अंदर तकनीकी खराबी के कारण काम करना बंद कर दिया।
इन शुरुआती असफलताओं के बावजूद ISRO ने हार नहीं मानी और लगातार सुधार करता रहा।
चुनैतियां
GSLV की चुनौतियां और तकनीकी समस्याएं
साल 2001 में लॉन्च हुआ GSLV-D1 सही कक्षा में सैटेलाइट नहीं पहुंचा पाया, जिससे मिशन आंशिक रूप से असफल रहा। इसके बाद 2006 में GSLV-F02 लॉन्च के कुछ ही मिनटों में गिर गया।
2010 में ISRO ने पहली बार स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल GSLV-D3 में किया, लेकिन इंजन चालू नहीं हो सका और यह मिशन विफल हो गया।
इन बड़ी नाकामियों ने ISRO को तकनीकी सुधार की दिशा में आगे बढ़ाया।
एनी
हाल के वर्षों की आंशिक असफलताएं
2017 में ISRO ने PSLV-C39 मिशन को लॉन्च किया, लेकिन उस समय हीट शील्ड नहीं खुलने के कारण सैटेलाइट सही कक्षा में ही नहीं जा सका।
इसके बाद, 2019 में बहुत ही विशेष चंद्रयान-2 मिशन में ऑर्बिटर सफल रहा और 'विक्रम' लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरते समय ही क्रैश हो गया।
ISRO ने इसे आंशिक असफलता माना। इन अनुभवों से ISRO ने सीखा और चंद्रयान-3 जैसे मिशनों को सफलता की ओर ले गया।