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    व्हाट्सऐप बनाम सरकार: क्या आपकी प्राइवेसी बचाने के लिए कोर्ट तक पहुंची 'लड़ाई'?

    व्हाट्सऐप बनाम सरकार: क्या आपकी प्राइवेसी बचाने के लिए कोर्ट तक पहुंची 'लड़ाई'?

    लेखन प्राणेश तिवारी
    May 27, 2021
    11:02 pm

    क्या है खबर?

    भारत सरकार फरवरी, 2021 में सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नई गाइडलाइन्स लेकर आई और इन्हें लागू करने के लिए प्लेटफॉर्म्स को तीन महीने का वक्त दिया गया था।

    फेसबुक ने नई गाइडलाइन्स फॉलो करने का वादा किया है लेकिन इससे जुड़ा व्हाट्सऐप सरकार के खिलाफ कोर्ट चला गया है।

    सवाल साफ है कि जब पैरेंट कंपनी फेसबुक खुद नए नियमों का पालन करने की बात कह रही है तो व्हाट्सऐप को क्या समस्या है।

    आइए पूरा मामला समझते हैं।

    सवाल

    सरकार की एक बात मानी, दूसरी से इनकार

    व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर सरकार ने नोटिस भेजा था और पॉलिसी लागू ना करने को कहा था।

    यहां सरकार की सुनते हुए मेसेजिंग ऐप ने यूजर्स के लिए प्राइवेसी पॉलिसी स्वीकार करने की बाध्यता खत्म कर दी और कहा कि पॉलिसी से स्वीकार ना करने पर भी वे चैटिंग जारी रख पाएंगे।

    वहीं, नई गाइडलाइन्स मानने को लेकर व्हाट्सऐप अड़ गया है और यूजर्स की प्राइवेसी से समझौता ना करने की बात कह रहा है।

    नियम

    व्हाट्सऐप को किस नियम से है परेशानी?

    नई गाइडलाइन्स में 50 लाख से ज्यादा यूजर्स वाले सोशल मीडिया नेटवर्क्स से एक मैकेनिज्म बनाने को कहा गया है, जो प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही तय करेगा।

    साथ ही नए नियम ओरिजनल मेसेज ट्रेसिंग की मांग करते हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर सरकार पता लगा सके कि कोई मेसेज सबसे पहले किसकी ओर से भेजा गया।

    वहीं, व्हाट्सऐप प्लेटफार्म एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन ऑफर करता है और यूजर्स की ओर से भेजे जाने वाले मेसेज खुद व्हाट्सऐप भी नहीं पढ़ सकती।

    समस्या

    व्हाट्सऐप को खत्म करना होगा एनक्रिप्शन

    नई गाइडलाइन्स में जरूरत पड़ने पर किसी मेसेज के 'फर्स्ट ओरिजनेटर' को ट्रैक करने की मांग की गई है और व्हाट्सऐप मौजूदा एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन के चलते ऐसा नहीं कर सकता।

    दरअसल, व्हाट्सऐप बार-बार इस बात पर जोर देता है कि यूजर्स के चैट और कॉल्स एनक्रिप्टेड हैं, यानी कि सेंडर और रिसीवर के अलावा कोई थर्ड पार्टी (और खुद व्हाट्सऐप) भी उन्हें पढ़ या सुन नहीं सकती।

    नए नियम माने तो व्हाट्सऐप एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन खत्म करने पर मजबूर हो जाएगा।

    वजह

    सरकार को एनक्रिप्शन से परेशानी क्यों?

    व्हाट्सऐप जैसे मेसेजिंग प्लेटफॉर्म्स में मिलने वाला एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन सरकार के लिए कई बार परेशानी की वजह बन चुका है।

    एनक्रिप्शन की वजह से मेसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर शेयर किए जा रही फेक न्यूज और अफवाहें फैलाने वालों का पता नहीं चल पाता।

    इसके अलावा आपराधिक साजिश रचने वाले ऐसे प्लेटफॉर्म्स का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

    ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब व्हाट्सऐप पर शेयर की गईं अफवाहों के चलते मासूम लोगों की जान गई है।

    पॉलिसी

    प्राइवेसी के वादे पर आई नई व्हाट्सऐप पॉलिसी

    व्हाट्सऐप इस साल की शुरुआत में अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी लाई है, जिसमें पैरेंट कंपनी फेसबुक के साथ यूजर्स डाटा शेयर करने की बात कही गई है।

    इस बदलाव को लेकर यूजर्स नाराज हैं और व्हाट्सऐप उन्हें भरोसा दिला रही है कि एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड होने के चलते उनके चैट्स और कॉल्स पूरी तरह सुरक्षित हैं।

    प्राइवेसी बरकरार रखने की शर्त पर ही व्हाट्सऐप नई प्राइवेसी पॉलिसी लेकर आई है और एनक्रिप्शन खत्म नहीं करना चाहेगी।

    असमंजस

    सरकार और व्हाट्सऐप में कौन सही?

    भारत सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म्स का गलत इस्तेमाल ना हो और इसपर फेक न्यूज, भड़काऊ मेसेज या अफवाहें फैलाने वालों को पकड़ा जा सके।

    वहीं, व्हाट्सऐप के लिए यूजर्स की प्राइवेसी ज्यादा महत्वपूर्ण है और वह एक मेसेजिंग प्लेटफॉर्म के तौर पर यूजर्स की निजता को नुकसान नहीं पहुंचने देना चाहता।

    चिंता यह भी है कि सरकार की ओर से व्हाट्सऐप पर नियंत्रण की कोशिश की जा सकती है और नए बदलाव इसमें मददगार होंगे।

    कोर्ट

    न्यायालय में आमने सामने दोनों पक्ष

    सरकार के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे व्हाट्सऐप ने 2017 के जस्टिस केएस पुट्टस्वामी बनाम भारत सरकार के मामले का हवाला दिया है

    इसमें कहा गया था कि मेसेज को ट्रेस करने का प्रावधान असंवैधानिक है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा रेखांकित किए गए लोगों की निजता के अधिकार को कमजोर करता है।

    वहीं, सरकार की दलील है कि प्लेटफॉर्म्स को उनपर शेयर किए जा रहे कंटेंट के प्रति जवाबदेह होना पड़ेगा और कानून के दायरे में काम करना होगा।

    सोशल मीडिया

    क्या है बाकी कंपनियों का रवैया?

    मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeITY) ने 25 फरवरी, 2021 को आए ड्राफ्ट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडिएटरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 लागू करने के लिए प्लेटफॉर्म्स को तीन महीने का वक्त दिया था।

    डेडलाइन खत्म होने तक कू (Koo) ऐप के अलावा किसी प्लेटफॉर्म ने नियमों का पालन नहीं किया और सरकार से ज्यादा वक्त की मांग की।

    हालांकि, फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स ने जल्द नए नियमों का पालन करने को लेकर सहमति जताई है।

    जानकारी

    दूसरों देशों में नहीं हैं ऐसे नियम

    भारत में लाई गईं नई गाइडलाइन्स जैसे नियम दूसरे देशों में नहीं हैं। कोई देश सोशल मीडिया पर शेयर किए गए कंटेंट के लिए प्लेटफॉर्म को जिम्मेदार नहीं मानता और उनपर कार्रवाई से जुड़े कानून लेकर नहीं आया है।

    आशंका

    नए नियमों के गलत इस्तेमाल का डर

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही तय करने वाली गाइडलाइन्स और नियमों का गलत इस्तेमाल हो सकता है, यह डर भी सामने आया है।

    सरकार सोशल मीडिया पर नियंत्रण की कोशिश पहले भी करती रही है और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स के साथ ऐसी कोशिशों के चलते टकराव भी देखने को मिला है।

    यह चर्चा जोरों पर है कि नए नियम नागरिकों के 'निजता के अधिकार' को नुकसान पहुंचा सकते हैं और सोशल मीडिया पर सरकार का नियंत्रण खतरनाक हो सकता है।

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