ई-सिम क्या होती है और क्यों दी जा रही इसके इस्तेमाल की सलाह?
हाल ही में एयरटेल के प्रमुख गोपाल विट्टल ने लोगों से रेगुलर सिम कार्ड की जगह ई-सिम का इस्तेमाल करने की अपील की थी। उनका मानना है कि ई-सिम इस्तेमाल करना अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक है। इसके साथ ही उन्होंने ई-सिम उपयोग करने के कई फायदे भी गिनाए। आइये आज समझने की कोशिश करते हैं कि ई-सिम क्या है, यह काम कैसे करता है, कैसे रेगुलर सिम से अलग है और इसके फायदे क्या हैं।
सबसे पहले सिम के बारे में जानिये
सिम का पूरा नाम सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल (SIM) होता है। ई-सिम की बात करें तो इसमें इम्बेडेड जुड़ जाता है और यह इम्बेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल बन जाता है। अगर आप मोबाइल इस्तेमाल करते हैं तो आपने सिम कार्ड देखे ही होंगे। ये करीब 30 सालों से चलते आ रहे हैं और समय के साथ इनका आकार छोटा होता गया। अब कई मोबाइल फोन्स में फिजिकल सिम कार्ड की जगह ई-सिम से काम चल जाता है।
ई-सिम क्या है?
ई-सिम, सिम कार्ड की तरह ही काम करता है, लेकिन यह फोन में अलग से कोई जगह नहीं घेरता। यह फोन में डिजिटल रूप से काम करता है। इस पर नेटवर्क कैरियर की कोई बाध्यता नहीं होती है और इसे सॉफ्टवेयर की मदद से प्रोग्राम किया जा सकता है। ई-सिम वाले फोन में आमतौर पर उनके मेन सर्किट बोर्ड पर एक छोटी चिप लगी होती है। आकार की बात करें तो यह चिप नैनो-सिम कार्ड से भी छोटी होती है।
ई-सिम के फायदे क्या होते हैं?
फिजिकल सिम कार्ड की जगह ई-सिम को इस्तेमाल करना अधिक सुविधाजनक है। इसके साथ ही आजकल कंपनियां अधिक फीचर वाले फोन बनाने की रेस में जुटी हुई हैं। ऐसे में उन्हें फोन की बॉडी में अधिक जगह की जरूरत होती है। ई-सिम की मदद से उन्हें अलग से सिम कार्ड ट्रे लगाने की जरूरत नहीं पड़ती और उन्हें अधिक जगह मिल जाती है। इसके अलावा ई-सिम के लिए फोन को खोलना या बंद नहीं करना पड़ता।
गोपाल विट्टल ने इसके और क्या फायदे बताए हैं?
एयरटेल ग्राहकों को भेजे ईमेल में विट्टल ने बताया कि ई-सिम से बिना किसी बाधा के कनेक्टिविटी मिलती है। साथ ही चोरों के लिए डिवाइस से ई-सिम को हटाना बहुत मुश्किल होता है, जिसके चलते चोरी हुए फोन को ट्रैक करना आसान हो जाता है।
क्या इसके नुकसान भी हैं?
ऐपल ने आईफोन 12 सीरीज के साथ ई-सिम के चलन को शुरू किया था। इसका उपयोग शुरू हुए काफी समय हो गया है, लेकिन अभी भी अधिकतर मोबाइल फोन्स में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कुछ जगहों पर नेटवर्क प्रदाता कंपनियां भी ई-सिम का विकल्प नहीं देतीं। ऐसे में यूजर्स के पास विकल्प बहुत सीमित रह जाते हैं। अभी अधिकतर महंगे स्मार्टफोन्स में ही ई-सिम की सुविधा मिलती है, जिसे हर यूजर नहीं खरीद सकता।
मोबाइल के अलावा इनका इस्तेमाल कहां होता है?
मोबाइल के अलावा स्मार्टवॉच, लैपटॉप और टैबलेट में भी ई-सिम का इस्तेमाल होने लगा है। मौजूदा दौर में कॉलिंग सुविधा के साथ आने वाली अधिकतर स्मार्टवॉचेज में ई-सिम मिलती है। सबसे पहले सैमसंग ने इसकी शुरुआत की थी।
कीमत में कितना अंतर?
अधिकतर सेवा प्रदाता फिजिकल सिम कार्ड को ई-सिम में बदलने के लिए कोई पैसे नहीं लेते। हालांकि, कुछ कंपनियां निश्चित रिचार्ज प्लान्स पर ही ई-सिम इस्तेमाल करने की अनुमति देती है। इस बारे में आप संबंधित कंपनी की वेबसाइट पर जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ई-सिम को एक्टिवेट करना भी बेहद आसान होता है। आप घर बैठे-बैठे संबंधित कंपनी की वेबसाइट और ऐप से या कस्टमर सेंटर पर जाकर इसे एक्टिवेट करवा सकते हैं।
ई-सिम को आई-सिम से मिलेगी चुनौती
अभी तक बड़े स्तर पर ई-सिम का इस्तेमाल शुरू ही नहीं हुआ है और एक नई तकनीक सामने दिख रही है। ई-सिम को आई-सिम यानी इंटीग्रटेड सिम से चुनौती मिलने लगी है। आई-सिम, ई-सिम से भी कम जगह घेरता है और इसे चिपबोर्ड पर ही इंटिग्रेट कर दिया जाता है। इसका मतलब हुआ कि फोन निर्माताओं को आई-सिम के लिए ई-सिम से भी कम जगह की जगह पड़ेगी और वो फोन में अधिक हार्डवेयर इंस्टॉल कर सकेंगे।