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    आखिर क्या है कैप्चा और इसकी जरूरत क्या है?
    वेबसाइट्स स्पैमिंग और हैकिंग से बचने के लिए कैप्चा इस्तेमाल करती हैं।

    आखिर क्या है कैप्चा और इसकी जरूरत क्या है?

    लेखन प्राणेश तिवारी
    Sep 15, 2021
    11:59 pm

    क्या है खबर?

    अगर आप ऐक्टिव इंटरनेट यूजर हैं तो फॉर्म भरते या नया अकाउंट बनाते वक्त आपने कैप्चा (CAPTCHA) जरूर भरा होगा।

    'कैप्चा' नाम से ना समझ आए तो याद दिला दें वो तिरछे या अजीब तरह से लिखे अक्षर और अंक, जो विंडो में एंटर किए बिना आप अगले पेज पर नहीं जा सकते।

    अलग-अलग तरह के ढेर सारे कैप्चा आपको अलग-अलग मौकों पर परेशान करते हैं।

    कैप्चा भरवाने की जरूरत क्या है और इनका क्या काम है, आइए समझते हैं।

    कैप्चा

    मशीनों और इंसानों के बीच फर्क कर सकते हैं कैप्चा

    स्क्रीन पर दिखने वाले चंद अक्षर या अंक तय कर सकते हैं कि वेबसाइट कोई इंसान ही इस्तेमाल कर रहा है या नहीं।

    यानी कि कैप्चा का इस्तेमाल इंसानों और मशीन या कंप्यूटर पावर्ड सिस्टम के बीच फर्क करने के लिए किया जाता है।

    CAPTCHA का फुल फॉर्म 'कंप्लीटली ऑटोमेटेड पब्लिक ट्यूरिंग टेस्ट टू टेल कंप्यूटर्स एंड ह्यूमन्स अपार्ट' होता है।

    इसकी शुरुआत एलन ट्यूरिंग ने साल 1950 में की थी और इसे आज तक इस्तेमाल किया जा रहा है।

    पहचान

    कितनी तरह के हो सकते हैं कैप्चा?

    ऐसा नहीं है कि आपको हर वेबसाइट या लॉगिन, फॉर्म सिस्टम पर एक जैसा कैप्चा दिखेगा।

    कैप्चा के टेक्स्ट-बेस्ड वेरियंट में मिक्स किए गए अंग्रेजी के अक्षरों से लेकर नंबर्स तक शामिल होते हैं, जिसमें रोटेट किए गए, क्रॉस किए गए या एक के ऊपर एक अजीब डिजाइन वाले अक्षर हो सकते हैं।

    वहीं, कुछ कैप्चा इंसानों की तार्किक क्षमता का इस्तेमाल करते हैं और गणित के आसान सवाल हल करने को कह सकते हैं।

    इमेज

    इमेज कैप्चा में पहचाननी होती हैं तस्वीरें

    टेक्स्ट आधारित कैप्चा में जहां अक्षरों को पहचानकर विंडो में लिखना होता है, वहीं इसका एंडवांस्ड वर्जन इमेज कैप्चा आ गया है।

    इमेज कैप्चा में कई तस्वीरें दिखाई जाती हैं और उनमें दिख रहे किसी खास सब्जेक्ट की पहचान करनी पड़ती है।

    उदाहरण के लिए सामने दिख रहीं नौ छोटी तस्वीरों में से जिनमें बादल हों, उनपर क्लिक करिए।

    हर बार इमेज का सब्जेक्ट बदलने के चलते कंप्यूटर या मशीनों के लिए ये काम मुश्किल हो जाता है।

    ऑडियो

    आवाज सुनकर कैप्चा भरने का सिस्टम

    देखने में अक्षम किसी दिव्यांग यूजर को इंटरनेट इस्तेमाल करते वक्त कैप्चा भरने में दिक्कत ना हो, इसके लिए खास ऑडियो आधारित कैप्चा काम करते हैं।

    ऐसे यूजर्स के लिए कैप्चा का खास सिस्टम डिजाइन किया गया है, जिसमें आवाज सुननी होती है।

    इस कैप्चा में कई अक्षर या अंक बोले जाते हैं और उनके पीछे बैकग्राउंड नॉइस भी होता है।

    इन अक्षरों और अंकों को सुनकर यूजर्स कैप्चा एंटर कर सकते हैं और अगली विंडो पर जा सकते हैं।

    गूगल

    केवल एक क्लिक करवाता है गूगल का कैप्चा सिस्टम

    सर्च इंजन कंपनी गूगल का रीकैप्चा सिस्टम एक कदम आगे है और यूजर को केवल एक बॉक्स में क्लिक करना होगा है।

    इस बॉक्स में लिखा होता है, "आई ऐम नॉट अ रोबोट (मतलब मैं एक रोबोट नहीं हूं)।"

    यह सिस्टम बॉक्स में क्लिक करने से पहले स्क्रीन पर होने वाले कर्सर के मूवमेंट को ट्रैक करता है।

    यानी कि कोई रोबोट बॉक्स में क्लिक करे तो गूगल को झट से पता चल जाएगा।

    इस्तेमाल

    कहां इस्तेमाल किया जाता है कैप्चा सिस्टम?

    ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स से लेकर टिकट बुकिंग वेबसाइट और फॉर्म्स में कैप्चा का इस्तेमाल किया जाता है।

    इस तरह तय किया जाता है कि इंसान ही प्रोडक्ट ऑर्डर करें या टिकट बुक करें।

    कैप्चा ना होने की स्थिति में खास तरह से डिजाइन की गईं मशीनें और कंप्यूटर प्रोग्राम भी ऑर्डर कर सकेंगे।

    ऐसा होने पर वेबसाइट्स को स्पैमिंग और बल्क में खरीददारी जैसी स्थिति से गुजरना पड़ेगा और उनके सर्वर को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।

    तरीका

    कैसे काम करता है कैप्चा सिस्टम?

    इंसानों से ज्यादा पावरफुल मशीनें और कंप्यूटर इस कैप्चा सिस्टम से कैसे मात खा जाते हैं, आइए समझते हैं।

    हमारी आंखों के लिए टेढ़े अक्षर या शब्द पहचानना बाएं हाथ का खेल है, जबकि कंप्यूटर के लिए यह टेढ़ी खीर है।

    कंप्यूटर को जिस तरह के अक्षरों की जानकारी होती है, कैप्चा में दिख रहे कॉम्बिनेशन उससे बिल्कुल अलग होते हैं।

    इंसानी दिमाग यहीं कंप्यूटर को पीछे छोड़ देता है कि वह 'टेढ़ी बातें' भी आसानी से समझ सकता है।

    सुरक्षा

    हैकर्स को फोर्स अटैक्स करने से रोकता है कैप्चा

    जीमेल और इसके जैसी दूसरी सेवाएं कैप्चा की मदद से तय करती हैं कि हैकर्स एकसाथ ढेरों अकाउंट्स बनाने की कोशिश ना करें और साइन-अप ना कर सकें।

    इसी तरह ऑनलाइन सिस्टम्स और अकाउंट्स पर हैकर्स फोर्स अटैक्स नहीं कर सकते क्योंकि कैप्चा भरना अनिवार्य होता है।

    कैप्चा ना होने की स्थिति में हैकिंग प्रोग्राम्स ढेरों संभावित पासवर्ड्स एंटर कर लॉगिन की कोशिश कर सकते हैं और यूजर्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

    तरीका

    कैसे काम करता है कैप्चा सिस्टम?

    इंसानों से ज्यादा पावरफुल मशीनें और कंप्यूटर इस कैप्चा सिस्टम से कैसे मात खा जाते हैं, आइए समझते हैं।

    हमारी आंखों के लिए टेढ़े अक्षर या शब्द पहचानना बाएं हाथ का खेल है, जबकि कंप्यूटर के लिए यह टेढ़ी खीर है।

    कंप्यूटर को जिस तरह के अक्षरों की जानकारी होती है, कैप्चा में दिख रहे कॉम्बिनेशन उससे बिल्कुल अलग होते हैं।

    इंसानी दिमाग यहीं कंप्यूटर को पीछे छोड़ देता है कि वह 'टेढ़ी बातें' भी आसानी से समझ सकता है।

    उदाहरण

    हैकिंग अटैक कैसे नाकाम करता है कैप्चा?

    मान लें कि आप एक हैकर हैं और किसी वेबसाइट पर एकसाथ हजारों अकाउंट्स बनाकर उसके सर्वर को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।

    इसके लिए अगर आपने कोई कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार कर लिया, जो नाम और दूसरी जानकारी एंटर करने जैसे काम अपने आप कर देगा तो वह कैप्चा पर अटक जाएगा।

    इस सिस्टम को कैप्चा में लिखे अक्षर समझ नहीं आएंगे क्योंकि केवल इंसानी दिमाग उन्हें समझ पाता है।

    इस तरह आपकी मेहनत और हैकिंग की कोशिश नाकाम हो जाएगी।

    सीमाएं

    मशीन लर्निंग और AI टेक्नोलॉजी समझ सकती हैं कैप्चा

    कैप्चा समझना कंप्यूटर सिस्टम के लिए मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है।

    मॉडर्न आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) टेक्नोलॉजी को पैटर्न्स पहचानने और ऐसी प्रॉब्लम्स सॉल्व करने के लिए ट्रेनिंग दी जा सकती है।

    हालांकि, ऐसी टेक्नोलॉजी हैकर्स और अटैकर्स के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं हैं और इन्हें ट्रेनिंग देने की प्रक्रिया भी लंबी होती है।

    कैप्चा के साथ हैकिंग, स्पैमिंग और अटैक की कोशिश करने वालों को काफी हद तक रोका जा सकता है।

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