
भारत में 1.5 करोड़ एंड्रॉयड डिवाइस में खतरनाक वायरस, कहीं आपके फोन में भी तो नहीं?
क्या है खबर?
भारत में लगभग 1.5 करोड़ एंड्रॉयड स्मार्टफोन में खतरनाक वायरस मौजूद है और यूजर्स को इसकी जानकारी भी नहीं है।
साइबर सिक्योरिटी के लिए लिहाज से इसे बड़ा खतरा माना जा रहा है।
साइबर सिक्योरिटी पर काम करने वाली कंपनी चेक प्वाइंट रिसर्च के मुताबिक, मोबाइल मालवेयर का एक नया वेरिएंट दुनियाभर के 2.5 करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन को प्रभावित कर रहा है। इनमें से 1.5 करोड़ मोबइल भारत में हैं।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
वायरस
स्मार्टफोन में इंस्टॉल ऐप्स को बनाता है निशाना
कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वायरस गूगल-रिलेटेड ऐप की फॉर्म में मोबाइल में इंस्टॉल होता है।
यह वायरस एंड्रॉयड की कमजोरियों का फायदा उठाकर डिवाइस पर पहले से इंस्टॉल ऐप को बदलकर उसका मलेशियस वर्जन इस्टॉल कर देता है।
यूजर को इसका पता नहीं चल पाता और यह वायरस अपना काम करता रहता है।
कंपनी ने कहा कि एजेंट स्मिथ के तौर पर जाने जाने वाला यह वायरस यूजर्स को लगातार ऐड दिखाता है।
निशाना
हिंदी भाषी लोग मुख्य निशाना
साथ ही कंपनी ने कहा कि इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन से यूजर्स की जासूसी और बैंकिंग जानकारियां चुराने के लिए भी किया जा सकता है।
चेक प्वाइंट रिसर्च ने अपने बयान में कहा कि यह थर्ड-पार्टी ऐप 9Apps से डाउनलोड किया गया है और इसका निशाना हिंदी, अरबी, रूसी और इंडोनेशियाई भाषा बोलने वाले लोग हैं।
इनमें से मुख्य निशाना हिंदी भाषी लोग हैं। हालांकि, अमेरिका, पाकिस्तान, इंग्लैड और बांग्लादेश में भी यूजर्स इससे प्रभावित हुए हैं।
बचाव
संदिग्ध लिंक या स्टोर से न करें ऐप डाउनलोड
चेक प्वाइंट रिसर्च के एक अधिकारी ने बताया कि यह वायरस मोबाइल में इंस्टॉल ऐप्स को अपना निशाना बनाता है।
एक आम यूजर के लिए इससे बच पाना थोड़ा मुश्किल काम है। उन्होंने बताया कि ऐसे वायरस से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि किसी संदिग्ध लिंक या थर्ड पार्टी ऐप स्टोर से ऐप्स डाउनलोड न करें।
इनमें वायरस होने की संभावना सबसे ज्यादा ज्यादा होती है। साथ ही संदिग्ध लिंक पर कभी भूलकर भी क्लिक न करें।
व्हाट्सऐप
व्हाट्सऐप में आए मालवेयर से करोड़ों यूजर्स हुए थे प्रभावित
मई महीने में व्हाट्सऐप में एक बड़े बग का पता चला था। हफ्तों से चल रहे इस बग के कारण हैकर्स व्हाट्सऐप वॉइस कॉल के जरिए यूजर्स के फोन में स्पाईवेयर इंजेक्ट कर सकते थे।
कहा गया कि यह मलिशियस कोड इजरायल की साइबर इंटेलीजेंस कंपनी NSO ग्रुप ने डेवलप किया था।
इसे व्हाट्सऐप कॉल के जरिए एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस पर भेजा जा रहा है।
इसके बाद व्हाट्सऐप ने दुनियाभर के यूजर्स के लिए अपडेट जारी किया था।