NSA की सलाह, हैकिंग से बचने के लिए हर सप्ताह रीबूट करें अपना स्मार्टफोन
कोविड-19 महामारी के बाद से स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल और हैकिंग अटैक्स के मामले दोनों बढ़े हैं। नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी की सलाह मानें तो डिवाइस को रीबूट करना हैकिंग से बचने का एक तरीका हो सकता है। सीक्रेटिव इंटेलिजेंस कमेटी के मेंबर के तौर पर सेन एंगल किंग ने हैकिंग से बचने का यह तरीका इस साल की गई सिक्योरिटी स्टाफ की मीटिंग में बताया है। यानी कि फोन को ऑफ करके ऑन करना भी हैकिंग को रोक सकता है।
सप्ताह में एक बार जरूर करें रीबूट
अपने स्मार्टफोन को हैकिंग से बचाना चाहते हैं तो आपको केवल दो स्टेप्स फॉलो करने होंगे, सबसे पहले फोन को ऑफ करें और फिर ऑन कर दें। यानी कि कोई एरर आने पर कंप्यूटर सिस्टम रीस्टार्ट करने का क्लासिक तरीका मोबाइल डिवाइसेज के लिए भी काम का साबित हो सकता है। ऐसा करने पर हैकर्स स्मार्टफोन का डाटा चोरी करने की कोशिश नहीं कर पाएंगे और कई तरह के अटैक्स से बचा जा सकेगा।
इस तरह मिलेगा रीबूट करने का फायदा
फोन को हर सप्ताह रीबूट करने साइबर क्रिमिनल्स या स्पाई-फॉर-हायर फर्म्स से पूरी तरह सुरक्षा मिल जाएगा, ऐसा नहीं है। अलग-अलग तरह के अटैक्स की मदद से यूजर्स के डिवाइस में इन्फेक्शन और हैकिंग का खतरा तब भी बना रहेगा। हालांकि, बार-बार डिवाइस रीस्टार्ट होने के चलते यूजर के स्मार्टफोन से जानकारी चोरी करना और ऐक्सेस मेनटेन रखना आसान नहीं होगा। सुरक्षा एजेंसी का मानना है कि यूजर्स को सामान्य बचाव के तरीकों की जानकारी जरूर होनी चाहिए।
फोन रीबूट करना हो रूटीन का हिस्सा
नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के साइबर सिक्योरिटी डायरेक्टरेट यूनिट टेक्निकल डायरेक्टर नील जीरिंग ने कहा, "मालिशियस ऐक्टर को रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है।" NSA की ओर से एक 'बेस्ट प्रैक्टिसेज' गाइड मोबाइल डिवाइस सिक्योरिटी के लिए पिछले साल लाई गई थी, जिसमें कहा गया है कि फोन को रीस्टार्ट करना भी हैकिंग से बचने के कई तरीकों में से एक है। सलाह दी गई है कि फोन रीबूट करने को अपने रूटीन का हिस्सा बना लेना चाहिए।
इसलिए स्मार्टफोन्स को निशाना बनाते हैं हैकर्स
लगभग हर स्मार्टफोन यूजर डिवाइस का इस्तेमाल रोजमर्रा की जरूरतों के लिए करता है। फोन में यूजर्स का ढेर सारा पर्सनल और सेंसिटिव डाटा होता है और यह डिवाइस शायद ही कभी पावर ऑफ होता है, ऐसे में हैकर्स का काम आसान हो जाता है और एक सफल अटैक के बदले उन्हें ढेर सारे डाटा का ऐक्सेस आसानी से मिल जाता है। टेक्स्ट मेसेज से लेकर कॉन्टैक्ट्स और मीडिया फाइल्स हैकर्स के बहुत काम की हो सकती हैं।
भारतीय यूजर्स की हैकिंग के मामले ज्यादा
पूर्व NSA रिसर्चर पैट्रिक वार्डल ने कहा, "मुझे हमेशा लगता है कि स्मार्टफोन्स हमारी डिजिटल सोल (आत्मा) की तरह हैं।" हैकर्स ढेरों यूजर्स पर इस तरह के अटैक्स करते हैं, हालांकि सभी को इसका पता नहीं लग पाता। हाल ही में की गई फोन हैकिंग से जुड़ी रिसर्च में पता चला कि भारत में देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नेताओं के अलावा आम यूजर्स पर भी हैकिंग का खतरा ज्यादा है।