क्या होता है सौर तूफान और पृथ्वी पर कैसे पड़ता है इसका प्रभाव?
सौर तूफान सूर्य पर होने वाली एक गतिविधि है, जो पूरे सौरमंडल को प्रभावित कर सकती है। सौर तूफान को भू-चुंबकीय तूफान के रूप में भी जाना जाता है। यह तब होता है, जब बड़े पैमाने पर सूर्य में चुंबकीय विस्फोट हो। ऐसा विस्फोट अक्सर कोरोनल मास इंजेक्शन (CME) और सोलर फ्लेयर के कारण होता है। विस्फोट से वातावरण में मौजूद आवेशित कणों की रफ्तार बढ़ जाती है, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराकर भू-चुंबकीय तूफान पैदा करते हैं।
सौर तूफान के क्या होते हैं प्रभाव?
भू-चुंबकीय प्रभाव: सौर तूफान का सबसे शुरुआती और आम प्रभाव भू-चुंबकीय गड़बड़ी है। सौर तूफान आने से बिजली लाइनों में तीव्र विद्युत धाराएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे ट्रांसफॉर्मर को नुकसान, बिजली की आपूर्ति में कमी और विद्युत ग्रिड में खराबी हो सकती है। रेडियो सिग्नल में व्यवधान: सौर तूफान से हाई फ्रीक्वेंसी वाले रेडियो और GPS सिग्नल प्रभावित हो सकते हैं। इससे नेविगेशन सिस्टम बाधित हो सकता है, जिसका प्रभाव विमान संचालन और सैन्य सुरक्षा पर पड़ता है।
सौर तूफान के अन्य प्रभाव
सैटेलाइट को नुकसान: पृथ्वी पर संचार सेवाएं प्रदान करने वाले अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट काफी कमजोर होते हैं, जो सौर तूफान के कारण निकले कण से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इससे संचार और मौसम से जुड़ी सेवाएं बाधित हो जाएंगी। अरोरा: सौर तूफान के प्रमुख प्रभावों में से एक अरोरा भी है, जिसे रंगीन रोशनी के रूप में भी जाना जाता है। पृथ्वी के वायुमंडल में परमाणुओं से टकराने वाले आवेशित कणों के कारण अरोरा पैदा होते हैं।