
शक्तिशाली X-क्लास सोलर फ्लेयर का असर, दक्षिणी अमेरिका में ब्लैकआउट
क्या है खबर?
अंतरिक्ष में कई तरह की गतिविधियां होती रहती हैं। कई बार सामान्य घटनाएं होती हैं और कुछ बार ये घटनाएं असामान्य होती हैं।
हाल ही में सूर्य की सतह पर ऐसी ही एक घटना देखने को मिली, जिसमें सूर्य का एक टुकड़ा टूट गया और इसने उत्तरी ध्रुव के चारों ओर बवंडर जैसा भंवर बना दिया। इसे देखकर वैज्ञानिक चकित रह गए।
ऐसी ही एक घटना अभी-अभी हुई कि सूर्य की सतह से एक विशाल और शक्तिशाली सौर ज्वाला फूटी।
असर
दक्षिण अमेरिका में एक बड़ा शॉर्टवेव रेडियो ब्लैक आउट हुआ
इस घटना की सूचना स्पेसवेदरडॉटकॉम ने अपनी वेबसाइट पर दी थी।
यहां लिखा गया, 'पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों ने 11 फरवरी को भारतीय समयानुसार लगभग रात 9:15 बजे सनस्पॉट AR3217 से X1.1 श्रेणी के सौरमंडल के भड़कने का पता लगाया है। अधिक UV रेडिएशन ने पृथ्वी के वायुमंडल के शीर्ष का आयनीकरण किया है, जिससे दक्षिण अमेरिका में एक बड़ा शॉर्टवेव रेडियो ब्लैक आउट हो गया।'
फ्लेयर
क्या है X-क्लास सोलर फ्लेयर का मतलब?
X-क्लास सोलर फ्लेयर सबसे तेज फ्लेयर्स में से एक है। सौर ज्वालाओं को उनकी तीव्रता के आधार पर A, B, C, M और X वर्ग में बांटा जाता है, जबकि सौर ज्वालाएं सनस्पॉट से चुंबकीय ऊर्जा के निकलने से आने वाले विकिरण के तीव्र विस्फोट हैं।
सौर ज्वाला की तीव्रता के प्रतीक के साथ दिया गया नंबर इसकी ताकत को दर्शाता है। उदाहरण के लिए X1.1 में X तीव्रता का प्रतीक है और 1.1 नंबर इसकी ताकत बता रहा है।
तूफान
अभी और सौर फ्लेयर की संभावना
नेशनल ओशोनिक एंड एटमॉस्फिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने सौर तूफान के परिणामस्वरूप संभावित रेडियो ब्लैकआउट के बारे में चेतावनी दी है।
NOAA का कहना है कि सूर्य की तरफ वाले पृथ्वी के हिस्से में हाई फ्रीक्वेंसी वाली रेडियो तरंगें अस्थाई तौर पर डीग्रेड हो सकती हैं।
इस क्षेत्र से और भी ज्वालाएं होने की उम्मीद है क्योंकि यह हाई फ्रीक्वेंसी (3-30 मेगाहर्ट्ज) संचार में कभी-कभी गिरावट पैदा करते हुए सूर्य के पार चली जाती हैं।
सूरज
सूर्य का एक हिस्सा अपनी सतह से टूट गया था
इससे पहले जब सूर्य के एक हिस्से का अपनी सतह से टूटने की खबर आई थी। उसे नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के जरिए देखा गया था। इसकी जानकारी अंतरिक्ष मौसम भविष्यवक्ता डॉ तमिता स्कोव ने ट्विटर के जरिये दी थी।
सूर्य के हिस्से के टूटने की घटना से वैज्ञानिक इसलिए भी चिंतित हुए क्योंकि सूर्य, सौर ज्वाला का उत्सर्जन करता रहता है, जो कभी-कभी पृथ्वी पर संचार को प्रभावित करता है।