स्पेस-X ने डायरेक्ट-टू-सेल स्टारलिंक सैटेलाइट्स किये लॉन्च, जानें इसकी खासियत
अंतरिक्ष कंपनी स्पेस-X ने आज (3 जनवरी) स्टारलिंक के डायरेक्ट-टू-सेल सैटेलाइट्स को लॉन्च कर दिया है। अरबपति एलन मस्क के स्वामित्व वाली कंपनी ने कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से सुबह करीब 09:14 बजे फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से 21 स्टारलिंक सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजा। इन सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजने के करीब 8.5 मिनट बाद रॉकेट स्पेस-X के 'ऑफ कोर्स आई स्टिल लव यू ड्रोनशिप' पर लैंड करके पृथ्वी पर वापस आ गई।
स्टारलिंक की डायरेक्ट-टू-सेल तकनीक क्या है?
यह तकनीक LTE फोन के साथ काम करेगी, जो अंतरिक्ष में सेल फोन टावर की तरह काम करेगी, जिसका मतलब यह है कि यदि आपके पास उपग्रह से सक्रिय सिग्नल है तो सेवा सभी स्थानों पर उपलब्ध होगी। स्टारलिंक इंटरनेट के डायरेक्ट-टू-सेल अगले कुछ दिनों में ही काम करना शुरू कर देगा। इसका टेक्स्ट फंक्शन 2024 में सक्रिय होगा, जबकि वॉयस, डाटा और IOT सेवा 2025 से सक्रिय होगी। इसके लिए किसी बाहरी कनेक्शन या हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं है।
दूरदराज के क्षेत्र में लोगों को मिलेगी हाई-स्पीड कनेक्टिविटी
डायरेक्ट-टू-सेल का मुख्य उद्देश्य दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान करना है, जहां अन्य नेटवर्क में समस्या आती है। इन सैटेलाइट्स में eNodeB मॉडेम है, जो अंतरिक्ष में सेलफोन टॉवर की तरह काम करता है। कनेक्टिविटी उन दूरदराज के क्षेत्रों में भी उपलब्ध होगी, जहां स्टारलिंक लॉन्च किया गया है। स्टारलिंक डायरेक्ट-टू-सेल का उपयोग करने वालों को दुनिया भर में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, जापान, स्विट्जरलैंड और चिली जैसे देशों में सेल फोन सेवा उपलब्ध होगी।