
भारत का आदित्य-L1 लॉन्च के करीब, ये हैं अन्य देशों द्वारा भेजे गए सौर मिशन
क्या है खबर?
भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपना सौर मिशन आदित्य-L1 लॉन्च करने के लिए तैयार है।
भारत के पहले अंतरिक्ष आधारित सौर मिशन आदित्य-L1 को 2 सितंबर, 2023 को लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के जरिए सूर्य से जुड़े रहस्यों के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी।
इससे पहले कई अन्य देशों ने सौर मिशन लॉन्च किए हैं। आइए इन सौर मिशनों के बारे में जानते हैं।
अमेरिका
अमेरिका के सौर मिशन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अगस्त, 2018 में पार्कर सोलर प्रोब लॉन्च किया था।
दिसंबर, 2021 में पार्कर ने सूर्य के ऊपरी वायुमंडल यानी कोरोना से उड़ान भरी और कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का नमूना लिया। नासा की वेबसाइट के अनुसार, यह पहली बार था कि किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य को छुआ।
फरवरी, 2020 में नासा ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के साथ मिलकर सौर मंडल के बदलते अंतरिक्ष वातावरण की जानकारी के लिए सोलर ऑर्बिटर लॉन्च किया था।
नासा
नासा द्वारा लॉन्च किए गए अन्य सौर मिशन
नासा द्वारा लॉन्च किए गए अन्य सक्रिय सौर मिशन अगस्त, 1997 में लॉन्च किया गया एडवांस्ड कंपोजिशन एक्सप्लोरर, अक्टूबर, 2006 में लॉन्च किया गया सोलर टेरेस्ट्रियल रिलेशन ऑब्जर्वेटरी, फरवरी, 2010 में लॉन्च किया गया सोलर डायनमिक्स ऑब्जर्वेटरी और जून, 2013 में लॉन्च किया गया इंटरफेस रीजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ हैं।
इनके अलावा दिसंबर, 1995 में नासा, ESA और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने संयुक्त रूप से सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी (SOHO) मिशन लॉन्च किया था।
जापान
जापान के JAXA ने 1981 में लॉन्च किया पहला मिशन
जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA ने 1981 में अपना पहला सौर अवलोकन सैटेलाइट हिनोटोरी (ASTRO-A) लॉन्च किया था।
JAXA की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसका उद्देश्य हार्ड एक्स-रे का उपयोग करके सौर ज्वालाओं का अध्ययन करना था।
JAXA के अन्य सौर मिशन वर्ष 1991 में लॉन्च किया गया योहकोह (SOLAR-A), वर्ष 1995 में नासा और ESA के साथ लॉन्च किया गया SOHO हैं।
वर्ष 1998 में उसने नासा के साथ मिलकर ट्रांसिएंट रीजन और कोरोनल एक्सप्लोरर (TRACE) भी लॉन्च किया था।
जानकारी
जापान ने 2006 में लॉन्च किया हिनोड
जापान ने 2006 में हिनोड (SOLAR-B) लॉन्च किया। यह योहकोह (SOLAR-A) का सक्सेसर था। जापान ने इसे अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मिलकर लॉन्च किया था। हिनोड का उद्देश्य पृथ्वी पर सूर्य के प्रभाव का अध्ययन करना है।
यूरोप
ESA के सौर मिशन
अक्टूबर, 1990 में ESA ने सूर्य के ध्रुवों के ऊपर और नीचे अंतरिक्ष के पर्यावरण का अध्ययन करने के लिए यूलिसिस लॉन्च किया।
नासा और JAXA के सहयोग से लॉन्च किए गए सौर मिशनों के अलावा ESA ने अक्टूबर, 2001 में प्रोब-2 लॉन्च किया।
प्रोब-2 प्रोब सीरीज का दूसरा मिशन था। प्रोब-2 में 4 प्रयोग थे, जिनमें से 2 सौर अवलोकन प्रयोग थे।
ESA की आगामी योजनाओं में 2024 में प्रोब-3 और 2025 में स्माइल को लॉन्च किया जाना है।
चीन
चीन के सौर मिशन
चीन ने अंतरिक्ष आधारित उन्नत सौर ऑब्जर्वेटरी (ASO-S) को 8 अक्टूबर, 2022 को लॉन्च किया था। ASO-S स्पेसक्राफ्ट का उपनाम कुआफू-1 है।
चीन ने अंतरिक्ष के मौसम की भविष्यवाणियों में सुधार और सूर्य का अध्ययन करने के लिए इस स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया है।
इससे सूर्य के वायुमंडल की विभिन्न लेयर्स के जरिए ऊर्जा का ट्रांसपोर्टेशन और सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र की वजह से सोलर फ्लेयर्स पर होने वाले असर आदि को समझा जाएगा।
मिशन
न्यूजबाइट्स प्लस
सबसे ज्यादा सूर्य मिशन नासा ने भेजे हैं और उसका पहला सूर्य मिशन 1960 में भेजा गया था।
जर्मनी और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी नासा के साथ मिलकर अपने पहले सूर्य मिशन वर्ष 1974 और 1994 में भेजे थे।
सूर्य के रहस्यों को समझने, रियल टाइम में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने के साथ ही सूर्य की सतह पर होने वाले विस्फोटों आदि के बारे में जानकारी के लिए सौर मिशन भेजे जाते हैं।