चंद्रयान-3 की टीम: ये हैं 4 साल से दिन-रात मेहनत कर रहे ISRO के हीरो
भारत के चंद्रयान-3 का लैंडर आज शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। अगर ये मिशन सफल रहा तो भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद ये उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा, वहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का पहला देश होगा। इस मिशन के लिए सैकड़ों वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने कई सालों तक अथक मेहनत की। आइए आज चंद्रयान-3 मिशन के पीछे के खास चेहरों के बारे में जानते हैं।
डॉक्टर एस सोमनाथ, ISRO के अध्यक्ष
चंद्रयान-3 मिशन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ की अहम भूमिका रही है। उनके नेतृत्व में ही पूरा मिशन आगे बढ़ा है। सोमनाथ चंद्रयान-3 को कक्षा में पहुंचाने वाली रॉकेट की डिजाइनिंग टीम का भी हिस्सा रहे। उन्होंने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया है। जनवरी, 2022 में सोमनाथ को ISRO का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। वे संस्कृत भाषा की एक फिल्म में अभिनय भी कर चुके हैं।
डॉक्टर उन्नीकृष्णन नायर एस, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक
डॉक्टर उन्नीकृष्णन नायर रॉकेट के विकास और निर्माण से जुड़े विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के फरवरी, 2022 से निदेशक हैं। पेशे से एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ उन्नीकृष्णन अंतरिक्ष में भारत के पहले मानव मिशन की अगुवाई कर रहे हैं। वे स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपेरिमेंट (SRE), PSLV, GSLV और LVM3 के विकास में अहम भूमिका निभा चुके हैं। मलयालम भाषा में लिखी गई उनकी कुछ लघु कहानियां पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
डॉक्टर वीरामुथुवेल पी, चंद्रयान-3 के मिशन निदेशक
वरिष्ठ वैज्ञानिक पी वीरमुथुवेल ही चंद्रयान-3 के मिशन निदेशक हैं। उन्होंने चंद्रयान-2 के लैंडर के चंद्रमा पर क्रैश होने के बाद चंद्रयान मिशन के निदेशक के रूप में एम वनिता की जगह ली थी। वे बीते 4 सालों से प्रोजेक्ट में दिन-रात जुटे हुए हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा तमिलनाडु के विल्लुपुरम के रेलवे स्कूल से प्राप्त की और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। साल 1989 में उनका चयन ISRO में हुआ था।
डॉक्टर कल्पना के और डॉक्टर एम वनिता
डॉक्टर कल्पना के चंद्रयान-3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। वे बीते 4 साल से प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं और बारीक से बारीक गतिविधियों पर नजर रख रही हैं। डॉ एम वनिता चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रह चुकी हैं। वे इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम्स इंजीनियर हैं और भारत के किसी भी चंद्र मिशन का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं। इन दोनों को ISRO में नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
डॉक्टर एम शंकरन और डॉक्टर वी नारायणन
डॉक्टर एम शंकरन यूआर राव सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरु के निदेशक हैं। डॉक्टर शंकरन को अंतरिक्ष में उपग्रहों को ऊर्जा प्रदान करने वाले सिस्टम बनाने में महारत हासिल है। डॉ वी नारायणन लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर, थिरुवनंतपुरम के निदेशक हैं। उन्हें लिक्विड प्रोपल्शन इंजन और क्रायोजैनिक इंजन बनाने में विशेषज्ञता हासिल है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की चांद पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए जिम्मेदार थ्रस्टर्स को डॉक्टर नारायणन ने ही डिजाइन किया है।