चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने खींची विक्रम लैंडर की तस्वीर, बोला- स्माइल प्लीज
भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने आज सुबह (30 अगस्त, 2023) को सुबह विक्रम लैंडर की एक तस्वीर खींची। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक, रोवर प्रज्ञान ने सुबह 7.35 बजे तस्वीर खींची। इस तस्वीर को X पर शेयर करते हुए ISRO ने लिखा 'स्माइल प्लीज! मिशन की तस्वीर रोवर पर लगे नेविगेशन कैमरे नैवकैम द्वारा ली गई है। चंद्रयान-3 मिशन के लिए इस्तेमाल किए जा रहे नैवकैम्स इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला (LEOS) ने विकसित किए हैं।
रोवर ने ली विक्रम लैंडर की तस्वीर
ISRO की महत्वपूर्ण यूनिट में से एक है LEOS
बेंगलुरू स्थित LEOS में 1957 में भारत का पहला सैटेलाइट बनाया गया था। यह ISRO की महत्वपूर्ण यूनिट में से एक है। यह अंतरिक्ष मिशनों के लिए सेंसर के डिजाइन, विकास और उत्पादन से संबंधित है। LEOS सभी LEO, GEO सैटेलाइट और इंटरप्लेनेटरी मिशन के लिए सेंसर को डिजाइन, उनका विकास और उत्पादन करती है। यहां अगली पीढ़ी की टेक्नोलॉजी 3-एक्सिस फाइबर ऑप्टिक्स, ऑप्टिकल कम्युनिकेशन, नैनोटेक्नोलॉजी और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए पेलोड पर काम करने की तैयारी है।
चंद्रयान-3 ने पहले भी भेजी हैं वीडियो और तस्वीरें
ISRO का चंद्रयान-3 मिशन लगातार चांद से जुड़ी रोचक जानकारियां भेज रहा है। इससे पहले ISRO ने एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें रोवर ने चांद की सतह पर 4 मीटर चौड़े एक क्रेटर (गड्ढे) को देखा जा सकता है। गड्ढे के कारण रोवर को दूसरे रास्ते पर भेज दिया गया था। ISRO ने लैंडर से उतरते हुए रोवर का वीडियो शेयर किया था। ये तस्वीरें और वीडियो लैंडर और रोवर में लगे विभिन्न कैमरों के जरिए ली जाती हैं।
रोवर ने चांद की सतह पर खोजा सल्फर
चंद्रयान-3 के रोवर ने बीते दिन इन-सीटू प्रयोग के जरिए चांद की सतह पर सल्फर की मौजूदगी का भी पता लगाया है। ISRO ने बताया कि रोवर ने पहली बार इन-सीटू प्रयोग के जरिए दक्षिणी ध्रुव के पास सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि उपकरण ने उम्मीद के मुताबिक एल्युमिनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता लगाया। वनस्पतियों और जीवों को जीवित रखने के लिए सल्फर एक जरूरी तत्व है।
लैंडर, रोवर और अन्य डिवाइसों के जरिए किए जा रहे हैं प्रयोग
चंद्रयान-3 मिशन के 3 उद्देश्य थे, जिनमें पहला उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग थी। दूसरा उद्देश्य रोवर का चांद की सतह पर चलना था। ये 2 उद्देश्य तो पूरे हो गए। मिशन का तीसरा उद्देश्य इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग यानी चांद की सतह पर ही उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक प्रयोग किया जाना था। इन-सीटू प्रयोग अभी जारी हैं। ये सभी प्रयोग लैंडर और रोवर के साथ ही उनमें लगे अन्य डिवाइसों के जरिए किए जा रहे हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किए चंद्रयान-3 मिशन में 3 मॉड्यूल, प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर, थे। प्रोपल्शन लैंडर को पृथ्वी की ऑर्बिट से होते हुए चांद की ऑर्बिट तक लेकर गया। चांद की सतह के करीब पहुंचकर प्रोपल्शन और लैंडर दोनों अलग हो गए। यहीं से लैंडर चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए तैयार हुआ। 23 अगस्त को इसकी सफल लैंडिंग ने भारत को चांद पर लैंडिंग में सफल चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करा दिया।