प्रदूषण से लड़ने की तैयारी कर रहा ये इंजीनियर, प्रधानमंत्री मोदी ने की मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते दिनों यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने पहुंचे और वहां उन्होंने प्रदूषण कम करने से जुड़ी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे भारतीय इंजीनियर से मुलाकात की। दिल्ली में रहने वाले मैकेनिकल इंजीनियर विद्युत मोहन ने ग्लास्गो, स्कॉटलैंड में प्रधानमंत्री को अपने इनोवेशन के बारे में बताया। दोनों ने एक पोर्टेबल और कॉस्ट इफेक्टिव सॉल्यूशन पर बात की, जिसके साथ राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है।
इसलिए चुनी प्रदूषण कम करने से जुड़ी टेक्नोलॉजी
NDTV से बात करते हुए विद्युत ने बताया कि दिल्ली की प्रदूषित हवा के चलते उनकी दादी अक्सर बीमार पड़ जाती थीं। यही वजह है कि उन्होंने प्रदूषण कम करने से जुड़ा सॉल्यूशन तैयार करने का फैसला किया। 30 साल के विद्युत ने जो सॉल्यूशन तैयार किया है, उसे ट्रैक्टर पर लगाया जा सकता है और इसके साथ खेती से पैदा होने वाले कचरे और पराली को रिसाइकल कर ईंधन और खाद बनाई जा सकती है।
98 प्रतिशत तक कम हो सकता है कार्बन उत्सर्जन
आसान भाषा में समझें तो विद्युत का सॉल्यूशन एक कॉफी रोस्टर की तरह काम करता है। इसमें डाला जाने वाला कचरा नियंत्रित तापमान में ईंधन, खाद और फर्टिलाइजर के तौर पर बाहर आता है। विद्युत के डीसेंट्रलाइज टूल की शुरुआती टेस्टिंग उत्तराखंड में की जा रही थी और अब इसे दूसरी लोकेशंस में भी टेस्ट किया जा रहा है। वह लगातार इसमें सुधार कर रहे हैं और इसे ज्यादा शहरों तक पहुंचाने में सरकार सहयोग भी कर सकती है।
सरकार से साझेदारी में मदद करेगी PM से मुलाकात
विद्युत मोहन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनसे जानना चाहा कि उनकी मशीन कैसे काम करती है, कैसे और कहां मैन्युफैक्चर होती है और किसानों तक कैसे पहुंच सकती है। मोहन ने कहा, "प्रधानमंत्री इस बारे में ज्यादा जानना चाहते थे।" मोहन को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात का फायदा इस इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ पार्टनरशिप में मिलेगा। विद्युत की तकनीक पराली जलाने के चलते होने वाले प्रदूषण पर रोक लगा सकती है।
वैल्यू चेन के लिए जरूरी है कोलैबरेशन
अपने इनोवेशन का मकसद बताते हुए मोहन ने कहा है कि इस सॉल्यूशन को बड़े स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उनका स्टार्ट-अप अकेले काम नहीं कर सकता और वैल्यू चेन तैयार करने के लिए उसे सरकार के साथ कोलैबरेशन की जरूरत पड़ेगी। सरकार प्रदूषण कम करने के लिए इसके साथ खास मॉडल लागू कर सकती है। बता दें, विद्युत की इनोवेशन के लिए उन्हें इस साल प्रिंस विलियम्स अर्थशॉट प्राइज भी मिल चुका है।
पराली जलाने से हर साल बढ़ता है प्रदूषण
भारत की राजधानी दिल्ली समेत कई शहरों में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है और फसल कटने के बाद पंजाब-हरियाणा राज्यों में जलाई जाने वाली पराली को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है। सरकार इसे कम करने की कोशिश लगातार कर रही है।