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    वायु प्रदूषण से भारत को प्रति मिनट हो रहा तीन करोड़ रुपये का नुकसान- रिपोर्ट

    वायु प्रदूषण से भारत को प्रति मिनट हो रहा तीन करोड़ रुपये का नुकसान- रिपोर्ट
    लेखन भारत शर्मा
    Feb 24, 2020, 06:00 pm 1 मिनट में पढ़ें
    वायु प्रदूषण से भारत को प्रति मिनट हो रहा तीन करोड़ रुपये का नुकसान- रिपोर्ट

    वायु प्रदूषण से दिल्ली और आस-पास के क्षेत्र की हवा इतनी जहरीली हो जाती है कि सांस लेना मौत को बुलावा देने के समान है। बीते वर्ष दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 1,200 से भी पार पहुंच गया था। हालांकि सरकार इसे कम करने के प्रयास कर रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जीवाश्म ईंधन के उपयोग से बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण हमारे देश को प्रति मिनट करीब तीन करोड़ रुपये का नुकसान रहा है?

    भारत को सालाना हो रहा 10.7 लाख करोड़ रुपये का घाटा

    पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ग्रीनपीस की रिपोर्ट की माने तो जीवाश्म ईंधन से होने वाले वायु प्रदूषण से पूरी दुनिया को प्रतिवर्ष 2.9 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हो रहा है। यह दुनियाभर के कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3.3 प्रतिशत है। भारत को इससे 10.7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जो देश की कुल GDP का 5.4 प्रतिशत है। इससे देश को प्रति मिनट तीन करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

    सबसे अधिक नुकसान झेल रहा है चीन

    रिपोर्ट के अनुसार जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाले वायु प्रदूषण से दुनियाभर में सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश चीन को हो रहा है। चीन को प्रतिवर्ष 64 लाख करोड़ रुपये यानी करीब 900 बिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है। इसी तरह विश्व की सबसे बड़ी शक्ति अमेरिका को 42 लाख करोड़ रुपये यानी 600 बिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है। नुकसान के मामले में ये तीनों देश पहले तीन पायदान पर हैं।

    प्रदूषण से प्रतिवर्ष हो जाती है 45 लाख लोगों की मौत

    रिपोर्ट की माने तो जीवश्म ईंधन के जलने से होने वाले प्रदूषण की कीमत दुनिया को विभिन्न रूपों में चुकानी पड़ रही है। दुनियाभर में प्रतिवर्ष करीब 45 लाख लोगों की मौत प्रदूषण से जाती है। इनमें से करीब 10 लाख मौत प्रतिवर्ष भारत में ही होती है। इसी तरह 18 लाख मौत चीन में, जबकि बाकी मौतें अन्य देशों में होती हैं। अधिकतर मौत हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर और तीव्र श्वसन संक्रमण से होती है।

    देश में अस्थमा की चपेट में हैं 12 लाख 85 हजार बच्चे

    जीवश्म ईंधन के जलने से पैदा होने वाली नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (NO2) के कारण भारत में अस्थमा का प्रकोप भी बढ़ गया है। इसके अलावा बच्चों का समय से पहले जन्म हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रतिवर्ष 9 लाख 80 हजार बच्चों का जन्म समय से पहले होता है। इसी तरह प्रतिवर्ष 3 लाख 50 हजार बच्चे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं। वर्तमान में देश के 12 लाख 85 हजार बच्चे अस्थमा की चपेट में हैं।

    भारत को हो रहा चिकित्सा क्षेत्र में खर्च होने वाले व्यय से अधिक नुकसान

    आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में कुल GDP का 1.28 प्रतिशत स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र पर खर्च किया जाता है। इसके उलट देश को जीवाश्म ईंधन से होने वायु प्रदूषण के प्रभावों के कारण प्रतिवर्ष कुल GDP की 5.4 प्रतिशत राशि का नुकसान झेलना पड़ रहा है। दुनियाभर में प्रदूषण की चपेट में आए बीमार लोगों को इतने दिन आराम करना पड़ता है कि वे 49 करोड़ दिन तक काम पर नहीं जा पाए।

    सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटित किया 69,000 करोड़ का बजट

    भारत सरकार ने देश के लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाने और अरोग्यता का ग्राफ बढ़ाने के लिए साल 2020-21 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 69,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। ऐसे में सरकार को प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाने होंगे।

    संस्था ने दी जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बंद करने की सलाह

    रिपोर्ट तैयार करने वाली ग्रीनपीस संस्था ने प्रदूषण को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग बंद करने की सलाह दी है। संस्था के सीनियर कैंपेनर अविनाश चंचल ने अक्षय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने के साथ धीरे-धीरे पेट्रोल और डीजल वाहनों को भी बंद करने की बात कही है। इसी तरह नए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को अनुमति न देने तथा मौजूदा संयंत्रों को भी धीरे-धीरे बंद करने की भी सलाह दी है।

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