
नासा अंतरिक्ष यात्रियों की भोजन सप्लाई के लिए लिए करेगी डीप स्पेस फूड प्रोडक्शन का इस्तेमाल
क्या है खबर?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा लंबी अवधि के चालकदल के अंतरिक्ष अभियानों की योजना बना रही है। ऐसे अभियानों में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पर्याप्त फूड सप्लाई महत्वपूर्ण है।
इसके लिए नासा डीप स्पेस फूड चैलेंज प्रतियोगिता करा रही है। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के भोजन की जरूरतों को पूरा करने वाली टेक्नोलॉजी के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इसके लिए न्यूयॉर्क स्थित एक एयर कंपनी ने नया सिस्टम पेश किया है।
आइये इस सिस्टम के बारे में जानते हैं।
अंतरिक्ष
पैकेज्ड भोजन का इस्तेमाल करते हैं अंतरिक्ष यात्री
अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर सवार अंतरिक्ष यात्री पिछले 2 दशकों से ज्यादातर पैकेज्ड भोजन का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, री-सप्लाई मिशन चालक दल या अंतरिक्ष यात्रियों को नियमित रूप से कुछ ताजा उपज प्रदान करते हैं।
चालक दल के सदस्यों ने ऑर्बिट में कुछ सब्जियों को उगाने का प्रयास भी किया है, जिसमें लेट्यूस, मिर्च, गोभी और टमाटर आदि हैं।
हाल ही में ISS से मार्च में लौटे क्रू-5 अंतरिक्ष यात्रियों ने टमाटर उगाया था।
चैलेंज
फूड प्रोडक्शन तकनीकों की तलाश कर रही है नासा
डीप स्पेस फूड चैलेंज के साथ नासा फूड प्रोडक्शन तकनीकों की तलाश कर रही है। इसके लिए कम से कम कचरा पैदा करने वाले और न्यूनतम संसाधनों की जरूरत होती है।
यह तब और जरूरी है, जब अंतरिक्ष एजेंसी चंद्रमा, मंगल और उससे आगे के लिए लंबी अवधि के चालक दल भेजने की योजना बना रही है।
दरअसल, अंतरिक्ष में फालतू के कचरे का निपटान काफी जटिल काम है। चालक दल अधिकतर अपना कचर अपने साथ लेकर आते हैं।
कंपनी
CO2 से पोषक तत्व विकसित करने की तकनीक हो रही तैयार
एयर कंपनी छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड से यीस्ट तैयार करने पर काम कर रही है।
कंपनी उड़ान के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड से प्रोटीन शेक के लिए यीस्ट-आधारित पोषक तत्वों को विकसित करने का तरीका लेकर आई है। ये भविष्य में डीप-स्पेस मिशनों पर अंतरिक्ष यात्रियों को पोषण देगा।
डीप स्पेस फूड चैलेंज ने कंपनी को इसी कार्बन-कंवर्जन तकनीक को मॉडीफाई कर खाने योग्य प्रोटीन, फैस और वसा का उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया है।
सिस्टम
ऐसे काम करती है तकनीक
यह सिस्टम अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा सांस से छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड गैस को लेता है और इसे पानी से इलेक्ट्रोलिसिस तरीके से निकाले गए हाइड्रोजन के साथ जोड़ता है।
इस मिश्रण को यीस्ट की थोड़ी मात्रा में मिलाया जाता है। ये काम सिंगल-सेल प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों के स्थायी सप्लाई के उत्पादन के लिए किया जाता है।
कंपनी द्वारा तैयार किए गए सिंगल-सेल प्रोटीन ड्रिंग की कंसिस्टेंसी की बात करें तो यह व्हे प्रोटीन शेक के समान है।
ड्रिंक
फाइनल राउंड के विजेता को मिलेगा 12 करोड़ रुपये ईनाम
प्रोटीन ड्रिंक के अलावा अधिक कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थों जैसे ब्रेड, पास्ता आदि को तैयार करने के लिए भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस तकनीक को बनाने वाली कंपनी डीप स्पेस फूड चैलेंज के दूसरे चरण में नासा द्वारा घोषित 8 विजेताओं में से एक बन गई। कंपनी को नासा ने लगभग 6 करोड़ रुपये पुरस्कार दिया।
इस प्रतियोगिता का फाइनल राउंड जल्द आयोजित होगा और इसके विजेता को लगभग 12 करोड़ रुपये ईनाम मिलेगा।