
बिना मिट्टी अंतरिक्ष में पौधे उगाएंगे वैज्ञानिक, शून्य-गुरुत्वाकर्षण में भेजा गया सामान
क्या है खबर?
अनंत अंतरिक्ष हमेशा से ही वैज्ञानिकों को लुभाता रहा है और इससे जुड़े कई प्रयोग भी लगातार चल रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की स्थापना ऐसे ही शोध और प्रयोगों के लिए की गई है।
अब अंतरिक्ष यात्री बिना मिट्टी के अंतरिक्ष में पौधे उगाने जा रहे हैं, जिससे जुड़ा सामान उनके पास भेजा गया है।
यह काम सिग्नस स्पेसक्राफ्ट की मदद से किया गया, जो सोमवार को ISS से जाकर जुड़ा।
प्रयोग
नए प्रयोग का सामान लेकर गया सिग्नस स्पेसक्राफ्ट
ISS से जाकर जुड़ने वाला सिग्नस स्पेसक्राफ्ट फ्रेश सप्लाईज, कार्गो और शून्य-गुरुत्वाकर्षण से जुड़े नए प्रयोग अंतरिक्ष यात्रियों के लिए लेकर गया है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने इस डॉकिंग की जानकारी दी।
अंतरिक्ष में मौजूद प्रयोगशाला की कनाडा आर्म ने SS पियर्स सेलर्स सिगन्स स्पेसक्राफ्ट की तस्वीर ISS से जुड़ने के बाद शेयर की है।
बता दें, अंतरिक्ष स्टेशन को जरूरी सामान भेजने के लिए ऐसे स्पेसक्राफ्ट्स भेजे जाते रहते हैं।
ट्वीट
NASA ने ट्वीट में दी जानकारी
अंतरिक्ष एजेंसी ने ट्वीट में लिखा, "विज्ञान, सप्लाईज और स्नैक्स से जुड़ा आपका शिपमेंट पहुंच गया है।"
नॉर्थरॉप ग्रममैन्स का कार्गो रीसप्लाई मिशन ISS के साथ जुड़ने के साथ पूरा हुआ और अब इससे जुड़े प्रयोग शुरू किए जाएंगे।
वैज्ञानिकों को शून्य-गुरुत्वाकर्षण में पौधे उगाने की कोशिश करनी है। इस तरह वे अंतरिक्ष में ही अनाज का उत्पादन कर पाएंगे।
बता दें, इस स्पेसक्राफ्ट को वर्जीनिया से एंटारेस रॉकेट के साथ लॉन्च किया गया था।
मिशन
अलग-अलग तरह के प्रयोगों से जुड़ा सामान
NG17 रीसप्लाई मिशन में भेजे गए प्रयोगों का फोकस ट्यूमर सेल्स और त्वचा पर माइक्रोग्रेविटी का प्रभाव समझने पर होगा।
इसके अलावा अंतरिक्ष में ऑक्सीजन पैदा करने, बैटरीज तैयार करने और पौधे उगाने की कोशिशें भी की जाएंगी।
कोल्गेट स्किन एजिंग प्रयोग का मकसद माइक्रोग्रेविटी में इंसानी स्किन सेल्स में होने वाले बदलावों को समझना है।
इन प्रयोगों के साथ पृथ्वी पर वक्त बीतने के साथ त्वचा और शरीर में होने वाले बदलाव नियंत्रित किए जा सकेंगे।
माइक्रोक्विन 3D
कैंसर के इलाज पर भी किया जा रहा है काम
ISS में एक अन्य माइक्रोक्विन 3D ट्यूमर प्रयोग भी किया जाएगा, जिसका मकसद ब्रेस्ट और प्रोस्टेस कैंसर सेल्स पर अंतरिक्ष में दवाओं का असर समझना है।
वैज्ञानिकों ने कहा है कि अंतरिक्ष में ये सेल्स ज्यादा सामान्य तरीके से थ्री-डायमेंशनल (3D) मॉडल में बढ़ते हैं।
इस तरह उन सेल्स का स्ट्रक्चर, जीन एक्सप्रेशन और सेल सिग्नलिंग का तरीका बेहतर समझा जा सकेगा।
अंतरिक्ष यात्रियों का यह प्रयोग कैंसर के इलाज में मददगार साबित हो सकता है।
जरूरत
ऐसे प्रयोग क्यों कर रही है NASA?
चांद और मंगल ग्रह से जुड़े अपने प्रयोग NASA ने तेज कर दिए हैं और अंतरिक्ष में जीवन के लिए जरूरी चीजों के उत्पादन का विकल्प तलाश रही है।
XROOTS प्रयोग अंतरिक्ष में अनाज उगाने के लिए हाइड्रोपोनिक (पानी-आधारित) और एरोपोनिक (वायु-आधारित) तकनीकों से जुड़ा है।
अगला बड़ा प्रोजेक्ट सॉलिड फ्यूल इग्निशन और एक्टिंक्शन (SoFIE) से जुड़ा है।
इसके साथ अंतरिक्ष में आग के इस्तेमाल का नियंत्रित तरीका खोजने की कोशिश की जा रही है।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) अंतरिक्ष में मौजूद एक रिसर्च सेंटर है, जिसे दुनिया के कई देशों ने मिलकर पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया है। यह इंसानों का बनाया सबसे बड़ा कृत्रिम उपग्रह है, जिसपर अंतरिक्षयात्री जाते रहते हैं।