मंगल ग्रह पर गए स्पेसक्राफ्ट को दिया गया विंडोज 98 का अपडेट, यह है वजह
मंगल ग्रह की कक्षा में चक्कर लगा रहे एक स्पेसक्राफ्ट की परफॉर्मेंस बेहतर करने के लिए इसे विंडोज 98 का अपडेट दिया जा रहा है। दरअसल, इस स्पेसक्राफ्ट को करीब 19 साल पहले 2003 में लॉन्च किया गया था। इतने लंबे वक्त से यह स्पेसक्राफ्ट मंगल ग्रह के चक्कर लगा रहा है और डाटा पृथ्वी पर भेज रहा है। उम्मीद की जा रही है कि नए सॉफ्टवेयर अपडेट के बाद इसकी परफॉर्मेंस पहले के मुकाबले बेहतर हो सकती है।
यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने किया था लॉन्च
मार्स एक्सप्रेस नाम के स्पेसक्राफ्ट का लॉन्च साल 2003 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) की ओर से किया गया था और इसका सॉफ्टवेयर माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 98 पर आधारित था। यह स्पेसक्राफ्ट एक खास तरह का उपकरण लेकर गया था, जिसका नाम मार्स एडवांस्ड रेडार फॉर सबसर्फेस एंड लोनोस्फियरिक साउंडिंग (MARSIS) है। इस उपकरण की मदद से ही साल 2018 में मंगल ग्रह की सतह के नीचे तरल स्थिति में पानी होने का पता चला था।
धरती पर आने वाले डाटा की क्वॉलिटी होगी बेहतर
MARSIS उपकरण लो-फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव्स की मदद से मंगल ग्रह की सतह पर पानी और इसके वातावरण की स्टडी करता है। स्पेसक्राफ्ट का 130 फीट लंबा एंटेना ग्रह की सतह से लगभग तीन मील अंदर तक खोज कर सकता है। नए सॉफ्टवेयर अपडेट के साथ स्पेसक्राफ्ट का सिग्नल रिसेप्शन और ऑनबोर्डिंग डाटा प्रोसेसिंग के बेहतर होने की उम्मीद की जा रही है। इस बदलाव के साथ धरती पर आने वाले डाटा की क्वॉलिटी में सुधार होगा।
आसान नहीं है स्पेसक्राफ्ट की परफॉर्मेंस अपग्रेड करना
डिवेलपमेंट को लीड कर रही INAF में MARSIS डेप्युटी PI एंड ऑपरेशंस मैनेजर एंड्रिया सिचेट्टी ने कहा, "हम अपने उपकरण की परफॉर्मेंस मिशन की शुरुआत में तय की गईं मौजूदा सीमाओं से आगे लेकर जाना चाहते थे।" अपग्रेड पर काम कर रहे MARSIS ऑन-बोर्ड सॉफ्टवेयर इंजीनियर कार्लो नेना ने कहा, "MARSIS की परफॉर्मेंस में सुधार करते वक्त हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।" यह परेशानी इसलिए आई क्योंकि MARSIS का सॉफ्टवेयर करीब 20 साल पहले तैयार किया गया था।
तेजी से भर जाती थी उपकरण की ऑन-बोर्ड मेमोरी
एंड्रेया ने बताया, "इससे पहले तक मंगल ग्रह के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने के लिए और इसके उपग्रह फोबोस का अध्ययन करने के लिए हम एक जटिल तकनीक का इस्तेमाल कर रहे थे, जो ढेर सारा हाई-रेजॉल्यूशन डाटा जुटाती थी और उपकरण का ऑन-बोर्ड स्टोरेज तेजी से भर जाता था।" उन्होंने कहा, "गैर-जरूरी डाटा हटाते हुए नया सॉफ्टवेयर MARSIS को हर चक्कर में पांच गुना तक ज्यादा क्षेत्र का अध्ययन करने का विकल्प देगा।"
मंगल पर पानी के स्रोत की तलाश
नए सॉफ्टवेयर के साथ मार्स एक्सप्रेस ग्रह के क्षेत्रों का बारीकी से अध्ययन करते हुए पुष्टि कर पाएगा कि वहां पानी से स्रोत मौजूद हैं या नहीं। ESA मार्स एक्सप्रेस वैज्ञानिक कोलिन विल्सन ने इस सॉफ्टवेयर अपग्रेड को बड़ी उपलब्धि मानते हुए कहा, "यह लॉन्च के लगभग 20 साल बाद मार्स एक्सप्रेस पर एक पूरी तरह नया उपकरण लगाने जैसा है।" बता दें, पृथ्वी के बाहर केवल मंगल ही ऐसा ग्रह है, जहां भविष्य में इंसान बस सकते हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
वैज्ञानिकों का मानना है कि तीन-चार अरब साल पहले मंगल पर जीवन था। उस समय यहां वातावरण पृथ्वी जैसा था, जिससे वहां पानी रहा होगा।वैज्ञानिकों को यह भी लगता है कि धरती के कई बैक्टीरिया मंगल की सतह पर जिंदा रह सकते हैं।