ISRO जनवरी में श्रीहरिकोटा से लॉन्च करेगा अपना 100वां मिशन
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जनवरी में श्रीहरिकोटा से अपना 100वां मिशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
इस मिशन में जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल (GSLV) का उपयोग होगा।
ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने बीते दिन (31 दिसंबर) बताया कि 99वां लॉन्च PSLV-C60 मिशन के रूप में सफलतापूर्वक हुआ।
इस मिशन में 2 सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में स्थापित किया गया है, जो स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन का हिस्सा हैं।
उम्मीदें
GSLV से नई उम्मीदें
ISRO का GSLV रॉकेट नेविगेशन सैटेलाइट स्थापित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। मई, 2023 में GSLV-F12 से NVS-01 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में सफलतापूर्वक भेजा गया। यह NavIC सेवाओं के लिए दूसरी पीढ़ी का सैटेलाइट था।
अब जनवरी, 2025 में GSLV से NVS-02 को लॉन्च किया जाएगा। ISRO की यह उपलब्धि भारत के नेविगेशन सिस्टम को और सटीक बनाएगी और अंतरिक्ष में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगी।
खासियत
स्पेडेक्स मिशन की खासियत
PSLV-C60 मिशन में स्पेडेक्स तकनीक का उपयोग किया गया, जिसमें 2 यान गोलाकार कक्षा में सफलतापूर्वक भेजे गए।
इस तकनीक से अंतरिक्ष यानों को जोड़ने में मदद मिलेगी। सोमनाथ ने इसे अंतरिक्ष में सुधार और विस्तार का बड़ा कदम बताया।
भविष्य में इस तरह की तकनीक और मिशन भारत को अंतरिक्ष में अग्रणी बनाएंगे। स्पेडेक्स जैसे प्रयोग नई चुनौतियों को हल करने और अधिक जटिल मिशन करने की क्षमता विकसित करने में सहायक होंगे।
रणनीति
सटीक समय की रणनीति
PSLV-C60 मिशन का लॉन्च कल (सोमवार) रात 10 बजे किया गया था।
वैज्ञानिकों ने यह सुनिश्चित करने के लिए गणना की कि नया सैटेलाइट दूसरे सैटेलाइट्स से पर्याप्त दूरी पर रहे।
इस बदलाव से टकराव की संभावना खत्म होती है और सैटेलाइट की कक्षा सुरक्षित रहती है।
इस तरह की रणनीति हर लॉन्च की सफलता और सुरक्षा के लिए जरूरी होती है। आने वाले मिशनों में भी ISRO ऐसी ही सतर्कता और सटीकता बनाए रखेगा।