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    ISRO ने रचा इतिहास, स्पेडेक्स मिशन सफलतापूर्वक किया लॉन्च
    ISRO ने स्पेडेक्स मिशन सफलतापूर्वक किया लॉन्च (तस्वीर: ISRO)

    ISRO ने रचा इतिहास, स्पेडेक्स मिशन सफलतापूर्वक किया लॉन्च

    लेखन बिश्वजीत कुमार
    Dec 30, 2024
    10:04 pm

    क्या है खबर?

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज (30 दिसंबर) रात 10:00 बजे अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स) मिशन को लॉन्च कर दिया है।

    यह मिशन श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C60) रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया है।

    स्पेडेक्स मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में मानवयुक्त मिशनों और कक्षा में सैटेलाइट्स की मरम्मत जैसी तकनीकों को बढ़ावा देगा।

    उद्देश्य

    मिशन का उद्देश्य और उपयोगिता

    इस मिशन में 'चेजर' और 'टारगेट' नामक 2 सैटेलाइट्स, शामिल हैं, जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाएगा।

    स्पेडेक्स मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष यानों के स्वायत्त मिलन और डॉकिंग प्रक्रिया का परीक्षण करना है। यह तकनीक भविष्य के चंद्र मिशनों, अंतरिक्ष स्टेशन और गहरे अंतरिक्ष अभियानों के लिए अहम है।

    इस मिशन में दोनों एक-दूसरे से 20 किलोमीटर की दूरी से धीरे-धीरे पास आएंगे और 3 मीटर की दूरी पर जुड़ने की प्रक्रिया को अंजाम देंगे।

    लॉन्च प्रक्रिया

    लॉन्च प्रक्रिया और सटीकता

    ISRO ने PSLV-C60 रॉकेट के जरिए स्पेडेक्स मिशन को लॉन्च किया है। यह रॉकेट करीब 400 किलोग्राम वजनी चेजर और टारगेट सैटेलाइट को उनकी निर्धारित कक्षा में सटीकता से स्थापित करने में सक्षम है।

    लॉन्च प्रक्रिया में सैटेलाइट्स को अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा, ताकि वे बाद में अपनी कक्षीय यात्रा के दौरान स्वायत्त डॉकिंग प्रक्रिया को पूरा कर सकें। यह प्रक्रिया भविष्य में अंतरिक्ष अभियानों की जटिलता को कम करेगी।

    विशेषताएं 

    सैटेलाइट्स की तकनीकी विशेषताएं 

    स्पेडेक्स मिशन के चेजर और टारगेट सैटेलाइट में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है। इनमें डिफरेंशियल GNSS पोजिशनिंग सिस्टम लगाया गया है, जो सैटेलाइट्स की स्थिति और गति को मापता है।

    RODP प्रोसेसर और VHF/UHF ट्रांसीवर के माध्यम से सैटेलाइट्स के बीच डाटा का आदान-प्रदान होता है।

    ये तकनीकें सैटेलाइट्स को मिलन और डॉकिंग प्रक्रिया को स्वायत्त रूप से पूरा करने में सक्षम बनाती हैं। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष तकनीक को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

    तैयारी

    मिशन की तैयारी और विकास

    स्पेडेक्स मिशन की तैयारी UR राव सैटेलाइट सेंटर में की गई। दोनों सैटेलाइट्स का निर्माण और परीक्षण बेंगलुरु में हुआ। लॉन्च से पहले सभी प्रणालियों का गहन परीक्षण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा में किया गया।

    PSLV-C60 इन्हें कक्षा में स्थापित करेगा और इस मिशन का नियंत्रण ISTRAC द्वारा संभाला जा रहा है। मिशन की हर प्रक्रिया को उच्च सटीकता और दक्षता के साथ अंजाम दिया गया, ताकि इसे अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक संचालित किया जा सके।

    महत्व

    अंतरराष्ट्रीय महत्व और भविष्य के संकेत 

    स्पेडेक्स मिशन भारत को उन चुनिंदा देशों (अमेरिका, रूस और चीन) की सूची में शामिल करता है, जिनके पास अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक है।

    इससे अंतरिक्ष में लॉजिस्टिक क्षमताएं, सैटेलाइट्स की मरम्मत और ईंधन भरने जैसे कार्यों को सक्षम बनाया जा सकेगा।

    यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) और चंद्रयान-4 जैसे अभियानों के लिए तकनीकी नींव तैयार करेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मिशन भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान और तकनीक में अग्रणी देशों की पंक्ति में खड़ा करेगा।

    महत्वाकांक्षाएं

    भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएं

    स्पेडेक्स मिशन भारत के 'स्पेस विजन 2047' का हिस्सा है, जिसमें 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक भारतीय को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य है।

    यह मिशन चंद्रयान-4 और अन्य गहरे अंतरिक्ष अभियानों के लिए जरूरी तकनीकों को विकसित करने में सहायक होगा।

    स्पेडेक्स मिशन से कक्षा में सैटेलाइट्स की मरम्मत, ईंधन भरने, और अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण जैसी क्षमताएं हासिल करने का मार्ग प्रशस्त होगा, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को मजबूत करेगा।

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