
ISRO ने लॉन्च किए सिंगापुर के 2 सैटेलाइट, दिन-रात मिलेगी मौसम की सटीक जानकारी
क्या है खबर?
ISRO ने शनिवार को अपने एक और बड़े मिशन पर पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) को लॉन्च कर दिया है।
इस रॉकेट ने सिंगापुर के दो बड़े सैटेलाइट और एक इन-हाउस प्लेटफॉर्म के साथ उड़ान भरी है।
PSLV-C55 मिशन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2:19 बजे लॉन्च हुआ।
यह PSLV की 57वीं उड़ान है और PSLV कोर अलोन कॉन्फिगरेशन का इस्तेमाल करने वाला 16वां मिशन है।
लॉन्च
ISRO ने लॉन्च किया TeLEOS-2 और लुमिलाइट-4 सैटेलाइट
ISRO ने सिंगापुर के दो सैटेलाइट लॉन्च करने के बारे में अपने ट्विटर हैंडल पर भी जानकारी दी थी।
ISRO ने बताया था कि शनिवार को श्रीहरिकोटा से PSLV रॉकेट PSLV-C55 सिंगापुर के 741 किलो वजनी सैटेलाइट TeLEOS-2 और 16 किलो वजन वाले लुमिलाइट-4 सैटेलाइट को ऑर्बिट में भेजेगा।
TeLEOS-2 एक रडार सैटेलाइट है। इसे सिंगापुर के डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी एजेंसी ने तैयार किया है।
इस सैटेलाइट से मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी।
तीसरा
ISRO का साल का तीसरा बड़ा लॉन्च
यह लॉन्च ISRO के लिए वर्ष का तीसरा बड़ा लॉन्च था, जो चंद्रयान-3 और प्रथम सौर मिशन आदित्य L-1 सहित की आगामी लान्चिंग से पहले हुआ।
ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने मिशन को सफल बताते हुए कहा कि PSLV ने दोनों उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया।
उन्होंने कहा कि PSLV ने अपने 57वें मिशन में बेहतरीन विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया है।
इस मिशन का बड़ा हाईलाइट PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल है, जिसे POEM भी कहा जाता है।
स्टेप
पेलोड का अंतरिक्ष में 30 दिनों का है ऑपरेशनल टाइम
POEM रॉकेट का चौथ या आखिरी स्टेप PS4 होता है और ये आमतौर पर अंतरिक्ष मलबे के रूप में समाप्त होता है।
ISRO ने अब इसे पेलोड अलग न होने वाले एक्सपेरिमेंटल प्लेटफॉर्म के तौर पर विकसित किया है।
इसमें 7 एक्सपेरिमेंटल पेलोड हैं। इन पेलोड का अंतरिक्ष में 30 दिनों का ऑपरेशनल टाइम है।
ISRO PSLV रॉकेट के लास्ट स्टेप (PS4) का इस्तेमाल ऑर्बिट में प्रैक्टिकल के लिए करता है। यही POEM है।
पेलोड
क्या है पेलोड का काम?
PSLV-C55 मिशन में 2 पेलोड थे। इसमें एक सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAP) पेलोड TeLEOS-2 है। ये पूरे मौसम में दिन और रात कवरेज प्रदान करने में सक्षम होगा। ये 1 मीटर पर फुल पोलरमैट्रिक रिज्यॉलूशन इमेजिंग करने में सक्षम होगा।
दूसरा पेलोड हाई-परफॉर्मेंस स्पेस-बोर्न VHF डाटा एक्सचेंज सिस्टम (VDES) के टेक्नोलॉजी प्रदर्शन के लिए विकसित किया गया था।
पेलोड एक कमांड द्वारा संचालित होंगे।
प्लेटफॉर्म में एक सौर पैनल लगा होगा, जो सैटेलाइट स्थापित होने के बाद तैनात किया जाएगा।