स्मार्ट गन चेहरा और फिंगर प्रिंट पहचानने के बाद करती है फायर, अमेरिका में बिक्री शुरू
स्मार्ट होते इस दौर में अब स्मार्ट बंदूक भी आने लगी हैं। अमेरिका में इनकी बिक्री भी शुरू हो गई है। ये स्मार्ट बंदूक फेशियल-रिकग्निशन टेक्नोलॉजी से लैस है। इससे सिर्फ वही शख्स फायर कर सकेंगे, जो इसे चलाने के लिए वेरिफाइड होंगे। ये लगभग उसी तरह है, जैसे स्मार्टफोन में आने वाली फेस-रिकग्निशन टेक्नोलॉजी है। इसके जरिए सिर्फ वही यूजर फोन को अनलॉक कर पाते हैं, जिनके चेहरे को फोन असली यूजर के तौर पर वेरिफाई करता है।
नई टेक्नोलॉजी पर्सनलाइज्ड हथियारों में नई तरक्की
फेशियल-रिकग्निशन टेक्नोलॉजी पर्सनलाइज्ड हथियारों में एक नया डेवलपमेंट है। हालांकि, समाचार एजेंसी रॉयटर्स को ट्रायल दिखाने के लिए स्मार्ट बंदूक का एक प्रोटोटाइप मॉडल इस्तेमाल किया गया और यह फायर करने में 2 बार फेल रहा। कंपनी के CEO काई क्लोएफर ने कहा कि सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक का पूरी तरह से परीक्षण किया गया है। फायर करने में फेल रही बंदूक में प्री-प्रोडक्शन से जुड़ी कमियां थी और इसे प्रोटोटाइप पार्ट्स से बनाया गया था।
फिंगरप्रिंट से भी अनलॉक की जा सकती है स्मार्ट गन
काई के मुताबिक, सामान्य प्रदर्शन के दौरान स्मार्ट बंदूक से सफलतापूर्वक फायर किए गए और इसकी फेशियल-रिकग्निशन टेक्नोलॉजी काम भी करती दिखी है। कोलोराडो स्थित बायोफायर टेक चेहरे की पहचान करने वाली बंदूक का ऑर्डर ले रही है। बायोफायर की बंदूक को फिंगरप्रिंट से भी इनेबल किया जा सकता है। इससे बच्चों द्वारा दुर्घटनावश होने वाली शूटिंग को रोका जा सकेगा। इसके जरिए आत्महत्याओं को कम करने, बंदूकों की चोरी रोकने आदि में मदद मिलेगी।
अनाधिकृत व्यक्ति के चलाने पर बंदूक से नहीं हुआ फायर
वर्ष 2014 में अर्मैटिक्स की बिक्री के बाद से यह अमेरिका में पहली कॉमर्शियल रूप से उपलब्ध स्मार्ट गन बन सकती है। दो अन्य अमेरिकी कंपनियां लोडस्टार वर्क्स और फ्री स्टेट फायर आर्म्स भी बाजार में स्मार्ट गन लाने का प्रयास कर रही हैं। बायोफायर के हेडऑफिस में बंदूक के एक प्रदर्शन के दौरान एक अनाधिकृत व्यक्ति ने जब बंदूक चलाने का प्रयास किया तो उससे फायर नहीं हुआ क्योंकि बंदूक ने उसके चेहरा और फिंगरप्रिंट को रिकग्नाइज नहीं किया।
स्मार्ट गन की टेक्नोलॉजी पर उठा ये बड़ा सवाल
स्मार्ट गन की कुछ अच्छाइयों के साथ कई लोगों के मन में इसकी टेक्नोलॉजी को लेकर एक बड़ा सवाल भी है। दरअसल, लोगों की चिंता यह है कि यदि किसी जरूरत के मौके पर ये टेक्नोलॉजी फेल हो जाती है और बंदूक के असली यूजर को भी पहचानने में विफल रहती है तो फिर आत्मरक्षा का क्या होगा। ये चिंता ठीक उसी तरह है जैसे फोन में दिया जाने वाला फेशियल-रिग्ननिशन और फिंगर प्रिंट कई बार काम नहीं करता है।
बच्चों के हाथ लग जाने पर नहीं होगी अनलॉक
कंपनी के CEO ने लोगों की इस चिंता के बारे में कहा, "हमने सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं बनाया है बल्कि, इसके लिए एक पूरी कंपनी है। हम एक अत्यंत विश्वसनीय प्रोडक्ट बनाते हैं। ये यूजर के इस्तेमाल के दौरान हमेशा अनलॉक होती है और यदि धोखे में भी ये बच्चे के हाथ लग जाती है या बच्चा इसे खोज लेता है तो ये कभी भी अनलॉक नहीं होगी।" अमेरिका के गन कल्चर का काफी विरोध होता है।