गगनयान के लिए डाटा रिले सैटेलाइट लॉन्च करेगा ISRO, बड़े मिशन की तैयारी
क्या है खबर?
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन की ओर से जल्द एक डाटा रिले सैटेलाइट लॉन्च किया जाएगा।
सूत्रों से पता चला है कि यह सैटेलाइट गगनयान मिशन के दौरान लॉन्च के बाद संपर्क बनाए रखने में मदद करेगा।
यह सैटेलाइट गगनयान मिशन के फाइनल स्टेज को अंजाम देने से पहले लॉन्च होगा, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजा जाना है।
पहला मानवरहित मिशन ISRO इस साल दिसंबर में लॉन्च करने वाला है।
सैटेलाइट
डाटा रिले सैटेलाइट की तरह करेगा काम
प्रोजेक्ट से जुड़े एक सोर्स ने कहा, "हमारी योजना पहली ह्यूमन स्पेस फ्लाइट से पहले हमारा खुद का सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च करने की है, जो एक डाटा रिले सैटेलाइट की तरह काम करेगा।"
सामने आया है कि इस 800 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को अनुमति मिल गई है और इसपर काम किया जा रहा है।
ISRO चाहती है कि पहला मानव सहित यान अंतरिक्ष में भेजने से पहले भारत के पास खुद का कम्युनिकेशन नेटवर्क तैयार हो।
तरीका
ऐसे काम करता है डाटा रिले सैटेलाइट
अगर पृथ्वी की कक्षा में स्थापित सैटेलाइट को ग्राउंड स्टेशन का क्लियर व्यू नहीं मिलता है तो वह इन्फॉर्मेशन धरती तक नहीं भेज पाता।
बीच में एक डाटा रिले सैटेलाइट की जरूरत पड़ती है, जिसे निचली कक्षा में स्थापित किया जाता है और वह ग्राउंड स्टेशन के पास होता है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम्स के साथ इसके पास खुद के डाटा रिले सैटेलाइट्स हैं, जो इसके सभी सैटेलाइट्स के ग्लोबल कवरेज में मदद करते हैं।
ग्राउंड स्टेशंस
क्या होते हैं ग्राउंड स्टेशंस?
स्पेस प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाली दुनियाभर की एजेंसियां अपने सैटेलाइट्स की मॉनीटरिंग करने और उनसे डाटा जुटाने के लिए ग्राउंड स्टेशंस का इस्तेमाल करती हैं।
ऐसे स्टेशंस दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बनाए जाते हैं।
ISRO भी दुनियाभर में फैले कई ग्राउंड स्टेशंस का इस्तेमाल करता है, जिनमें मॉरीशियस, ब्रूनेइ और बायाक, इंडोनेशिया शामिल हैं।
गगनयान मिशन के लिए भारत ऑस्ट्रेलियन काउंटपार्ट के साथ बात कर कोको आईलैंड्स में ग्राउंड स्टेशन सेटअप कर सकता है।
मिशन
क्या है भारत का गगनयान मिशन?
साल 2022 में भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 साल पूरे कर रहा है और इसी साल ISRO की योजना पहला मानव सहित मिशन अंतरिक्ष में भेजने की है।
इस मिशन में तीन अंतरिक्षयात्रियों का क्रू पांच से सात दिनों के लिए स्पेस में भेजा जाएगा।
इस मिशन को कई चरणों में पूरा किया जाएगा और शुरू में मानव रहित लॉन्च कर तैयारियों को परखा जाएगा, जिसकी शुरुआत दिसंबर, 2021 में होना तय किया गया है।