
निसार मिशन में भारत कितना कर रहा खर्च और देश के लिए कैसे उपयोगी होगा यह?
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस महीने निसार सैटेलाइट को लॉन्च करने वाला है। यह अंतरिक्ष मिशन नासा और ISRO की साझेदारी का हिस्सा है और इसे 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। निसार दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट है जो 2 अलग-अलग रडार तकनीकों के जरिए पृथ्वी की सतह का अध्ययन करेगा। इसका उद्देश्य हर 12 दिन में पूरी धरती की तस्वीरें भेजना और पर्यावरण में होने वाले बदलावों पर नजर रखना है।
काम
कैसे काम करेगा निसार सैटेलाइट?
निसार सैटेलाइट में 2 रडार लगे हैं, जिसमें नासा का L-बैंड और ISRO का S-बैंड शामिल है। ये दोनों ही रडार दिन-रात, बादलों के पार और हर मौसम में काम कर सकते हैं। इससे वैज्ञानिकों को भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन और ग्लेशियरों में होने वाले बदलावों को समय रहते समझने में मदद मिलेगी। यह सैटेलाइट जमीन की हलचल को सेंटीमीटर स्तर तक माप सकता है, जिससे बहुत सटीक जानकारी मिल पाएगी।
लागत
कितनी है मिशन की लागत और भारत का योगदान?
निसार मिशन की कुल लागत लगभग 1.5 अरब डॉलर (लगभग 13,000 करोड़ रुपये) है, जिसमें से भारत करीब 788 करोड़ रुपये का योगदान दे रहा है। यह अब तक का सबसे महंगा पृथ्वी अवलोकन मिशन माना जा रहा है। इस मिशन में नासा ने मुख्य रडार, एंटीना और GPS सिस्टम दिए हैं, जबकि ISRO ने सैटेलाइट बस, S-बैंड रडार और लॉन्च रॉकेट GSLV-F16 तैयार किया है, जो पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बना है।
लाभ
भारत को क्या फायदे देगा निसार मिशन?
निसार से भारत को कई बड़े फायदे होंगे। यह सैटेलाइट आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन की पहले से पहचान करने में मदद करेगा। इससे किसानों को मिट्टी की नमी और फसल की स्थिति की जानकारी मिलेगी, जिससे खेती में सुधार होगा। ग्लेशियर और जल स्रोतों की निगरानी से जलवायु परिवर्तन पर भी नजर रखी जा सकेगी। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में और मज़बूत बनाएगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी भूमिका बढ़ाएगा।