कैसी हो सकती है वर्चुअल और ऑगमेंटेड रिएलिटी की दुनिया? जानिए बड़ी बातें
क्या है खबर?
बेशक यह सुनने में अटपटा लगे, लेकिन आने वाले वक्त में लोग खुद अपनी दुनिया डिजाइन कर सकेंगे। ऐसा होगा वर्चुअल या ऑगमेंटेड रिएलिटी की मदद से।
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) के अलावा AR और VR ऐसी टेक्नॉलजी हैं, जो आने वाले दिनों में सबसे बड़े बदलाव ला सकती हैं।
अगर AR और VR सुनकर आपके दिमाग में विडियो गेम्स आए हैं, तो बेहतर सोचने की जरूरत है क्योंकि नई टेक्नोलॉजी सिर्फ गेम्स तक सीमित नहीं रही।
परिचय
क्या है AR और VR का मतलब?
वर्चुअल रिएलिटी (VR) का हिस्सा बनने के लिए आपको एक हेडसेट आंखों पर पहनना होता है, जिसके बाद आसपास पूरी तरह कंप्यूटर की मदद से तैयार की गई डिजिटल दुनिया नजर आती है।
इसमें आप बिल्कुल वैसे ही काम कर सकते हैं, जैसे अपने घर पर या आसपास करते हैं।
वहीं, ऑगमेंटेड रिएलिटी (AR) में आप अपने आसपास की असली दुनिया से नहीं कटते लेकिन कंप्यूटर की मदद से तैयार किए गए एलिमेंट्स इसका हिस्सा बन जाते हैं।
भविष्य
कई बड़ी कंपनियां कर रही हैं काम
अमेरिकी सॉफ्टवेयर कंपनी एपिक गेम्स की ओर से लॉन्च किए गए अनरियल इंजन 5 और चीन की कंपनी के VR ट्रेडमिल कैट वॉक C की मदद से VR नेकेस्ट लेवल पर पहुंच चुका है।
सोनी, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियां वर्चुअल रिएलिटी पर काम कर रही हैं, ऐसे में वक्त बीतने के साथ इसका सस्ता होना भी तय है।
इसी तरह अगले पांच साल में AR ग्लासेज भी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन सकते हैं।
फायदा
वर्चुअल दुनिया में मिल सकेंगे लोग
नए टेक के साथ VR हेडसेट पहनते ही लोग वर्चुअल ऑफिस, वर्चुअल स्कूल और वर्चुअल दुनिया में होंगे।
एक लैब सेटअप करने के खर्च से कई गुना कम में वर्चुअल लैब तैयार की जा सकती है। इसी तरह मेडिकल स्टूडेंट के लिए AR बॉडी का ऑपरेशन करना असली मरीज पर एक्सपेरिमेंट करने से लाख गुना बेहतर है।
शिकागो की इमर्सिवटच या वॉशिंगटन की प्रोपरियो कंपनियां AR और VR की मदद से स्टूडेंट्स को सर्जरी करना सिखा रही हैं।
अपग्रेड
महसूस कर पाएंगे आसपास हो रहे बदलाव
यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के रिसर्चर्स VR की मदद से रोबॉट्स को कंट्रोल कर रहे हैं और सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठकर उन्हें कमांड्स दे सकते हैं।
ऑक्युलस VR हेडसेट, HaptX ग्लव्स और टेस्ला VR सूट केवल एक इशारा हैं कि हम ना सिर्फ अपनी वर्चुअल दुनिया तैयार कर सकेंगे बल्कि वहां की चीजें छूकर महसूस भी कर पाएंगे।
स्मार्टफोन्स और ड्रोन्स का उदाहरण लें तो VR और AR से जुड़ा हार्डवेयर आम लोगों तक पहुंचने में 10-15 साल का वक्त लगेगा।
जानकारी
मार्केट में आए कई प्रोडक्ट्स
फेसबुक ऑक्युलस हेडसेट से लेकर स्नैपचैट के AR ग्लासेज तक मार्केट में जगह बना चुके हैं। इसी साल माइक्रोसॉफ्ट ने नया माइक्रोसॉफ्ट मेश प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जिसमें यूजर्स होलोग्राम की मदद से मीटिंग का हिस्सा बन सकेंगे और गेमिंग भी कर पाएंगे।