डाटा सुरक्षा को लेकर सतर्क नहीं भारतीय, 33 प्रतिशत का सेंसिटिव डाटा असुरक्षित- सर्वे
डाटा सुरक्षा को लेकर भारतीय यूजर्स गंभीर नहीं हैं और उनके रवैये में लापरवाही देखने को मिलती है। लोकलसर्कल्स सर्वे में पता चला है कि करीब 33 प्रतिशत भारतीय कंप्यूटर पासवर्ड्स, बैंक अकाउंट्स, क्रेडिट और डेबिट कार्ड नंबर और पिन जैसा डाटा असुरक्षित तरीकों से स्टोर करते हैं। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि यूजर्स इस डाटा के अलावा आधार और पैन कार्ड जैसे डीटेल्स भी अपने कॉन्टैक्ट नंबर्स की लिस्ट में या फिर ईमेल पर स्टोर करते हैं।
सर्वे में शामिल किए गए 24,000 लोग
भारत के 393 अलग-अलग जिलों से करीब 24,000 लोगों को इस सर्वे का हिस्सा बनाया गया। सर्वे में शामिल हुए लगभग 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपना जरूरी डाटा कागज पर लिखकर सुरक्षित रखते हैं। वहीं, लगभग 21 प्रतिशत ने दावा किया पासवर्ड्स और दूसरी पर्सनल डीटेल्स उन्हें याद हैं और कहीं स्टोर करने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा करीब 15 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका सेंसिटिव डाटा ईमेल या कंप्यूटर में सेव है।
परिवार वालों को बता देते हैं ATM पिन
सर्वे में शामिल होने वाले लगभग 29 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके ATM या डेबिट कार्ड के पिन से जुड़ी जानकारी उनके परिवार वालों को है और वे परिवारवालों को पिन बता देते हैं। इसके अलावा करीब चार प्रतिशत लोगों ने ये सेंसिटिव लॉगिन डीटेल्स अपने ऑफिस या घर के स्टाफ के साथ शेयर करने की बात कही। लगभग 65 प्रतिशत ने कहा कि वे बैकिंग पिन किसी के साथ शेयर नहीं करते।
RBI के साथ शेयर किया जाएगा डाटा
लोकलसर्कल्स ने कहा है कि सर्वे की रिपोर्ट और सामने आया डाटा भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ शेयर किया जाएगा। इस डाटा की मदद से तय किया जाएगा कि भारतीय यूजर्स के लिए प्रोग्राम्स डिजाइन किए जा सकेंगे और उन्हें बड़े स्तर पर डाटा सुरक्षा को लेकर जागरूक किया जा सके। इस तरह भारतीय यूजर्स को डाटा चोरी के खतरों से बचाया जा सकेगा और सुरक्षित रखा जा सकेगा।
लापरवाही के चलते चोरी होता है डाटा
पिछले दो साल में भारत में यूजर्स पर होने वाले साइबर अटैक्स और डाटा चोरी के मामले भी कई गुना बढ़े हैं। ज्यादातर डाटा चोरी के मामलों में यूजर्स की ओर से की गई जरा सी लापरवाही उनपर भारी पड़ती है। पासवर्ड्स, ATM और डेबिट कार्ड्स पिन और पर्सनल डीटेल्स को सुरक्षित तरीके से स्टोर ना करने के चलते यूजर्स की ढेर सारी जानकारी हैकर्स को एकसाथ मिल जाती है और उन्हें नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
डाटा स्टोर करने के लिए टूल्स की मदद ले सकते हैं आप
आप अपना पर्सनल डाटा स्टोर करने के लिए क्लाउड स्टोरेज सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो पासवर्ड प्रोटेक्टेड होती हैं। इसके अलावा पासवर्ड्स मैनेज करने के लिए यूजर्स पासवर्ड मैनेजर ऐप्स की मदद ले सकते हैं। इन ऐप्स में आप पासवर्ड्स से लेकर पिन और दूसरी जानकारी सेव कर सकते हैं और केवल एक मास्टर पासवर्ड याद रखना पड़ता है। भारत सरकार भी डिजिलॉकर जैसी सेवाएं ऑफर करती है, जिसमें पर्सनल डाटा सेव किया जा सकता है।