23 साल की हुई सर्च इंजन कंपनी गूगल, जानें इससे जुड़ी दिलचस्प बातें
गूगल, ज्यादातर इंटरनेट यूजर्स की ओर से वेब ब्राउजर में एंटर किया जाने वाला पहला शब्द यही होता है। यही वजह है कि गूगल दुनिया की सबसे लोकप्रिय सर्च इंजन कंपनी बन चुकी है। गूगल आज 27 सितंबर को अपना 23वां जन्मदिन मना रही है और होमपेज पर दिख रहे डूडल पर केक और 23 लिखा नजर आ रहा है। आइए इस कंपनी से जुड़ी कुछ कमाल की बातें जानते हैं।
पहले 4 सितंबर था गूगल का जन्मदिन
गूगल की स्थापना यूं तो 4 सितंबर, 1998 को हुई थी लेकिन इसका जन्मदिन अब 27 सितंबर को मनाया जाता है। शुरू के सात साल कंपनी ने 4 सितंबर को ही अपना जन्मदिन मनाती रही। सर्च इंजन की ओर से की जाने वाली रिकॉर्ड नंबर पेज इंडेक्सिंग को सेलिब्रेट करने के लिए गूगल ने अपना जन्मदिन 27 सितंबर को मनाना शुरू कर दिया है। इसके बाद से कंपनी 27 सितंबर को ही बर्थडे गूगल होमपेज पर दिखाती है।
बैकरब था गूगल का ओरिजनल नाम
गूगल का ओरिजनल नाम बैकरब (Backrub) बताया जाता है, जिसे बाद में बदल दिया गया। गूगल दरअसल अंग्रेजी के शब्द Googel की गलत स्पेलिंग है, जो एक से लेकर 100 जीरो तक लिखा जाने वाला एक मैकेनिकल टर्म है। इस नाम के साथ गूगल का मकसद भी साफ हो जाता है कि कंपनी दुनिया की सारी जानकारी इंटरनेट यूजर्स तक पहुंचाना चाहती है और ढेर सारे जीरो कंपनी के सर्च रिजल्ट्स पेजेस को दर्शाते हैं।
पेजरैंक टेक्नोलॉजी के साथ काम करता है सर्च इंजन
गूगल कोई कीवर्ड सर्च करने पर यूजर्स को उससे जुड़े ढेरों लिंक्स रिजल्ट्स पेज पर दिखाए जाते हैं। इन लिंक्स को रैंक करने के लिए गूगल जिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है, उसे पेजरैंक कहते हैं। इसके साथ तय किया जाता है कि कौन सी वेबसाइट रिजल्ट्स पेज पर किस पोजिशन पर दिखाई जाएगी और कीवर्ड से कितना मेल खाती है। पेजरैंक टेक्नोलॉजी का नाम गूगल के को-फाउंडर लैरी पेज के नाम से प्रेरित है।
गूगल के भरोसे चलता है करीब आधा इंटरनेट
16 अगस्त, 2013 को करीब पांच मिनट के लिए गूगल सर्च इंजन डाउन हो गया था, जिससे पता चला कि करीब आधे यूजर्स इंटरनेट एक्सेस करने के लिए गूगल पर निर्भर हैं। इस पांच मिनट के दौरान ग्लोबल इंटरनेट यूजेस में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गूगल के नॉट रीचेबल होने के चलते ये यूजर्स अपनी जरूरत से जुड़ी वेबसाइट नहीं सर्च कर पा रहे थे।
सर्च इंजन बेचना चाहती थी गूगल
जानकर हैरानी होगी कि दुनिया की सबसे सफल कंपनी साल 1997 में अपना सर्च इंजन बेचना चाहती थी। कंपनी ने इसके लिए याहू को 2 मिलियन डॉलर का ऑफर भी दिया था, हालांकि याहू ने सर्च इंजन खरीदने से इनकार कर दिया। आज गूगल की मुकाबले याहू की वैल्यू बहुत कम है और दोनों के यूजबेस के मामले में भी अंतर देखने को मिलता है। मजेदार बात है कि याहू की लोकप्रियता कम होने के लिए गूगल ही जिम्मेदार रही।
सर्जी ब्रिन और लैरी पेज ने की थी शुरुआत
गूगल की शुरुआत सर्जी ब्रिन और लैरी पेज ने मिलकर साल 1998 में की थी। अभी भारत मूल के सुंदर पिचाई इसके CEO हैं, जिन्होंने 24 अक्तूबर, 2015 को पेज की जगह ली। गूगल को रीस्ट्रक्चर कर 2 अक्टूबर, 2015 को अल्फाबेट इंक. नाम की कंपनी बनाई गई है, जिसके CEO पद की जिम्मेदारी भी सुंदर पिचाई के पास है। गूगल इस वक्त दुनिया की सबसे ज्यादा वैल्यू वाली सर्च इंजन कंपनी है।